तिलकुट : ठिठुरन में गरमी का एहसास

सहरसा : गुलाबी ठंड के दस्तक देने के साथ ही बाजार में तिलकुट की दुकानें भी सज गयी थी. विभिन्न प्रकार के स्वाद में उपलब्ध तिलकुट के शौकीन भी खरीदारी के लिए दुकान पर मंडराने लगे हैं. तिल की बढ़ती कीमत का असर तिलकुट के कारोबार पर भी नजर आने लगा है. पहले की अपेक्षा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 12, 2016 6:49 AM

सहरसा : गुलाबी ठंड के दस्तक देने के साथ ही बाजार में तिलकुट की दुकानें भी सज गयी थी. विभिन्न प्रकार के स्वाद में उपलब्ध तिलकुट के शौकीन भी खरीदारी के लिए दुकान पर मंडराने लगे हैं. तिल की बढ़ती कीमत का असर तिलकुट के कारोबार पर भी नजर आने लगा है. पहले की अपेक्षा तिलयुक्त सामग्रियों की कीमत भी चार गुणा बढ़ गयी है. शहर के सौरभ तिलकुट भंडार के प्रोपराइटर सौरभ जी बताते हैं कि लागत व खर्च दोनों में बढ़ोतरी होने की वजह से कीमत बढ़ायी गयी है.

खोआ तिलकुट तीन सौ रुपये किलो
प्रोपराइटर सौरभ बताते हैं कि खोआ व खजुर से निर्मित तिलकुट तीन सौ रुपये किलो की दर से उपलब्ध है. बताते हैं कि उक्त तिलकुट की डिमांड दूसरे शहरों में भी रहती है. इसके अलावा चांद तिलकुट दो सौ रुपये, पापरी तीन सौ व राम कटोरी 160 रूपये किलो की दर से उपलब्ध है. दुकानदार कहते हैं कि सर्दी के मौसम में लोग उपहार स्वरूप मिठाई की जगह तिलकुट का आर्डर दे रहे हैं.
गया व नवादा से आये कारीगर: स्थानीय तिलकुट व्यवसायी उत्कृष्ट तिलकुट के निर्माण के लिए गया व नवादा के कारीगर पर निर्भर हैं. कारीगर बताते हैं कि उनलोगों के द्वारा अक्टूबर से ही तिलकुट का निर्माण शुरू कर दिया जाता है. कारीगर बताते हैं कि चीनी व गुड़ दोनों ही तरह के तिलकुट की खपत शहरी व गामीण क्षेत्रों में रहती है.

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