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गर्भवती महिला की हुई मौत

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By Prabhat Khabar Digital Desk | April 6, 2017 5:38 AM

अपराध. चिकित्सक पर लगाया लापरवाही का आरोप

सात माह की गर्भवती अन्नु की प्रसव के दौरान मौत हो गयी. परिजनों ने ग्रामीण चिकित्सक पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है. इस मामले में अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी गयी है. लेकिन प्रशासनिक लापरवाही ने दो बच्चियों के सिर से मां का साया उठा दिया. निर्देश के बाद भी फर्जी डॉक्टरों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की जा रही है.
सहरसा : सदर थाना क्षेत्र के रामफल टोला पशुपालन कॉलोनी निवासी मनोज दास की पत्नी दो बेटी की मां अन्नु भारती को अपनी जान बुधवार को ग्रामीण चिकित्सक के चक्कर में गंवानी पड़ी. जानकारी के अनुसार, अन्नू गर्भवती थी. मंगलवार की देर रात उसे दर्द हुआ तो परिजनों ने प्रारंभिक इलाज के लिए पशुपालन चौक के समीप ठाकुर मेडिकल के संचालक योगेंद्र ठाकुर से मिल कर उन्हें परेशानियों से अवगत कराया. इसके बाद अन्नू को भरती कर इलाज शुरू कर दिया गया.
कई घंटों के बाद परिजनों को तथाकथित चिकित्सक ने बताया कि उसे बेटा हुआ है. लेकिन अभी कोई नहीं मिल सकता है. कुछ देर बाद एक युवक खून का बैग लेकर आया और उसके ऑपरेशन थियेटर में घुसा. पति ने बताया कि छुप कर देखने पर पाया कि अन्नू को ही खून चढ़ा रहा है. पूछने पर बताया कि सब कुछ ठीक है, चिंता की कोई बात नहीं है.
पति ने बताया कि जब वह जबरदस्ती ऑपरेशन थियेटर गया, तो पत्नी की स्थिति देख दंग रह गया. उसका शरीर पीला हो गया था. हल्ला करने पर आनन-फानन में वह अन्नू को लेकर गांधी पथ स्थित एक क्लिनिक ले गया. जहां चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया.
प्रसव के लिए मांगा था 36 हजार रुपये
पति ने बताया कि पत्नी को भरती कराने के बाद तथाकथित डॉक्टर ने सफल इलाज के लिए 36 हजार खर्च बताया था. उसने हामी भर कर उनसे अविलंब इलाज करने का आग्रह किया. डॉक्टर के कहने पर उसने लगभग 21 हजार रुपये भी जमा कर दिया था. लेकिन इलाज में लापरवाही बरतने के कारण पत्नी की मौत हो गयी. पति ने बताया कि योगेंद्र ठाकुर ने जांच के बाद बताया था कि बच्चा सात माह का है और इलाज हो जायेगा. इलाज में खर्च पूछने पर बताया कि बहुत खर्च है
, तुमको 36 हजार लगेगा. इसके बाद उसने अपनी बहन की शादी में हुए कर्ज को तोड़ने के लिए रखे 21 हजार जमा कर दिया. इसके बाद डॉक्टर शौचालय के बगल में बने ऑपरेशन कक्ष में ले गया और उसे बाहर ही रहने को कहा. बेटा दिखाने की बात कहने पर स्थिर रहने को कहा गया.
पति को दिया प्रलोभन
मनोज ने बताया कि स्थिति बिगड़ने के बाद भी वह कुछ नहीं बता रहा था. काफी कहने पर वह अन्नू को गांधी पथ ले गया. जहां उस क्लीनिक के डॉक्टर ने अन्नू की मौत हो जाने की बात कही. जो उसने छुप कर सुन लिया. इतना सुनते ही वह बेहोश हो गया और गिर गया. स्थानीय लोगों ने उसे पानी पिला कर होश में लाया. पीड़ित पति ने बताया कि योगेंद्र ठाकुर उसे चुप रहने की बात कहते कहा कि चिंता मत करो, दोनों बेटी की शादी का खर्च वह वहन करेगा.
तुम्हारी बेटी मेरी बेटी के समान है. जबकि हकीकत यह है कि कुछ माह पूर्व भी इस तरह की घटना हुई थी. उसने पीड़ित परिवार को 51 हजार रुपये की सहायता व उसके द्वारा जमा किये गये 20 हजार रुपये वापस करने की बात कही थी. लेकिन वह आज तक उसका चक्कर लगा रहा है.
लौटी पुलिस
मामले की जानकारी किसी ने सदर थानाध्यक्ष को दी तो सदर थाना से पुअनि नीतेश कुमार, सअनि सुरेंद्र यादव सदल बल तथाकथित चिकित्सक के क्लिनिक पर पहुंचे. लेकिन तब तक परिजनों द्वारा शव को ले जाया जा चुका था. क्लिनिक पर किसी तरह की हलचल नहीं होने के कारण पुलिस को बैरंग वापस लौटना पड़ा.
इस बाबत सदर थानाध्यक्ष पुनि भाई भरत ने बताया कि मामले की जानकारी मिली थी. दो बार पुलिस पदाधिकारी को भेजा गया था. तथाकथित क्लिनिक बंद था और शव को परिजन लेकर चले गये थे. यदि परिजन कोई आवेदन देंगे, तो शव का पोस्टमार्टम करा कर आगे की कार्रवाई की जायेगी.
लापरवाही से किसी की मौत हो गयी समाज के ठेकेदार करा रहे थे मैनेज
मौत की लग रही थी कीमत
अन्नू के पति मनोज व देवर सनोज अपने सामने अन्नू शव देख बार बार बेहोश हो रहे थे. आंगन से लेकर दरवाजे तक लोगों की भीड़ जुटी थी, तो दूसरे तरफ समाज के कुछ ठेकेदार मौत की कीमत लगा रहे थे. ठेकेदारों ने कहा कि दोनों समाज के अंग हैं और गलती हुई है तो समाज के सामने वह निदान भी करेगा. वहीं पति ने बताया कि सब गुमराह करने में लगे हैं. वह न्याय के लिए पुलिस से लेकर सरकार तक जायेगा.

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