न चौड़ी हुई सड़क, न मिली ट्रैफिक पुलिस

रोज दो से चार बार लग जाता है महाजाम अतिक्रमण हटाने में प्रशासन की नहीं दिखती दिलचस्पी सहरसा : बीते कई वर्षों से शहर जाम की समस्या से जूझ रहा है. लेकिन इसके समाधान के लिए शासन और प्रशासन की कोई दिलचस्पी नहीं दिखती है. लिहाजा शहर की सभी प्रमुख सड़कों पर रोज लगभग दो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 17, 2017 5:41 AM

रोज दो से चार बार लग जाता है महाजाम

अतिक्रमण हटाने में प्रशासन की नहीं दिखती दिलचस्पी
सहरसा : बीते कई वर्षों से शहर जाम की समस्या से जूझ रहा है. लेकिन इसके समाधान के लिए शासन और प्रशासन की कोई दिलचस्पी नहीं दिखती है. लिहाजा शहर की सभी प्रमुख सड़कों पर रोज लगभग दो से चार बार महाजाम लगता है. इस जाम व महाजाम में लोग कराहते हैं. लेकिन वे फंसने के सिवाय कुछ नहीं कर सकते. हां, इस दौरान वे प्रशासन के विरुद्ध जम कर भड़ास निकालते हैं.
आगे बढ़ने की होड़ में लगता है जाम: एक तो दिनोंदिन शहर की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है. उसी अनुपात में यहां वाहनों की संख्या की भी भरमार हो गयी है. लेकिन उस हिसाब से उन्हें सड़क की सुविधा नहीं दी गयी है. न तो सड़कों का चौड़ीकरण किया जा रहा है और न ही यातायात के नियमों का पालन कराने के लिए स्थायी रूप से पुलिस की ही तैनाती की गयी है. लिहाजा बिना डिवायडर वाली सड़कों पर लोग यातायात के सारे नियमों को ठेंगा दिखाते एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लगे होते हैं और हर बार जाम की स्थिति बन जाती है. थोड़ी ही देर में वही जाम महाजाम में तब्दील हो जाता है और फंसे लोगों पुलिस के आने का इंतजार करने लग जाते हैं.
अतिक्रमण है बड़ा कारण: रोज लगने वाले के प्रमुख कारणों में यहां पसरा अतिक्रमण भी शामिल है. अतिक्रमण के कारण पगडंडी गायब हो चुकी है. शहर की सड़कें सिकुड़ चुकी हैं. शहर में लगातार अपना अधिपत्य स्थापित करते जा रहे अवैध अतिक्रमण पर भी प्रशासन संजीदा नहीं दिखता है. टू लेन की बात तो दूर यहां की सड़क वन वे के लिए भी काफी नहीं है. लेकिन रेस बढ़ने के साथ इन सड़कों पर फोर लेन में गाड़ियां फैल जाती है. बंगाली बाजार के बाद थाना चौक-गंगजला चौक,
शंकर चौक-धर्मशाला रोड एवं महावीर चौक-स्टेशन रोड सबसे अधिक जाम की चपेट में रहता है. अत्यंत व्यस्त होने के बावजूद सड़कों की संकीर्णता, पसरे अवैध अतिक्रमण के कारण इन सभी प्रमुख मार्गों पर रोज दो से चार बार महाजाम लगता है. हर बार यातायात को सामान्य करने के लिए सदर थाने से पुलिस बल को पहुंचना पड़ता है. लेकिन इस बीच समय पर अपने गंतव्य तक पहुंचने में लोग अक्सर फेल हो जाते हैं. बच्चों को स्कूल से घर अथवा घर से स्कूल, मरीज को अस्पताल या रेफर हुए मरीज को बाहर निकलने में काफी परेशानी होती है. वे सफेदपोश व जिला प्रशासन को कोस कर रह जाते हैं.

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