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मंडल कारा में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं, गुटबाजी चरम पर

सहरसा : सहरसा मंडल कारा में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है. कारा के अंदर कैदियों के बीच गुटबाजी जोरों पर है. एक पक्ष जेल प्रशासन पर दबंगई व गलत बर्ताव का आरोप लगा रहा है तो दूसरा पक्ष जेल प्रशासन पर लगे आराेपों को गलत बता रहा है. दो दिन पूर्व पेशी के लिए न्यायालय […]

सहरसा : सहरसा मंडल कारा में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है. कारा के अंदर कैदियों के बीच गुटबाजी जोरों पर है. एक पक्ष जेल प्रशासन पर दबंगई व गलत बर्ताव का आरोप लगा रहा है तो दूसरा पक्ष जेल प्रशासन पर लगे आराेपों को गलत बता रहा है. दो दिन पूर्व पेशी के लिए न्यायालय लाये गये पूर्व सांसद आनंद मोहन ने मीडिया से बातचीत में जेल अधीक्षक पर कई गंभीर आरोप लगाये. वहीं बुधवार को पेशी के लिए लाये गये पप्पू देव ने आरोपों को गलत बताया. वहीं बुधवार को जेल में पूर्व सांसद से मिलने पहुंचे पूर्व मंत्री अखलाक अहमद ने आनंद मोहन के आरोपों को सही बताते हुए जेल प्रशासन के खिलाफ आंदोलन की बात कही. इधर, नये घटनाक्रम में कैदियों के एक गुट ने कारा महानिरीक्षक को पत्र लिख कर जेल अधीक्षक पर कार्रवाई की मांग की है जबकि एक गुट ने डीएम को पत्र लिख कर जेल की व्यवस्था पर संतोष व्यक्त जताया है.

प्रशासनिक पक्षपात के कारण स्थिति विस्फोटक : आनंद मोहन
पूर्व सांसद सह मंडल कारा सहरसा में बंद आनंद मोहन सहित दो सौ 95 कैदियों ने कारा महानिरीक्षक को पत्र लिख कर मंडल कारा में प्रशासनिक पक्षपात के कारण जातीयता, तनाव, गुटबाजी के कारण उत्पन्न विस्फोटक स्थिति पर ध्यान आकृष्ट कराया है. कैदियों ने कहा कि नये अधीक्षक के पदभार ग्रहण करने के बाद जेल की सारी सकारात्मक गतिविधियां समाप्त हो गयी है. महानिरीक्षक को लिखे पत्र में कई गंभीर आरोप लगाये गये हैं. पत्र में कहा गया है कि आये दिन जेल के अंदर नोंक झोंक, गाली गलौज, मारपीट, डंडा बेड़ी, सेल, लाठी चार्ज व पगली घंटी आम बात हो गयी है.
अधीक्षक ने आते ही सर्वप्रथम अधिकारियों और सिपाहियों को जातीय आधार पर डराया धमकाया और बांट कर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई शुरू की. जेल प्रशासन को आतंकित करने के बाद कैदियों में गुटबाजी, जातीय व धार्मिक आधार पर बांटा है. पत्र में यह भी कहा गया है कि कुख्यात अपराधियों को जेल अधीक्षक अपने दफ्तर में बैठाते हैं. जेल में अराजकता का माहौल ऐसा है कि कोई भी अपनी मर्जी से गुट बना कर गाली गलौज व मारपीट कर सकता है. पिछले एक माह में दो बार पगली घंटी बजा कर आम बंदियों को पीटा गया. बंदियों ने कहा कि पगली घंटी के बाद कारणों का पता लगाने के लिए मजिस्ट्रेट की जांच बैठायी जाती है. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. मामले को सीएस व डीएम के माध्यम से लीपापोती की कोशिश हो रही है. इन घटनाओं के विरोध में बीते 30 जनवरी से कैदी हड़ताल पर है. आवेदन देने वालों में रूतन यादव, अमरजीत यादव, मो असगर अली, सुधीर झा, मुन्ना सिंह, रविशंकर झा सहित अन्य दो सौ 95 कैदियों के हस्ताक्षर हैं.

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