मानसून में सबको डुबो देगा नप
सुनिये. विधायक जी, कुछ नहीं नप पर कंट्रोल कीजिए, नाम हो जायेगा मानसून आने के बाद की स्थिति से अभी से ही लोग सहम रहे हैं. वजह यह कि नप क्षेत्र में पानी के बहाव के लिए नया नाला नहीं बन रह. इतना ही नहीं बने नाले की सफाई भी नहीं हो रही है. सहरसा […]
सुनिये. विधायक जी, कुछ नहीं नप पर कंट्रोल कीजिए, नाम हो जायेगा
मानसून आने के बाद की स्थिति से अभी से ही लोग सहम रहे हैं. वजह यह कि नप क्षेत्र में पानी के बहाव के लिए नया नाला नहीं बन रह. इतना ही नहीं बने नाले की सफाई भी नहीं हो रही है.
सहरसा मुख्यालय : विधायक जी, आप कुछ मत कीजिए. सिर्फ नगर परिषद पर नियंत्रण कर लीजिये. अपका नाम हो जायेगा. अभी बीते बुधवार को ही आपने सर्किट हाउस में बिहार सरकार के वरिष्ठ मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव के समक्ष अपने विधायक योजना की सारी राशि विधानसभा क्षेत्र में सड़क व नाले के निर्माण पर खर्च करने का प्रस्ताव इस शर्त के साथ रखा कि नप के पदाधिकारी पहले काम के ससमय और गुणवत्तापूर्ण होने की गारंटी दे दें.
सांसद भी इसकी सारी योजनाओं के जांच की मांग कर ही चुके हैं. यह नप के चेहरे पर करारा तमाचा है और अपने आप में बड़ा सवाल भी है. पिछले दस वर्षों में नगर परिषद की लापरवाही व कुव्यवस्था ने शहर की सूरत बदरंग कर दी है. बावजूद न तो इस पर कभी कोई कार्रवाई हुई और न ही यह अपनी आदतों में कोई सुधार ही लाया.
टूटती सड़क नप का प्रमाण: नगर परिषद शहरी क्षेत्र के नागरिकों को कोई भी सुविधा उपलब्ध कराने में कामयाब नहीं हो पायी है. सड़क व नालों की सफाई में यह पहले से ही फिसड्डी रहा है.
इसके द्वारा मुहल्ले के पोल पर लगाए गए बल्ब, वेपर या एलइडी भी नहीं के बराबर ही जलते हैं. नप के द्वारा मुहल्ले की छोटी-छोटी सड़कें तो बनायी नहीं जाती और जहां कहीं भी बनाई गई है गुणवत्ता का पूरा अभाव है. हफ्ता या महीने भर बाद ही सड़कों का टूटना नप के कार्य एजेंसी होने का प्रमाण बन गया है. आधा-अधूरा काम करना, लंबी अवधि तक कार्य को खींचना नप की आदतों में शुमार है. नागरिकों की शिकायत पर इसने आज तक कभी संज्ञान नहीं लिया है.
मानसून में रोयेगी जनता : विधायक जी, शहर में नालों की दशा आपसे छिपी नहीं है. पंचवटी स्थित आपके घर के इर्द-गिर्द आज तक नाले नहीं बनाए जा सके हैं. जबकि थोड़ी सी वर्षा हुई नहीं कि नगर परिषद के कार्यालय से लेकर आपके आवास तक की सड़क तालाब का रूप ले लेती है.
गांधी पथ, मीर टोला, बनगांव रोड, मारुफगंज, बटराहा, गंगजला, चाणक्यपुरी, रहमान रोड के नालों की दशा किसी से छिपी नहीं है. पिछले दस वर्षों में शहर की आबादी में गुणात्मक वृद्धि हुई है, लेकिन सुविधाओं में नहीं. कुल 40 में से आधे से भी कम वार्ड में नाले हैं. लेकिन उसकी भी सफाई नहीं करायी जाती है. नियम के विरुद्ध अधिकतर नालों पर ढ़क्कन नहीं हैं. बिमारी पांव पसारती जा रही है. मात्र दो माह बाद मानसून प्रवेश कर रहा है. बीते मंगलवार की रात घंटे भर की बेमौसम बारिश में शहर त्राहिमाम हो गया. आने वाले दो महीने की अवधि में क्या हालत होगी. समझ लीजिए.
बस स्टैंड में भी सड़क नहीं : एमएलए साहब, सहरसा कोसी प्रमंडल का मुख्यालय है. यहां तीनों जिलों के लोगों का आना-जाना लगा रहता है. निजी गाड़ियों के अलावे बस स्टैंड से रोजाना 250 गाड़ियां खुलती औैर इतनी ही गाड़ियां आती हैं. बस पड़ाव भी नप को सलाना लाखों की आमदनी देता है.
लेकिन यात्रियों को सुविधा के नाम पर यह ठेंगा दिखा देता है. बस स्टैंड में न तो सड़कें हैं, न यात्री शेड. न पीने के लिए स्वच्छ व साफ पानी की व्यवस्था और न ही पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था. बसों की जानकारी देने वाला कोई स्थायी काउंटर तो यहां है ही नहीं. यहां सुरक्षा का भी सर्वथा अभाव है.