उजाड़ तो दिया, बसायेगा कौन

हटाया अतिक्रमण. सड़क किनारे झोपड़ी बना कर रहने को मजबूर हैं लोग न्यायालय के निर्देश पर सदर अस्पताल परिसर में अतिक्रमण को प्रशासन ने परचा देने का लोभ देकर उजाड़ तो दिया. लेकिन अतिक्रमण हटने के बाद उन लोगो की सुधि लेने की फुर्सत किसी को नहीं है. लोग सड़क किनारे रात बिताने को मजबूर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 29, 2016 7:38 AM

हटाया अतिक्रमण. सड़क किनारे झोपड़ी बना कर रहने को मजबूर हैं लोग

न्यायालय के निर्देश पर सदर अस्पताल परिसर में अतिक्रमण को प्रशासन ने परचा देने का लोभ देकर उजाड़ तो दिया. लेकिन अतिक्रमण हटने के बाद उन लोगो की सुधि लेने की फुर्सत किसी को नहीं है. लोग सड़क किनारे रात बिताने को मजबूर हैं.
सहरसा : उजड़े परिवार को बसाने के लिए प्रशासन से किसी तरह की कार्रवाई नहीं होते देख विस्थापित परिवारों ने पोस्टमार्टम भवन की ओर जाने वाली सड़क किनारे अपना आशियाना बनाना शुरू कर दिया है. घर बना रहे लोगों ने पूछने पर बताया कि पहले तो साहब लोगों ने तीन डिसमिल जमीन देकर बसाने व परचा भी दिखाया था. लेकिन अतिक्रमण हटने के बाद बसाने की दिशा में कोई पहल नहीं की गयी. जिसके बाद हमलोग थक कर सड़क किनारे अपना अपना घर बनाना शुरू कर दिये हैं. विस्थापित लोगों ने कहा कि क्या करें जब भूमिहीन हैं तो प्रशासन बसाने का कोई व्यवस्था करे.
सड़क हो रहा अतिक्रमित
अस्पताल परिसर से उजड़े लोगों ने डीइओ ऑफिस के सामने से हवाई अड्डा जाने वाली सड़क के बगल में अपनी झोपड़ी बनानी शुरू कर दी है. जिससे सड़क अतिक्रमित हो गयी है. वर्त्तमान स्थिति यह है कि यदि कोई आमने-सामने से चारपहिया वाहन प्रवेश कर जाय तो विकट स्थिति उत्पन्न हो जाती है.
काफी मशक्कत के बाद वाहन निकल पाता है. जबकि अभी कुछ झोपड़ी ही बनी है, दर्जनों लोग अभी घर बनाने के लिए सोच ही रहे हैं. जितने परिवारों को अस्पताल परिसर से हटाया गया, वह सभी अपना घर बना लें तो स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. लोगों ने कहा कि न्यायालय में अपना पीठ थपथपाने के लिए परिसर को तो खाली करा दिया गया, लेकिन उजड़े लोगों के बसने की कोई व्यवस्था नहीं होने से सड़क अतिक्रमित होने लगी है.
भूमिहीनों ने प्रशासन से की बसाने की मांग
सड़क किनारे किया जा रहा अतिक्रमण.
लोगों को दिखाया था परचा
विस्थापित लोगों ने बताया कि हमलोगों ने डीएम सहित अन्य अधिकारियों से बरसात तक रहने देने की मांग की थी, लेकिन हमलोगों को परचा का सब्जबाग दिखाकर व बसाने की बात कह हटने को कहा गया. हमलोगों को 25 व्यक्ति के नाम पर कटे परचा जिसमें तीन डिसमिल सिरादेय के पास देने की बात कही गयी.
लेकिन जब हमलोगों ने प्रशासन के आदेश को मानते अपना अपना घर हटा लिया तो अब किसी को कोई देखने वाला नहीं है. बिना छत के जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं.
वह लोग जब बसने के लिये तैयार होंगे तब उन्हें परचा दिया जायेगा. ऐसा नहीं होगा कि वे लोग सड़क किनारे बसें और परचा की जमीन का दुरूपयोग करें.
शैलेंद्र कुमार, कहरा अंचलाधिकारी

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