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…तो हर साल डूबेगा शहर

जलजमाव. अब भी कारगर योजना का नहीं हो रहा क्रियान्वयन बारिश वर्षों से चेतावनी देती आ रही है. इस बार अपना रौद्र रूप भी दिखा दिया. लगातार बारिश के बाद सितंबर की शुरुआत से अब तक कई मुहल्ले डूबे हैं. नगर प्रशासन व जनप्रतिनिधि सोये हैं. जलनिकासी की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है. […]

जलजमाव. अब भी कारगर योजना का नहीं हो रहा क्रियान्वयन

बारिश वर्षों से चेतावनी देती आ रही है. इस बार अपना रौद्र रूप भी दिखा दिया. लगातार बारिश के बाद सितंबर की शुरुआत से अब तक कई मुहल्ले डूबे हैं. नगर प्रशासन व जनप्रतिनिधि सोये हैं. जलनिकासी की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है. लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है.
सहरसा : लगभग दशक भर से बारिश जिले के लोगों,
यहां के जनप्रतिनिधि व अधिकारियों को संभल जाने की चेतावनी देती आ रही है. लेकिन कोई गंभीर नहीं हुआ और इस बार बारिश ने अपना रौद्र रूप दिखा भारी तबाही मचा दी. सितंबर व अक्तूबर में हुई बारिश का प्रभाव ऐसा रहा कि अब तक कई मुहल्ले व वहां की सड़कें डूबी हुई हैं. यदि जनप्रतिनिधि व अधिकारी जलजमाव की इस बड़ी समस्या से अब भी कोई सबक नहीं लेते हैं, तो हर साल शहर इसी तरह डूबता रहेगा. लोग घुटने भर तो कहीं कमर भर पानी में तैरते रहेंगे. बीमारी फैलती रहेगी.
बयान नहीं, योजना चाहिए: बारिश से शहर में जब-जब जलजमाव की समस्या हुई है. तब-तब सत्ता के नेता सार्वजनिक मंच से ड्रेनेज सिस्टम की स्वीकृति देने की घोषणा करते रहे हैं. मास्टर प्लान व डीपीआर की बातें बता लोगों को गुमराह करते रहे हैं. इधर विरोधी जलजमाव जैसी विकट समस्या में अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने से बाज नहीं आते.
और वे सिर्फ स्थानीय स्तर पर ही ड्रेनेज सिस्टम की मांग उठाते हैं. इस बार महिषी के विधायक अब्दुल गफूर को पहली बार कैबिनेट में जगह मिलने के बाद ड्रेनेज सिस्टम बनाने की उम्मीदें बंधी. उन्होंने भी फरवरी महीने में ही कोसी महोत्सव के उद्घाटन मेंच से शहर को बड़ा नाला देने की घोषणा कर दी. उन्होंने माइक्रोफोन पर कह डाला था कि इस बार से शहर के लोगों को जलजमाव नहीं झेलना होगा. लेकिन आठ माह बाद भी योजना का कहीं अता-पता नहीं है और इस बार शहर का एक-एक मुहल्ला पानी में डूब गया. जिले के मंत्री से भी लोगों की आस टूट गयी.
अब भी डूबे हैं कई मुहल्ले: पिछले दो महीने में कभी छिटपुट तो कभी मूसलधार बारिश का कहर ऐसा रहा कि अक्तूबर के अंत तक कई मुहल्ले डूबे हुए हैं. वहां से पानी निकासी संभव नहीं है. यहां का जलजमाव सूरज की किरणों के भरोसे ही पड़ा है. हां, तब तक महीनों से जमा पानी सड़ कर बीमारी को खुला न्योता दे रहा है. जलजमाव का एक दुष्प्रभाव यह भी है कि अपना घर होते हुए लोगों को किराये के घरों में तो कितनों को शरणार्थी बन कर सगे-संबंधियों के यहां रहना पड़ रहा है.
वहीं गांव से शहर आकर किराये में रहने वाले लोगों ने घर में व मुहल्लों की सड़कों पर पानी चढ़ते ही मकान खाली कर वापस गांव की ओर लौट गए. शहर के न्यू कॉलोनी, नया बाजार, सराही, अली नगर, रहमान चौक, प्रताप नगर, चाणक्यपुरी, हटिया गाछी सहित अन्य कई मुहल्लों में जलजमाव की यथास्थिति बनी हुई है.

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