बोले नीतीश. बिहार के बाद झारखंड, यूपी, राजस्थान, ओड़िशा में भी होगी शराबबंदी
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महात्मा गांधी के दूसरे सपने को भी बिहार कर रहा साकार
बोले नीतीश. बिहार के बाद झारखंड, यूपी, राजस्थान, ओड़िशा में भी होगी शराबबंदी नीतीश कुमार ने मंगलवार को सहरसा में कहा कि शराबबंदी से बिहार में सामाजिक परिवर्तन की बुनियाद पड़ गयी है. बिहार के बाद अब झारखंड, यूपी, राजस्थान व ओड़िशा की सरकारों को शराबबंदी लागू करनी पड़ेगी. सहरसा : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने […]
नीतीश कुमार ने मंगलवार को सहरसा में कहा कि शराबबंदी से बिहार में सामाजिक परिवर्तन की बुनियाद पड़ गयी है. बिहार के बाद अब झारखंड, यूपी, राजस्थान व ओड़िशा की सरकारों को शराबबंदी लागू करनी पड़ेगी.
सहरसा : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि महात्मा गांधी ने आजादी की लड़ाई यहीं चंपारण के निलहे आंदोलन से की थी. पूर्ण शराबबंदी का उनका दूसरा सबसे बड़ा लक्ष्य था, उसे भी यही बिहार राज्य पूरा कर रहा है. मंगलवार को सहरसा स्टेडियम में जीविका समूह की महिलाओं की सभा का संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद झारखंड, उत्तरप्रदेश, राजस्थान व ओड़िशा में भी शराबबंदी की मांग तेज होने लगी है.
वहां की सरकार को भी शराबबंदी का फैसला लेने के लिए बाध्य होना पड़ेगा. बिहार से इस जन आंदोलन की शुरुआत हो चुकी है. झारखंड से मुझे बुलावा भी आया है. 10 मई को धनबाद में शराब से परेशान महिलाओं के जनसमूह को संबोधित करना है. बिहार के बाद वहां भी अब शराबबंदी की मांग तेज होने लगी है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता की मांग पर लिये गये शराबबंदी के निर्णय से बिहार की तसवीर व तकदीर बदलेगी. पूरे देश में यह राज्य एक उदाहरण बनेगा. बिहार ज्ञान की भूमि रहा है. अपने गौरवमयी अतीत को फिर से प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ चुका है. नीतीश कुमार ने कहा कि शराबबंदी साधारण सरकारी फैसला नहीं, बल्कि जन आंदोलन है.
यह सामाजिक परिवर्तन की बुनियाद है. शराबबंदी के बाद लोगों के स्वभाव व व्यवहार में गुणात्मक परिवर्तन आया है. जो नियमित रूप से शराब का सेवन करते थे, वे भी अब फैसले को सही बताते समर्थन देते हैं. पहले शराब पीने के बाद घर लौटने के साथ ही कलह-कोलाहल, मारपीट, हंगामा शुरू हो जाता था. खुद की कमाई तो शराब में उड़ा ही देते थे,
महिलाओं की थोड़ी-बहुत कमाई भी छीन लेते थे. अब स्थिति बदल गयी है. वहां अब शांति का माहौल है. पहले बराती शराब पीकर सड़कों पर निकलते थे. हंगामा मचाते थे. सड़क जाम करते थे. लेकिन, अब नाचते-गाते साइड से बढ़ते चले जाते हैं. सीएम ने कहा कि भले ही हमने महिलाओं की मांग पर शराबबंदी का फैसला लिया है. लेकिन, इस अभियान
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में बच्चों व पुरुषों का भी उतना ही समर्थन मिला और लगातार मिल रहा है.
गड़बड़ी नहीं करेंगे बरदाश्त
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्पाद अधिनियम कड़ा कानून है. सख्ती से लागू करना सरकार के साथ सरकारी सिस्टम का काम है. इसमें लापरवाही या गड़बड़ी किसी सूरत में बरदाश्त नहीं की जायेगी. उन्होंने मंच से डीजीपी से कहा कि कोसी के सीमावर्ती इलाके में भी सख्त अभियान चलाएं.
सीमा पार से आनेवाले लोगों की जांच जरूर की जाये कि उन्होंने शराब पी रखी है या नहीं. उन्होंने कहा कि अफसरों को भी स्पष्ट निर्देश दे दिया गया है कि वे ईमानदारी व निष्पक्षता से इस पर काम करें. उन्होंने कहा कि थानाध्यक्षों को पहले ही चेता दिया गया है कि जिनके थाना क्षेत्र में गड़बड़ी की शिकायत मिलेगी, उन्हें 10 साल तक किसी थाने का मुंह नहीं देखने दिया जायेगा. जहरीली शराब बनानेवालों को मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है. शराब पीकर कहीं भी हंगामा मचानेवालों की जगह जेल में होगी, वह भी 10 साल के लिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया है कि शराब पीना या इसका व्यापार करना कोई मौलिक अधिकार नहीं है. देश संविधान से चलता है और संविधान में राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत अंकित है, जिसके तहत राज्यहित में निर्णय लेने का अधिकार वहां की सरकार को है.
सभा को वाणिज्यकर व ऊर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अब्दुल गफूर, आपदा प्रबंधन मंत्री चंद्रशेखर सहित मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, डीजीपी पीके ठाकुर, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव अरविंद चौधरी सहित अन्य ने भी संबोधित किया.
सहरसा में जीविका की महिलाओं काे िकया संबोधित
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