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पॉलीथिन की थैली छोड़ें

प्रतिबंधित होने के बावजूद जिले भर में पॉलीथिन थैलियों का उपयोग बढ़ रहा है. ये हमारी सांसों में जहर घोल रही है. सहरसा : राज्य सरकार के आदेश पर प्लास्टिक थलियों के उपयोग पर पूर्णतया प्रतिबंध होने के बावजूद जिले भर में धड़ल्ले से इसका उपयोग किया जा रहा है. इस बारे में सुप्रीम कोर्ट […]

प्रतिबंधित होने के बावजूद जिले भर में पॉलीथिन थैलियों का उपयोग बढ़ रहा है. ये हमारी सांसों में जहर घोल रही है.

सहरसा : राज्य सरकार के आदेश पर प्लास्टिक थलियों के उपयोग पर पूर्णतया प्रतिबंध होने के बावजूद जिले भर में धड़ल्ले से इसका उपयोग किया जा रहा है. इस बारे में सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक से कई बार दिशा-निर्देश जारी हो चुका है, पर इसका असर कहीं पर भी नजर नहीं आ रहा.
शहरों में कभी-कभार अभियान चलाकर जरूर सड़क पर सब्जी-फ्रूट समेत अन्य खाद्य सामग्री बेचने वालों पर कार्रवाई की जा रही है, पर दुकानदारों पर सख्ती नहीं करने से प्लास्टिक के थैले शहर में गंदगी फैलाने, नालों को जाम करने के साथ पर्यावरण को भी दूषित कर रहे हैं. पशुओं के लिए ये जानलेवा हैं. जनजीवन को भी खतरे में डाल रहा है. जिले को की समस्या से मुक्त करने के लिए प्रशासन से ज्यादा नागरिकों व्यापारियों का सहयोग जरूरी है.
बीमारियों की आशंका: प्लास्टिक का बिस्फेनाल रसायन शरीर में डायबिटीज लीवर एंजाइम को असामान्य कर देता है. जला कर नष्ट करने से भी कार्बन डाईआक्साइड, कार्बन मोनोआॅक्साइड व डाईआक्सीन्स जैसी विषैली गैस उत्सर्जित होती है. इनसे सांस, त्वचा आदि की बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है.
कुछ समस्याएं जरूर आयेगी: पॉलीथिन की थैली का उपयोग बंद होने से ग्राहक-व्यापारियों को कुछ परेशानी जरूर होगी, क्योंकि कपड़े या कागज के थैले पॉलीथिन की अपेक्षा काफी महंगे होते हैं. साथ ही आम लोगों में इसकी आदत नहीं है. हालांकि सब मिल कर प्रयास करेंगे, तो शहर को पॉलीथिन से मुक्ति मिल सकती है.
पॉलीथिन थैलियों का चमकीलापन आकर्षक जहर
पर्यावरणविद ओमप्रकाश गुप्ता का कहना है कि प्लास्टिक मूल रूप से नुकसानदायक नहीं होता, लेकिन प्लास्टिक के थैले अनेक हानिकारक रंगों/रंजक और अन्य तमाम प्रकार के अकार्बनिक रसायनों को मिला कर बनाये जाते हैं. रंग और रंजक एक प्रकार के औद्योगिक उत्पाद होते हैं. इनका इस्तेमाल प्लास्टिक थैलों को चमकीला रंग देने के लिए किया जाता है
प्लास्टिक बैग में शॉपिंग की छोड़नी होगी आदत: हाथ में थैला लेकर निकलने की शर्म और प्लास्टिक बैग में शॉपिंग करने की आदत हमें भी छोड़नी पड़ेगी. आप घर से हाथ में थैला लेकर ही शॉपिंग के लिए निकलें तो बेहतर होगा. दरअसल, आदत में शुमार हो चुकी ‘पॉलीथिन को ना कहिए’ की थीम के साथ आपको आज से ही इसके लिए प्रयास शुरू करना होगा. जब प्लास्टिक बैग का चलन नहीं था, तब भी हम थैले में सब्जी या सामान की शॉपिंग करने जाते थे. बाजार में सुंदर बैग मिल रहे हैं. घर में पुराने कपड़ों का झोला बनाने में भी हिचक नहीं होनी चाहिए. एक कपड़े या जूट का थैला काफी दिनों तक चलता है, गंदा होने पर इसे धोया भी जा सकता है. पर्यावरण और प्लास्टिक से होने वाले नुकसान को रोकने का विकल्प थैला ही है.
झोले का बढ़ेगा चलन: पॉलीथिन का उपयोग बंद होना बहुत ही जरूरी है. दुकानदार अगर कपड़ों की थैली में सामान देंगे तो उनके लिए यह महंगा सौदा साबित होगा. इसके लिए लोगों को ही घर से कपड़े की थैली साथ में लाने की पहल करनी पड़ेगी. प्लास्टिक की थैली पर प्रतिबंध नहीं लगने की स्थिति में लोगों को आगामी समय में कई परेशानियों से गुजरना होगा.

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