सीएम सर, आपने ही दी थी आरओबी की पहली स्वीकृति
राजनीतिक हथकंडा बन कर रह गया है बंगाली बाजार का ओवरब्रिज देरी के साथ टूटती जा रही लोगों की आस और बढ़ती जा रही है परेशानी सहरसा : मुख्यमंत्री जी, शायद आपको याद होगा जब पहली बार आप केंद्र में रेलमंत्री बने थे. तब 1997 में आपने ही बंगाली बाजार के प्रस्तावित रेल ओवरब्रिज को […]
राजनीतिक हथकंडा बन कर रह गया है बंगाली बाजार का ओवरब्रिज
देरी के साथ टूटती जा रही लोगों की आस और बढ़ती जा रही है परेशानी
सहरसा : मुख्यमंत्री जी, शायद आपको याद होगा जब पहली बार आप केंद्र में रेलमंत्री बने थे. तब 1997 में आपने ही बंगाली बाजार के प्रस्तावित रेल ओवरब्रिज को स्वीकृति दी थी. दस करोड़ रुपये के बजट वाले इस आरओबी के लिए आपने ही प्रथम चरण में दो लाख रुपये विमुक्त भी किये थे. 2013 की बात भी आपको याद होगी. जब तत्कालीन क्षेत्रीय सांसद शरद यादव के कहने पर आपने राज्य सरकार की ओर से कुल लागत की आधी रकम देने की भी स्वीकृति दी थी. लेकिन दुर्भाग्य है कि इस दिशा में अब तक कुछ भी नहीं हो सका है.
बन गया है राजनीतिक हथकंडा
मुख्यमंत्री जी, 19 वर्षों के बाद भी बंगाली बाजार में आरओबी का नहीं बन पाना यहां के राजनेताओं की विफलता ही बताती है. इसके बावजूद विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव तक सभी दल इसे अपने एजेंडे में पहले नंबर पर बताते रहे हैं. यह सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक हथकंडा बन कर रह गया है. विभिन्न दलों के नेता आरओबी का लॉलीपॉप दिखा जनता को दिग्भ्रमित कर रहे हैं. जबकि प्रमंडलीय मुख्यालय में इसके नहीं बनने से विकास प्रभावित हो रहा है. 24 घंटे में 36 बार लगने वाले जाम से अब महाजाम की समस्या गहराने लगी है. इस एक सड़क में जाम लगने से पूरा शहर महाजाम की चपेट में आ जाता है. स्कूली बच्चे हों या गंभीर बीमारी से ग्रस्त एंबुलेंस से अस्पताल जा रहे मरीज सब सरकार को कोसने के सिवाय कुछ नहीं कर पाते हैं. क्षेत्रीय सांसद पप्पू यादव ने दिसंबर में केंद्रीय राजमार्ग एवं उच्चपथ मंत्री नितीन गडकरी के हाथों दिसंबर में शिलान्यास के बाद काम शुरू कराने की बात कही थी. लेकिन अब तक गडकरी का कोई कार्यक्रम भी तय नहीं पाया है. बीते महीने आपकी सरकार के उपमुख्यमंत्री व पथ निर्माण मंत्री तेजस्वी ने बताया था कि उनके प्रयास से राज्य के 56 आरओबी को स्वीकृति मिली है. लेकिन उन्होंने भी यह नहीं बताया कि उसमें सहरसा का बंगाली बाजार शामिल है या नहीं. जानकारी के अनुसार उन स्वीकृत योजनाओं में इस आरओबी को शामिल नहीं किया गया है.
आरओबी का तीन बार हुआ शिलान्सास, अब चौथे का इंतजार
मुख्यमंत्री जी, बंगाली बाजार के इस आरओबी का अब तक तीन बार शिलान्यास किया जा चुका है. पहली बार 1997 में आपकी तत्कालीन सरकार के रेलराज्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने किया था. दूसरी बार 2005 में बड़ी रेललाइन के उद्घाटन के समय उस समय रेलमंत्री रहे लालू प्रसाद ने किया. जबकि तीसरी बार 2013 में शरद यादव के प्रयास से तत्कालीन रेल राज्यमंत्री अधीर रंजन चौधरी ने किया था. तीसरी बार 80 करोड़ के बजट वाले योजना में प्रथम चरण में दस लाख रुपये दिये गए थे. जिससे मिट्टी जांच का कार्य भी पूरा कर लिया गया. लेकिन फिर कोई काम आगे नहीं बढ़ सका. लोग हतोत्साहित व नाउम्मीद होते जा रहे हैं. लेकिन दूसरी ओर समस्या गहराती जा रही है. अब चौथे शिलान्यास के बाद निर्माण कार्य शुरू होने का सपना दिखाया जा रहा है. इस लंबित परियोजना के पूर्ण होने के लिए भी लोग आपकी और आपकी सरकार की ओर ही टकटकी लगाये हुए हैं.