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सहरसा जंकशन पर यात्रियों का हंगामा

आक्रोश : टिकट वापस नहीं लेने पर उग्र मजदूरों ने बुकिंग क्लर्क के साथ की मारपीट टिकट वापसी की अवधि बीत जाने के कारण बुकिंग क्लर्क ने टिकट वापस करने से मना कर दिया तो मजदूरों ने बुकिंग क्लर्क की जम कर पिटाई कर दी एवं उपकरणों को तोड़ डाला. स्टेशन पर घंटों अफरातफरी मची […]

आक्रोश : टिकट वापस नहीं लेने पर उग्र मजदूरों ने बुकिंग क्लर्क के साथ की मारपीट
टिकट वापसी की अवधि बीत जाने के कारण बुकिंग क्लर्क ने टिकट वापस करने से मना कर दिया तो मजदूरों ने बुकिंग क्लर्क की जम कर पिटाई कर दी एवं उपकरणों को तोड़ डाला. स्टेशन पर घंटों अफरातफरी मची रही. लेकिन स्थिति को संभालने के लिए आगे आने की बजाय आरपीएफ व जीआरपी पोस्ट छोड़ फरार हो गये.
सहरसा मुख्यालय : तीन दिनों से जनसेवा एक्सप्रेस पकड़ने का प्रयास करने में विफल रहे मजदूर यात्रियों का गुस्सा शुक्रवार को भड़क गया और वे टिकट वापस कराने काउंटर पर पहुंचे. वहां टिकट वापसी की अवधि बीत जाने के कारण बुकिंग क्लर्क ने टिकट वापस करने से मना कर दिया तो मजदूर बेकाबू हो गये. वे काउंटर पर तोड़फोड़ करने लगे. लाठी व रॉड से टिकट घर की जाली तोड़ने लगे. हंगामे की आवाज सुन कर प्लेटफॉर्म पर मौजूद अन्य मजदूर भी वहां जमा हो गये और टिकट घर के ग्रिल को धक्का मार तोड़ डाला.
अंदर घुस मजदूरों ने बुकिंग क्लर्क की जम कर पिटाई कर दी एवं उपकरणों को तोड़ डाला. स्टेशन पर घंटों अफरातफरी मची रही. लेकिन स्थिति को संभालने के लिए आगे आने की बजाय आरपीएफ व जीआरपी पोस्ट छोड़ फरार हो गये. मामले के उत्तेजित होते ही रेलकर्मियों ने टिकट काउंटर के बगल स्थित पार्सल कार्यालय बंद कर दिया. डीसीआइ रमण कुमार झा ने स्थिति बिगड़ता देख एसपी अश्विनी कुमार को फोन कर पुलिस बल भेजने की मांग की. लेकिन स्टेशन पहुंची पुलिस भी प्लेटफॉर्म नंबर एक की ओर टिकट घर तक ही सीमित रह गयी और उधर प्लेटफॉर्म नंबर दो स्थित द्वितीय टिकट घर पर हंगामा होता रहा.
तीन घंटे तक होता रहा हंगामा : टिकट वापसी व स्पेशल ट्रेन की मांग को लेकर शुक्रवार को स्टेशन पर लगभग तीन घंटे तक मजदूर यात्री हंगामा करते रहे, लेकिन रेलवे का कोई अधिकारी या पुलिस जवान नजर नहीं आया. यात्रियों का एक झुंड लगभग 11 बजे प्लेटफॉर्म नंबर दो के टिकट काउंटर पर हंगामा शुरू कर दिया. यात्रियों ने न केवल हंगामा मचाया, बल्कि टिकट काउंटर पर जम कर तोड़फोड़ की.
आक्रोशित मजदूरों ने काउंटर पर मौजूद कर्मियों को अंदर ही दुबके रहने को विवश कर दिया. जिसके बाद मजदूर टिकट घर में लगे शीशा व दरवाजा को तोड़ अंदर प्रवेश कर गये. बुकिंग क्लर्क की पिटाई कर दी. यात्रियों के आक्रोश को देख डीसीआई रमण झा ने किसी तरह क्लर्क को बाहर निकाल मजदूर यात्रियों को समझानेका प्रयास किया. लेकिन वे कुछ भी सुनने को तैयार नही थे. वे टिकट लौटाने या शीघ्र स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था करने की बात पर अड़े थे.
