हर मुहल्ले में बन रहा है बेसमेंट
कई मुहल्लों के अधिकतर घरों का निचला हिस्सा हो रहा बेकार लोगों ने कहा, सार्वजनिक हो ड्रेनेज सिस्टम का मास्टर प्लान सहरसा : नगर परिषद, जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की लापरवाही से शहर के हर मुहल्ले में बेसमेंट बनता जा रहा है. बारिश के पानी से घर को सुरक्षित करने के लिए वे आसपास मिट्टी […]
कई मुहल्लों के अधिकतर घरों का निचला हिस्सा हो रहा बेकार
लोगों ने कहा, सार्वजनिक हो ड्रेनेज सिस्टम का मास्टर प्लान
सहरसा : नगर परिषद, जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की लापरवाही से शहर के हर मुहल्ले में बेसमेंट बनता जा रहा है. बारिश के पानी से घर को सुरक्षित करने के लिए वे आसपास मिट्टी भरा रहे हैं या ठेकेदारी देकर कुछ लोगों को खुश करने के चक्कर में जनप्रतिनिधि सड़क पर सड़क बनवा रहे हैं. इससे लोगों के घर का निचला हिस्सा बेकार होता जा रहा है. बेवजह उन्हें ग्राउंड फ्लोर को बेसमेंट में तब्दील करना पड़ रहा है. या फिर वे उसकी तैयारी करने में लग गये हैं. जिनके पास पर्याप्त पैसा है, वे ऊपरी मंजिल बनाने की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन जो अभाव में हैं. वे बरसात के महीने की रिवर्स काउंटिंग कर अभी से सहमने लगे हैं.
बीते बरसात से लेना होगा सबक: साल 2016 में हुई बारिश और उसके बाद शहर की बनी स्थिति से नगर सहित जिला प्रशासन को सबक लेना होगा. जब महीने भर से ऊपर अधिकतर मुहल्ले की मुख्य सड़कें डूबी रहीं. लोग सिर्फ अनिवार्य कार्य से ही बाहर निकलते थे. घर से बाहर निकलने में भी उन्हें घुटने तक पानी को पार करना होता था. अधिकतर घर की महिलाएं व बच्चे महीने भर से अधिक समय तक घरों में कैद रह गए थे. बच्चों का स्कूल, कोचिंग, ट्यूशन सब बंद हो गया था. त्राहिमाम की स्थिति बन गई थी. शौचालय के टैंक के उपर से पानी के गुजरने के कारण उनका शौच जाना भी दूभर हो गया था. उसे जमे पानी में मल-मूत्र, सूअर, कुत्ते व इनसान सब तैरते नजर आते थे. लगभग एक महीने तक पानी को निकालने के लिए दिन-रात इंजन चलाने पड़े थे.