कुसहा त्रासदी : जख्म मौजूद है, गायब है मरहम
तबाही के बीत चुके है आठ साल 18 अगस्त 2008 को आया था प्रलय राजेश सिंह पतरघट : बाही के आठ वर्ष बीत जाने के बाद भी पीड़ितों के जख्म भरने के बजाय नासूर बन चुके हैं. सरकारी महकमा द्वारा त्रासदी के पीड़ितों को हरसंभव मदद के लिए दिये गये आश्वासन की मियाद भी फाइलों […]
तबाही के बीत चुके है आठ साल
18 अगस्त 2008 को आया था प्रलय
राजेश सिंह
पतरघट : बाही के आठ वर्ष बीत जाने के बाद भी पीड़ितों के जख्म भरने के बजाय नासूर बन चुके हैं. सरकारी महकमा द्वारा त्रासदी के पीड़ितों को हरसंभव मदद के लिए दिये गये आश्वासन की मियाद भी फाइलों में गुम हो गयी है. कुसहा ने सुपौल व मधेपुरा के अलावा जिले के पतरघट प्रखंड में बड़ी तबाही मचायी थी.
नेपाली प्रभाग के कुसहा में पूर्वी कोसी तटबंध बीते 18 अगस्त 2008 को टूटने से जिले में आयी भयंकर बाढ़ ने पतरघट प्रखंड के 3044 मकानों को पूरी तरह से खंगाल दिया था.
जबकि 500 हेक्टयेर खेत को बालू से भर दिया था. जो आज भी बंजर बने हुए है. लगभग सौ से अधिक मवेशी कोशी की विनाश लीला की भेंट चढ़ गयी थी. कई बीघे जमीन गड्ढे में तब्दील हो गये थे. कुशहा त्रासदी ने उक्त प्रखंड को बदसूरत बना दिया था. सरकार ने लोगों को आश्वासन देते कहा था कि वह पहले से भी बेहतर कोशी बनायेगी.
लेकिन आठ वर्षो के बाद स्थिति यह है कि उक्त प्रखंड को आवंटित 18 करोड़ 95 लाख 25 हजार रूपये में से 14 करोड़ 28 लाख रूपये बाढ़ प्रभावित लाभुक को दिये जा चुके है. फिर भी ध्वस्त हुए 3044 मकान में से मात्र 1821 मकान पूर्ण हो सके है. वैसे तो 11 पंचायत वाले इस प्रखंड में कोशी की तबाही सब जगह दिखी थी. लेकिन पामा, पस्तपार, विशनपुर, गोलमा पूर्वी, गोलमा पश्चिमी एवं धबौली में बाढ़ की भयानक तस्वीर उभर कर सामने आयी थी.
क्षेत्र के विशनपुर पंचायत के किसान कैलाश प्रसाद सिंह, श्यामबहादुर सिंह, पवन कुमार सिंह, उमाशंकर प्रसाद सिंह सहित दर्जनों किसानों के खेतों में पांच से 10 फीट बालू कोशी के कटाने से फसल सहित खेत में भर दिया था. उस बर्बादी का स्थलीय सत्यापन भी राजस्व कर्मचारी द्वारा करके जांच प्रतिबंधन अंचल कार्यालय में जमा कर दिया था. लेकिन दूरभाग से उन किसानों को सरकारी मुआवजा नही दिया गया है.
यही हाल वार्ड नंबर दो का हुआ है. इस वार्ड के निवासी को आज तक भी कोशी पुनर्वास की लाभ से पूर्णरूपेण वंचित कर दिया है. जबकि कुशहा त्रासदी के बाढ़ से सबसे ज्यादा यही वार्ड रहा.
इस वार्ड की क्षति से संबंधित सूची भी अंचल कार्यालय में जमा कर दिया था. लेकिन बिचौलिया एवं अंचल कार्यालय के कर्मी के मिलीभगत से उस सूची को अंचल कार्यालय से गायब कर दिया. जिसके कारण इस वार्ड के लोगों को पुनर्वास का लाभ नही मिल पाया है.