आरपीएफ से भी भिड़ंत
जानकारी के अनुसार, घटना से कुछ देर पहले मजदूर यात्री व आरपीएफ जवानों के बीच भी भिड़ंत हुई थी. मजदूरों ने बताया कि कुछ मजदूर आरपीएफ पोस्ट के पास लगे चापाकल से पानी पी रहे थे. आरपीएफ ने इस चापाकल को पर्सनल बता पानी लेने से मना कर दिया. जोर से प्यास लगने की बात बता कुछ मजदूर फिर भी चापाकल से पानी लेने लगे तो आरपीएफ के जवानों ने दो मजदूरों को पकड़ लिया. मजदूर के साथी वहां जुट कर आरपीएफ से उन्हें छोड़ने की मांग करने लगे. दोनों के बीच जम कर तू-तू-मैं-मैं और हाथापाई हुई.
जगह लेने पैसेंजर से जाते हैं बरौनी : पंजाब जाने के लिए ट्रेन में जगह पा लेना किसी प्रतियोगिता में मेडल जीत लेने से कम नहीं होता. यहां बुद्धिमानों की नहीं, बल्कि बलशाली की चलती है. कमजोर मजदूर पहले किसी पैसेंजर ट्रेन से बरौनी चले जाते हैं. जहां वे यार्ड में खड़ी या सहरसा के लिए पैसेंजर बन कर आने वाली इस ट्रेन में जगह ले लेते हैं. सहरसा पहुंचने पर वे अपनी जगहों पर से उठते या हिलते नहीं है. यही पैसेंजर ट्रेन आठ बज कर 40 मिनट पर जनसेवा एक्सप्रेस बनकर अमृतसर के लिए खुलती है. उसी में बैठे रह कर वे अपने गंतव्य तक जाते हैं. ऐसे में उन्हें 60 घंटे भी अधिक समय तक ट्रेन में गुजारना पड़ता है.
बरौनी से ही भर कर आयी थी ट्रेन
शुक्रवार को जनसेवा एक्सप्रेस पर नहीं चढ़ पाने वाले मजदूरों ने कहा कि ट्रेन बरौनी से ही यात्रियों से भरी हुई आयी थी. सहरसा जंकशन पर बमुश्किल सौ से डेढ़ सौ यात्री ही चढ़ पाये. तीनों प्लेटफॉर्म सहित स्टेशन के दो किलोमीटर की परिधि में लाखों मजदूर जमा हैं.
उन्हें देख ट्रेन पकड़ने की हिम्मत नहीं होती है. मजदूरों ने कहा कि जनसेवा खुलने से कुछ देर पूर्व ही घोषणा की गयी थी कि इसके तुरंत बाद एक स्पेशल ट्रेन भी पंजाब जायेगी. यात्री स्पेशल ट्रेन का इंतजार कर ही रहा थे कि कुछ देर बाद फिर से घोषणा हुई कि चार बजे शाम में जनसाधारण अमृतसर जायेगी. उसके बाद यात्रियों का गुस्सा बेकाबू हो गया. वे पंजाब जाने का अपना कार्यक्रम रद्द कर वापस घर लौटने की तैयारी करने लगे. टिकट वापस कराने जाने पर उन्हें बैरंग लौटाया जाने लगा. तब तोड़फोड़ व कर्मी की पिटाई हुई.
नहीं चढ़ पाते हजारों लोग
धनरोपनी के लिए पंजाब के विभिन्न शहर व गांवों में जाने वाले ये मजदूर जनसेवा या जनसाधारण एक्सप्रेस पकड़ने के लिए सहरसा जंकशन पहुंचते हैं. सहरसा के अलावे मधेपुरा, सुपौल, अररिया व पूर्णिया तक के मजदूर यहां आते हैं. वे अपने साथ रास्ते का खाना व नाश्ता लेकर भी आते हैं. लेकिन यहां न तो वे टिकट ही समय पर ले पाते हैं और न ही ट्रेन पकड़ पाते हैं.
