पति को पिता बना रीता बन गयी सलमा

सहरसा नगर : पंचायत चुनाव में मुखिया पद पाने की ललक कहें या सरकारी कायदों को ठेंगे पर रखने की चाहत. महिषी प्रखंड की मनोवर पंचायत से मुखिया प्रत्याशी बनी रीता देवी ने गलत कारनामे से पंचायत आम निर्वाचन नियमावली की धज्जी उड़ा दी है. पंचायत के मनोवर गांव निवासी व मुसहर समुदाय से आनेवाले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 30, 2016 6:20 AM
सहरसा नगर : पंचायत चुनाव में मुखिया पद पाने की ललक कहें या सरकारी कायदों को ठेंगे पर रखने की चाहत. महिषी प्रखंड की मनोवर पंचायत से मुखिया प्रत्याशी बनी रीता देवी ने गलत कारनामे से पंचायत आम निर्वाचन नियमावली की धज्जी उड़ा दी है. पंचायत के मनोवर गांव निवासी व मुसहर समुदाय से आनेवाले प्रकाश सादा की पुत्री रीता देवी ने वर्ष 1994 में गांव के ही मो अली से शादी कर धर्म परिवर्तन कर लिया था. रीता मो अली की चौथी बीबी है.
निकाह के बाद से वह पति मो अली के साथ सलमा खातून के रूप में रहने लगी थी. नियमानुसार वर्ष 2015 की मतदाता सूची में क्रमांक 630 व गृह संख्या 132 में सलमा खातून के रूप में रीता का नाम भी दर्ज कर लिया गया था. वर्ष 2016 की मतदाता सूची में भी क्रमांक 430 व गृह संख्या 132 पर सलमा का नाम दर्ज है.
सीट सुरक्षित हुई, तो बन गयी रीता
आरक्षण रोस्टर में इस बार मनोवर पंचायत के मुखिया पद को एससीएसटी महिला के लिए सुरक्षित कर दिया गया है. इसके बाद सलमा ने पुन: मतदाता सूची में अपना नाम क्रमांक संख्या 363 व गृह संख्या 110 पर रीता देवी के रूप में दर्ज करा लिया और पुनरीक्षित सूची में पति मो अली को अपना पिता बता दिया. महादलित समुदाय से रहने के कारण रीता पुन: सुरक्षित सीट से नामांकन करने में कामयाब भी हो गयी.
कम हो गयी रीता की उम्र
समय के साथ मतदाता सूची में दर्ज लोगों की उम्र में भी इजाफा होता है, लेकिन रीता से सलमा बनने के बावजूद शादी के बाद इन 20 वर्षों में प्रत्याशी रीता देवी की उम्र में कमी होती गयी. ज्ञात हो कि वर्ष 1994 से पूर्व मतदाता सूची में रीता देवी की उम्र 49 वर्ष दर्ज की गयी थी.
लेकिन सलमा खातून बनने के बाद पंचायत निवार्चन सूची में रीता की आयु 50 वर्ष दर्ज करायी गयी. इधर, पंचायत चुनाव में प्रकाशित संशोधित मतदाता सूची में सलमा से पुन: रीता बन गयी प्रत्याशी की उम्र 34 वर्ष ही बतायी जा रही है. इस बाबत ग्रामीण पिंकी देवी ने सभी साक्ष्यों के साथ राज्य चुनाव आयोग के समक्ष शिकायत भी दर्ज करायी है. इस संबंध में पूछने पर बीडीओ डॉ अमित कुमार ने बताया कि जाति प्रमाणपत्र के आधार पर उसके नामांकन को वैध करार दिया गया है.

Next Article

Exit mobile version