पति की लंबी आयु के लिए महिलाओं ने रखा व्रत
सहरसा : रविवार को हरितालिका तीज का त्योहार भी मनाया गया. जिसमें विवाहित महिलाओं ने चौबीस घंटे का निर्जल उपवास रख कर भगवान शिव व पार्वती की पूजा की और अपने पतियों के लंबी उम्र की कामना की. रविवार की सुबह ही सभी पूजा घरों या चौकियों को फूल से सजाने में लग गयी थी. […]
सहरसा : रविवार को हरितालिका तीज का त्योहार भी मनाया गया. जिसमें विवाहित महिलाओं ने चौबीस घंटे का निर्जल उपवास रख कर भगवान शिव व पार्वती की पूजा की और अपने पतियों के लंबी उम्र की कामना की. रविवार की सुबह ही सभी पूजा घरों या चौकियों को फूल से सजाने में लग गयी थी. फिर पंडित द्वारा विधि विधान से पूजा कर कथा सुनायी गयी. बताया जाता है कि पार्वती के पिता पर्वत राज अपनी पुत्री के लिए वर की तलाश कर रहे थे.
नारद मुनि ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ वर के रूप में भगवान विष्णु से विवाह की बात कही. लेकिन पार्वती ने अपनी मां मैना को बताया कि वह पूर्ण रूप से खुद को शिव के प्रति समर्पित कर चुकी है. फिर पार्वती ने शिव के लिए तीज व्रत किया. उसी परंपरा के अनुसार तीज व्रत का आयोजन किया जाता है.
संतान व परिवार की सुख समृद्धि व खुशहाल भविष्य के लिए उगते चांद की आराधना कर मनाया जाने वाला पर्व चर्चन (चौठचंद्र) रविवार को श्रद्वापूर्वक संपन्न हुआ. पर्व की तैयारी को लेकर शहर में दिन भर चहल-पहल बनी रही. व्रती सुबह से ही घरों की सफाई व पकवान बनाने की तैयारी में जुटी रही तो पुरुष वर्ग पूजन सहित अन्य सामग्रियों की खरीदारी में बाजार का रूख करते रहे. बाजार में फल, किराना व पूजा-पाठ की दुकानों में भीड़ बनी रही. दिन भर सभी तरह के फलों की खूब बिक्री हुई. मांग अधिक होने के कारण व्यापारियों ने फलों की कीमत में एकाएक
इजाफा कर दिया. मामूली कीमत पर मिलने वाले खीरा व अमरूद का दर भी आसमान चढ़ा रहा.
दूध के लिए परेशान रहे लोग
हमेशा की तरह सबसे खराब स्थिति दूध की रही. पैकेट बंद दूध पर निर्भर रहने वाले परिवारों के समक्ष दूध की व्यवस्था मुश्किल बनी रही. अमूमन सुबह पांच से छह बजे तक आने वाली दूध की गाड़ी समय से आ तो गयी लेकिन मांग ज्यादा होने के कारण फिर से किल्लत हो गयी. लोग रविवार की शाम तक दूध के लिए भाग दौड़ करते रहे. इस बीच लोग मिल्क पार्लर का चक्कर लगाते रहे. यहां भी कुछ दूध व्यवसायियों ने मौके का नाजायज फायदा उठाते 40 रुपये प्रति किलो की दर से मिलने वाले दूध को 50 से 60 रुपये की दर से बेचा. इधर शाम ढ़लते ही लोग अपने-अपने घरों की ओर सिमटने लगे.
जहां घर के आंगन व छतों पर पूजा का चौका सजाया गया. जहां दही की छांछी व फलों का चंगेरा रख चांद की आराधना शुरू की गयी. चार दिनों के उगते चांद को अर्ध्य देकर लोगों ने मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना की. फिर श्रद्धा सहित प्रसाद ग्रहण किया.