सड़क किनारे फेंका जीवित नवजात मिला, सफाइकर्मी ने उठाया

कहां जा रहा समाज नाभि की नली भी नहीं कटी थी, किसी क्रूर इनसान ने फेंक दिया मिलने के बाद तीसरे हाथ में पहुंचा बच्चा सहरसा : शहर की सामाजिकता व मानवता लगातार शर्मसार होती जा रही है. कल तक मृत नवजात को कुत्तों का निवाला बनने के लिए इधर-उधर फेंका जा रहा था. अब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 9, 2016 3:28 AM

कहां जा रहा समाज

नाभि की नली भी नहीं कटी थी, किसी क्रूर इनसान ने फेंक दिया
मिलने के बाद तीसरे हाथ में पहुंचा बच्चा
सहरसा : शहर की सामाजिकता व मानवता लगातार शर्मसार होती जा रही है. कल तक मृत नवजात को कुत्तों का निवाला बनने के लिए इधर-उधर फेंका जा रहा था. अब जीवित व पूर्ण स्वस्थ बच्चे को भी दुत्कार उसे मरने के लिए सड़कों के किनारे फेंका जाने लगा है. बच्चे के प्रति स्नेह व ममत्व का भाव जैसे समाप्त सा होता जा रहा है. कल तक यह कहानी लड़कियों के साथ बनती थी. अब लड़कों पर भी बीतने लगी है. सवाल है कि जब बच्चे का लालन-पालन, भरण-पोषण करना ही नहीं है या करने की क्षमता नहीं होती है तो उसे जन्म ही क्यों दिया जाता है? मां बनने का शौक रखने वाली महिला नौ माह तक उसे गर्भ में रख प्रसव पीड़ा क्यों सहती है? नौ माह तक अपने खून से सींचने के बाद जन्म दिए उस बच्चे के प्रति निष्ठुर क्यों और कैसे हो जाती है?
कपड़े से लिपटा थैले में पड़ा था : गुरुवार की ठिठुरती सुबह रमेश झा महिला कॉलेज से दक्षिण न्यू कॉलोनी में सड़क के किनारे पड़ा एक जीवित नवजात मिला. मां के गर्भ से बाहर आने के बाद उसके नाभी की नली अभी काटी भी नहीं गई थी. टहलने जाने के क्रम में मुहल्ले की एक महिला को पहले उस बच्चे के रोने की आवाज सुनायी दी. फिर नजर दौड़ाने पर एक थैले में पड़ा कपड़ों से लिपटा बच्चा दिखा. दौड़कर उसने थैले से बच्चे को निकाला. बच्चा वजनदार व पूरी तरह स्वस्थ था. पहले तो उसने उस बच्चे को जन्म देने वाली उसकी मां को खूब गालियां दी. खूब भला-बुरा कहा. फिर उसे उठा वह अपने घर ले गयी. उसने बच्चों के शरीर पर खून के लगे धब्बे को साफ किया. दूसरे साफ कपड़े में लपेटा और आग जलाकर सेंकने लगी.
थोड़ी ही देर में उसे देखने वहां लोगों की भीड़ लग गई. तब तक पास के महादलित टोले की सफाइकर्मी यह कहते उसे उठा ले गयी कि वह इसे पालेगी. वह बच्चा वहां भी नहीं रूका. उस सफाइकर्मी ने अस्पताल कॉलोनी में रहने वाले अपने संबंधी को वह बच्चा यह कहते उसे दे दिया कि उसे सिर्फ दो पुत्री है. यह बच्चा उसके पुत्र की कमी पूरा करेगा. पोस्टमार्टम रोड में सड़क किनारे झुग्गी में बसे अर्जुन मल्लिक के पास बच्चा है.

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