बिचड़ा गिराने लायक भी जून में नहीं हो सकी बारिश
कम बारिश से धान की खेती हो सकती है प्रभावित सहरसा सदर : इस साल मॉनसून के अच्छे रहने की संभावना को लेकर खरीफ फसल की अच्छी खेती को लेकर किसान पहले से काफी उत्साहित हैं. लेकिन जून माह में अनुमानित औसत से भी कम बारिश होने की वजह से किसानों के चेहरे पर मायूसी […]
कम बारिश से धान की खेती हो सकती है प्रभावित
सहरसा सदर : इस साल मॉनसून के अच्छे रहने की संभावना को लेकर खरीफ फसल की अच्छी खेती को लेकर किसान पहले से काफी उत्साहित हैं. लेकिन जून माह में अनुमानित औसत से भी कम बारिश होने की वजह से किसानों के चेहरे पर मायूसी छाने लगी है. धान की खेती को लेकर छोटे से लेकर बड़े किसान तक को कम बारिश होने की चिंता सताने लगी है. किसानों का कहना है कि जब बिचड़ा ही समय पर नहीं गिरेगा, तो समय पर रोपनी कैसे पूरी होगी. किसानों ने कहा कि यदि समय पर रोपनी नहीं होगी तो इसका असर फसल के उत्पादन पर भी दिखेगा.
किसानों का कहना है कि बारिश की कमी के कारण धान का बिचड़ा गिराने के इंतजार में बैठे हैं किसान. क्योंकि समय पर पौध तैयार होने के लिए खेतों में कम से कम नमी का रहना जरूरी है. तब जाकर बिचड़ा तैयार हो पायेगा. नहीं तो बिचड़ा के धूप में जलने की संभावना बनी रहती है. कृषि विशेषज्ञों का भी मानना है कि समय पर बिचड़ा तैयार नहीं होने से रोपनी में देर हो जाने से फसल के उत्पादन पर तो इसका असर पड़ता है. साथ ही बेमौसम बरसात के कारण फसल के डूबने को लेकर भी आशंका बन जाती है. श्रीविधि तकनीक से की जाने वाली धान की खेती के लिए समय से रोपनी का होना जरूरी बताया. इससे कम बारिश के बावजूद अच्छी फसल होने की संभावना प्रबल रहती है. धान रोपनी के लिए उचित समय 15 जून से 15 जुलाई को माना जाता है. जून माह के खत्म होने के बाद अब लोगों को जुलाई में होने वाली बारिश पर नजर है. यदि औसत से कम बारिश हुई तो इस साल अच्छी खरीफ फसल के उत्पादन पर पानी फिर सकता है.