सहरसा : विद्युत विभाग की कारगुजारियों से यूं तो पूरा जिला ही त्रस्त है. खासकर शहरी क्षेत्र जिदंगी व मौत के बीच जीवन बसर करने को मजबूर है. कहीं जर्जर तार तो कही बांस बल्ले के सहारे विद्युत आपूर्ति की जा रही है. आये दिन दुर्घटनाएं होती रहती है. दर्जनों लोग विद्युत स्पर्शाघात से मौत की नींद सो चुके हैं.
लेकिन विद्युत विभाग सिर्फ खानापूर्ति कर निश्चित हो जाती है. गोदरेज टेक्नो द्वारा कवर वायर लगाने का कार्य शहरी क्षेत्र में प्रारंभ तो किया गया. लेकिन कुछ एक जगहों पर तार बदल कर इतिश्री कर दी गयी. जिससे शहरवासियों की बंधी आस भी टूट गयी तथा विद्युत उपभोक्ता फिर से भगवान भरोसे ही रह गये. इस तरह फिर शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में जर्जर पोल व जर्जर तार हमेशा की तरह खतरे की घंटी बनी रह गयी.
शहर के हटियागाछी वार्ड 32 में वर्षो पूर्व गाड़ा गया पोल व तार पूरी तरह जर्जर बना हुआ है. कई पोल ने धनुष का रूप ले रखा है. उस पर लगे विद्युत तार सड़क पर इस कदर लटके हैं कि थोड़ी सी चूक से भी जान-जाने का खतरा बना रहता है. स्थानीय निवासी संजय कुमार झा ने बताया कि इस समस्या को लेकर विद्युत विभाग को कई बार आवेदन दिया गया. यहां तक कि विभागीय अधिकारी ने निरीक्षण तक किया. लेकिन पोल व तार की स्थिति नहीं सुधरी. जो अब बद से बदतर हो चुकी है. आये दिन तार टूट कर गिरने से विद्युत आपूर्ति बंद होती है तथा यह लाइन मैन के कमाई का जरिया बन गया है. इतना ही नहीं ये जर्जर तार कई घरों के उपर से गुजरा है, जो खतरनाक बना हुआ है.
जल्द होगा समस्या का निदान
प्रभात अभियान के तहत उपभोक्ताओं की समस्या लगातार प्रकाशित होने के बाद विभागीय अधिकारी ने उसके निदान करने की बात कही. सहायक विद्युत अभियंता आलोक अमृतांशु ने कर्मियों को अभियान में प्रकाशित समस्या को अविलंब चिह्नित कर निदान करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि विभाग उपभोक्ताओं को हरेक सुविधा देने के लिये तत्पर है. उपभोक्ता अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
आप भी बनें अभियान का हिस्सा
यदि आप भी विद्युत विभाग के कारगुजारियों से परेशान है. पोल, तार, जर्जर है तथा बांस के सहारे आपूर्ति हो रही है तो आप तस्वीर के साथ संबंधित ट्रांसफर्मर का नाम लिखकर मोबाइल व्हाटसएप्प नंबर 9470292717 पर सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक जानकारी दे सकते है.
समय है, परकोपाइन लगा मोड़ दें धारा
पूर्वी कोसी तटबंध. 81.50 व 82 किलोमीटर के बीच नदी की धारा पश्चिम की ओर मुड़ी
जल संसाधन विभाग के अभियंताओं ने ली राहत
की सांस
पूर्वी कोसी तटबंध के 81.50 व 82 किलोमीटर के बीच नदी की धारा पश्चिम की ओर मुड़ जाने से तटबंध के इस नाजुक बिंदु पर नदी का दबाव कम हो गया है. जिससे से जल संसाधन विभाग के अभियंताओं ने राहत की सांस ली है.
नवहट्टा :अभी समय है यदि जल संसाधन विभाग 81.50 व 82 किलोमीटर के बीच 500 मीटर की लंबाई में पूरब से पश्चिम
परकोपाइन लगा देता है तो नदी की धारा पश्चिम की ओर मुड़ जायेगी और नदी की धारा का दबाव तटबंध पर नहीं होगा. नदी की धारा पश्चिम की ओर मुड़ जाने से आने वाले इन चार महीने में लोग चैन की नींद सो सकेंगे.
मुड़ गयी थी धारा : पिछले वर्ष इसी जगह पर जल संसाधन विभाग ने 500 मीटर की लंबाई में परकोपाइन लगाने का काम शुरू किया गया था. लेकिन कोसी को यह परकोपाइन रास नहीं आया और नदी पश्चिम के बजाय पूर्व की ओर मुड़ गयी थी. जहां जल संसाधन विभाग को दिन रात मशक्कत के बाद नदी की धारा को पश्चिम की तरफ मोड़ने में सफलता मिली थी. कारण था कि सूखे स्थानों में तो संवेदक ने परकोपाइन लगा दिया, लेकिन गहरे पानी वाली जगह में इधर परकोपाइन लग रहा था तो उधर परकोपाइन जल समाधि भी ले रहा था. यही कारण था कि नदी पश्चिम के बजाय पूर्व की ओर मुड़ गयी थी.
फेल पायलट चैनल हुआ चालू:वर्ष 2011 में प्रभात खबर समाचार पत्र ने 11 जून को खबर प्रकाशित की था कि नदी से महज 14 मीटर की दूरी पर नदी की धारा बल खा रही है तो 12 जून को जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता केनाल सर्किल सहरसा हरीश कुमार द्वारा पूर्वी कोसी तटबंध के 82 किमी का निरीक्षण कर नदी के बीच सौल में चैनल का निर्माण शुरू करने का निर्देश दिया था.
लाखों की लागत से चैनल निर्माण के बाद तत्कालीन कोसी आयुक्त जे के राव की मौजूदगी में चैनल के मुहाना को खोला गया. चैनल के मुहाना खुलने के बाद नदी का जलस्तर घटता चला गया. कोसी ने चैनल के मुहाना पर सिलटेसन कर दिया. लेकिन पांच वर्ष बाद मनचली कोसी ने उसी चैनल को अपना रास्ता बना लिया. जिसे पांच वर्ष पूर्व कोसी ने सिल्ट कर दिया था.