कमाई लाखों की, सुविधा कौड़ियों की
बस स्टैंड . रोजाना 25 हजार यात्रियों की विभाग कर रहा अनदेखी सहरसा बस स्टैंड. राज्य की राजधानी पटना सहित कई महानगरों, आसपास के जिला मुख्यालय व गृह जिले के कोने-कोने में जाने के लिए रोज तकरीबन 250 बड़ी व इतनी ही छोटी गाड़ियां जाती और आती हैं. जिनमें प्रतिदिन औसतन 25 हजार यात्री सफर […]
बस स्टैंड . रोजाना 25 हजार यात्रियों की विभाग कर रहा अनदेखी
सहरसा बस स्टैंड. राज्य की राजधानी पटना सहित कई महानगरों, आसपास के जिला मुख्यालय व गृह जिले के कोने-कोने में जाने के लिए रोज तकरीबन 250 बड़ी व इतनी ही छोटी गाड़ियां जाती और आती हैं. जिनमें प्रतिदिन औसतन 25 हजार यात्री सफर करते हैं. यह स्टैंड नगर परिषद को सलाना लाखों रुपये की आमदनी देता है.
लेकिन बदले में सुविधा कौड़ियों की भी नहीं है.
सहरसा मुख्यालय : बीते वित्तीय वर्ष इस मुख्य बस पड़ाव की बंदोबस्ती 55 लाख रुपये में हुई थी. इस साल भी उतने की ही उगाही की गई है. लेकिन दुर्भाग्य यहां बसों को व्यवस्थित ढ़ंग से खड़ी करने की जगह तक नहीं है और न ही यात्रियों को गाड़ी पर चढ़ने की जगह ही बनायी गई है. बीते तीन मई को हुई बेमौसम बारिश का असर यहां अब भी बरकरार है. लिहाजा यात्रियों को कीचड़ से ही गुजर कर बस पर बैठना होता है.
गाड़ी खड़ी करने की जगह नहीं
बस स्टैंड की जमीन कच्ची है. थोड़ी सी बारिश में पूरे स्टैंड में सिर्फ कीचड़ और कीचड़ ही होता है. बसों के मालिक, चालक व यात्री कहते हैं कि इतनी राशि पाने के बाद नप को यहां उच्च स्तरीय सुविधा देनी चाहिए. स्टैंड कलर्क पप्पू सिंह कहते हैं कि नगर परिषद यात्री सुविधा के लिए बस स्टैंड पर कोई कार्य नहीं करती है. बड़े शहरों के बस पड़ाव की तरह पूरे स्टैंड में सोलिंग व ढ़लाई होनी चाहिए. पानी के बहाव के लिए व्यवस्थित नाला होना चाहिए. बस के कतार में खड़ी करने के लिए पाइप की पार्टिशन रेलिंग होनी चाहिए.
गाड़ी सड़क पर ही खड़ी रहती है और यात्री भी सड़क पर से ही बस पर सवार होते हैं. बस का इंतजार करने के लिए यहां यात्रियों के बैठने के लिए न तो कोई विश्रामालय है और न ही सार्वजनिक शौचालय तक जाने का कोई मार्ग. रोशनी के लिए एक हाई मास्ट लैंप तो लगा है. लेकिन उसके आधे से अधिक बल्ब नहीं जलते हैं.
अनाउंसमेंट की सुविधा नहीं
जिन यात्रियों को मधेपुरा, सिंहेश्वर, पिपरा, राघोपुर, सिमराही, करजायन, भीमनगर होते बीरपुर तक जाना हो, वे गाड़ी नंबर 0930 में अपना स्थान ले लें. यह गाड़ी यहां से साढ़े आठ बजे प्रस्थान करेगी. यात्रियों की सुविधा के लिए गाड़ियों की जानकारी देने के लिए होने वाला यह अनाउंसमेंट दशकों पूर्व बंद हो चुका है. जिससे लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचाने वाली गाड़ी का पता करने में काफी परेशानी होती है.
उन्हें घुम-घुम पूछ कर पता करना होता है या गाड़ियों पर टंगे बोर्ड को पढ़ना होता है या फिर बसों के एजेंट द्वारा लगाये जाने वाले आवाज को ध्यान लगाकर सुनना पड़ता है. कुल मिला कर सहरसा बस स्टैंड नगर परिषद की लापरवाही, लालफीताशाही व अकर्मण्यता का उदाहरण व गवाह बन कर रह गया है.