उनका खाना व नाश्ता यहीं प्लेटफॉर्म पर समाप्त हो जाता है. वे कम से कम दो से तीन रात प्लेटफॉर्म पर ही गुजार देते हैं. इस दौरान टिकट के अलावे उनके पास के अधिकतर पैसे भी समाप्त हो जाते हैं. ऐसी स्थिति में वे या तो बेटिकट यात्रा करते हैं या फिर वापस घर लौट जाते हैं. ट्रेन पकड़ने में जम कर मारामारी होती है. कोई दरवाजे से तो कोई इमरजेंसी विंडो से घुसता है. दस से बारह हजार यात्रियों के सवार होने के बाद भी हजारों यात्री छूट जाते हैं. जो अगले दिन के ट्रेन के इंतजार में लग जाते हैं.
चार दिनों से कटा व वापस करा रहे हैं टिकट
धनरोपनी के लिए पंजाब जा रहे मजदूरों ने बताया कि वे चार दिनों से सहरसा प्लेटफॉर्म पर पड़े हुए हैं. रोज टिकट कटाते हैं और ट्रेन में जगह नहीं मिल पाने के कारण उसे वापस करा रहे हैं. इन चार दिनों में उनके सारे पैसे खर्च हो गए हैं. अब ट्रेन पकड़ भूखे पंजाब पहुंचने की स्थिति में नहीं हैं. इसीलिए वे टिकट वापस करा घर लौट जाना चाहते हैं.
मजदूर यात्रियों ने बताया कि एक तो घंटों कतार में लग कर उन्होंने टिकट कटाया. वापस कराने के लिए भी उतनी ही मशक्कत करनी पड़ी. लेकिन काउंटर तक पहुंचने के बाद बुकिंग क्लर्क टिकट वापस करने से इनकार कर रहा है. मजदूरों ने कहा कि ट्रेन की क्षमता के अनुसार ही टिकट काटने की व्यवस्था होनी चाहिए या फिर काटे गये टिकट के अनुसार ट्रेन की व्यवस्था की जानी चाहिए.
डीसीआइ रमण कुमार झा ने कहा कि पंचायत चुनाव के ठीक बाद से पंजाब जाने वाली जनसेवा व जनसाधारण एक्सप्रेस में अप्रत्याशित भीड़ बढ़ गयी. छह जून से अब तक दोनों ही रेलगाड़ियां ओवरलोड जा रही है. फिर भी भीड़ यथावत बनी हुई है. आठ जून को फिरोजपुर तक के लिए एक स्पेशल ट्रेन भी चली. 12 जून को भी सहरसा से एक स्पेशल ट्रेन पंजाब जायेगी. शुक्रवार की घटना पर उन्होंने कहा कि मंडल व जोनल कार्यालय को बस्तुस्थिति से अवगत करा दिया गया है. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए स्पेशल ट्रेन की अतिआवश्यकता बता दी गयी है.
सीट 26 सौ, टिकट कटता है 12 हजार यात्रियों का
सहरसा से अमृतसर के लिए रोजाना खुलने वाली जनसेवा एक्सप्रेस का हाल काफी बुरा है. 22 बोगियों वाली इस रेलगाड़ी में बमुश्किल 26 सौ लोगों के बैठने की सीट होती है. लेकिन पलायन के इस सीजन में इस पर रोज 12 हजार से अधिक यात्री सवार हो सफर कर रहे हैं. टिकट काउंटर पर दिन-रात टिकट काउंटर खुला ही रहता है. सामान्य दिनों में चार काउंटर सभी गंतव्यों के लिए टिकट काट है और अभी सात काउंटर भी भीड़ को नहीं संभाल पा रहा है.
अभी रेलवे को टिकट की बिक्री से औसतन 30 से 32 लाख रुपये की आमद हो रही है. इसके अलावे एक रुपये अधिक लेकर टिकट देने वाले काउंटरों की संख्या भी पांच है. जो रेलवे को रुपये उपलब्ध कराने के आधार पर टिकट काटते हैं. इन बाहरी काउंटरों से भी औसतन छह से सात लाख रुपये के टिकट प्रतिदिन बिक रहे हैं.

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