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नियुक्ति रद्द होने पर भी लेते रहे वेतन

2012 में 18 शिक्षकों का रद्द किया था नियोजन नव पंचायत सचिव के प्रभार मिलने के बाद हुआ खुलासा 2006 में नियोजित 19 शिक्षकों में से 18 शिक्षकों के नियोजन में भारी पैमाने पर अनियमितता पर हाई कोर्ट ने रद्द की थी नियुक्ति आदेश को दबा कर कर रहे थे नौकरी, ले रहे थे वेतन […]

2012 में 18 शिक्षकों का रद्द किया था नियोजन

नव पंचायत सचिव के प्रभार मिलने के बाद हुआ खुलासा
2006 में नियोजित 19 शिक्षकों में से 18 शिक्षकों के नियोजन में भारी पैमाने पर अनियमितता पर हाई कोर्ट ने रद्द की थी नियुक्ति
आदेश को दबा कर कर रहे थे नौकरी, ले रहे थे वेतन
नये पंचायत सचिव ने आवेदन देकर की कार्रवाई की मांग
पदाधिकारियों से सांठ-गांठ हो, तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है. 2012 में नियुक्त रद्द हो चुके 18 शिक्षक अब तक वेतन का लाभ ले रहे थे. अब मामला उजागर होने पर कार्रवाई की मांग की गयी है.
सिमरी बख्तियारपुर :जिले के सलखुआ प्रखंड के मोबारकपुर पंचायत में वर्ष 2006 में नियोजित कुल 19 शिक्षकों में से 18 शिक्षकों के नियोजन में भारी पैमाने पर अनियमितता किये जाने पर हाईकोर्ट द्वारा चार वर्ष पूर्व रद्द कर दिये जाने के बावजूद उक्त आदेश को ठेंगा दिखाते हुए विभागीय सांठ-गांठ से अभी तक सभी शिक्षकों को नियमित वेतन देकर शिक्षा घोटाले का एक रिकार्ड स्थापित कर दिया गया है. इसका खुलासा वर्तमान पंचायत सचिव भवेश शर्मा को प्रभार मिलने के बाद हुआ. श्री शर्मा ने संबंधित सभी कागजातों के साथ प्रखंड से लेकर जिला के सभी वरीय पदाधिकारियों को आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की है.
2012 के आदेश के बावजूद संबंधित पदाधिकारी हाइकोर्ट के आदेश को दबा कर सरकारी राशि का दुरुपयोग करते रहे. इतने बड़े मामले का खुलासा होते देख नव पदस्थापित पंचायत सचिव ने सारे सबूत के साथ वरीय पदाधिकारी को निबंधित डाक से सूचना दे दी. वर्तमान मुखिया एवं पंचायत सचिव ने आशंका जाहिर की है कि उक्त सभी जालसाज मिल कर पूर्व की तिथि में फिर से नियोजन पत्र देने की तैयारी में हैं.
क्या है मामला
राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2006 में सभी पंचायतों के रोस्टर तैयार कर शिक्षक नियोजन के लिए अधिसूचना निकाली गयी थी. इस आलोक में सलखुआ प्रखंड के मोबारकपुर पंचायत में मुखिया, पंचायत सचिव एवं नियोजन समिति ने सभी नियम कानून को ताक पर रख आर्थिक लाभ के चक्कर में मनमानी व जालसाजी तरीके से अपूर्ण अहर्ता वाले 18 शिक्षकों का नियोजन कर दिया था. जिसमें जहाना खातून, मोसर्रत बानो, आजरा खातून, मो तैयब आलम, राबिया खातून, नेमुना खातून, मो आहिया आजमी, प्रवीण कुमार प्रवीण, लीला कुमारी, मो रियाज अहमद, पंकज कुमार चौधरी, कंचन कुमारी,
मीना कुमारी, मनोज कुमार हेंब्रम, विजया लक्ष्मी यादव, हुमेरा खातून, फरमूद आलम व बीबी शुदा हैं. हाइकोर्ट ने मात्र एक प्रशिक्षित शिक्षक कृष्ण कुमार भारती को वैध माना. पूर्ण अहर्ता वाले नियोजन से वंचित चार अभ्यर्थी सतीश कुमार, कमर इकबाल, सहला तबस्सुम एवं अबु नसर ने उक्त नियोजन के विरोध में वर्ष 2008 व 09 में जिला शिक्षक नियोजन प्राधिकार में अलग अलग मामला दायर कर इंसाफ की गुहार लगायी.
प्राधिकार ने वर्ष 2009 में चारों मामले की एक साथ सुनवाई कर अवैध रूप से नियोजन किये जाने पर संतुष्ट होकर 18 शिक्षकों के नियोजन रद्द कर नियोजन समिति पर कार्रवाई कर वेतन मद में शिक्षकों को दी गयी राशि पंचायत सचिव से वसूलने का आदेश पारित किया था. उक्त आदेश के विरुद्ध सभी 18 शिक्षकों ने वर्ष 2009 में अलग अलग हाइकोर्ट में अपील दायर की थी. हाइकोर्ट ने तत्काल सभी शिक्षकों को राहत देते हुए अंतिम सुनवाई तक सभी शिक्षकों को बरकरार रखा था. वर्ष 2012 में हाइकोर्ट ने इस मामले की अंतिम सुनवाई कर जिला शिक्षक नियोजन प्राधिकार द्वारा पारित आदेश पर ही मुहर लगा कर सभी 18 शिक्षकों के नियोजन रद्द कर दिया गया था.

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