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237 की जगह दे रहे 28 रुपये

परेशानी. नहर किनारे िमट्टी के माउंट निर्माण में बरती जा रही है अनियमितता साढ़े तीन से चार फीट के बजाय दो से ढाई फीट का बनाया जा रहा माउंट सत्तरकटैया. वन विभाग द्वारा नहर किनारे माउंट निर्माण में भारी पैमाने पर अनियमितता की जा रही है. नहर किनारे पौधरोपण करने के लिए तीन से चार […]

परेशानी. नहर किनारे िमट्टी के माउंट निर्माण में बरती जा रही है अनियमितता

साढ़े तीन से चार फीट के बजाय दो से ढाई फीट का बनाया जा रहा माउंट
सत्तरकटैया. वन विभाग द्वारा नहर किनारे माउंट निर्माण में भारी पैमाने पर अनियमितता की जा रही है. नहर किनारे पौधरोपण करने के लिए तीन से चार फीट ऊंची मांउट बनाने का प्रावधान किया गया है, लेकिन दो से ढ़ाई फीट ऊंची माउंट निर्माण कर घपला किया जा रहा है. इस माउंट निर्माण कार्य को अंजाम देने वाले मजदूरों को प्रति माउंट 237 रुपये की दर से भुगतान देने का प्रावधान है, लेकिन मजदूरों को मात्र 28 रुपये की दर से भुगतान किया जाता है. जाहिर है शेष राशि विभाग के कर्मियों व पदाधिकारियों के बीच बंदरबांट हो जाती है.
वन विभाग द्वारा प्रखंड क्षेत्र के पुरीख मैनर वरूपनगरा मैनर जीरो आरडी नहर में मजदूरों के द्वारा नहर किनारे पौधरोपण करने के लिए माउंट बनवाया जा रहा है. इस कार्य में लगे लगभग पचास मजदूरों ने बताया कि उनको प्रति माउंट 28 रुपये की दर से भुगतान किया जाता है. मजदूरों की देख भाल करने वालों को दो रुपये के दर से कमीशन दिया जाता है. यह कार्य फोरेस्टर व फोरेस्ट गार्ड के माध्यम से कराया जाता है. तैयार माउंट की देखभाल करने वाले गार्ड को भी कमीशन दिया जाता है.
माउंट बनाने के नाम पर हो रहा घपला : नहर किनारे माउंट बनाने के नाम पर भारी पैमाने पर घपला किया जा रहा है, लेकिन इस घपले की जांच आज तक नहीं हो पायी है. पुरीख मैनर नहर में काम कर रहे मजदूर नागो सादा, सुखदेव सादा, छठू सादा, सुरेंद्र सादा, धूथर सादा, कौशल सादा, सदानंद सादा, मनोज सादा, शंकर सादा, डोमी सादा,
घोपल सादा, लल्लू सादा, जागो सादा सहित अन्य ने बताया कि मजदूर का नेतृत्व कर रहे नुनूलाल यादव द्वारा दो रूपये प्रति माउंट कमीशन काटकर 28 की दर से भुगतान किया जाता है. प्रति दिन एक मजदूर 10 से 15 माउंट बनाते हैं. वहीं नुनूलाल यादव ने बताया कि आठ घंटे काम के बदले प्रतिदिन मजदूर को 255 रुपये भुगतान किया जाता है.
माउंट की ऊंचाई में भी होती है कटौती : सरकारी प्रावधान के अनुसार पौधरोपण करने के लिए प्रति माउंट की ऊंचाई साढ़े तीन से चार फीट होती है, लेकिन विभाग द्वारा दो से ढ़ाई फीट का माउंट ही बनवाया जाता है. जो पौधरोपण होने से पहले ही मिट्टी में मिलना शुरू हो जाता है. इसके कारण पौधरोपण के बाद पचास प्रतिशत पौधा भी जीवित नहीं रह पाता है. वन विभाग द्वारा यह माउंट बनाने का काम हर जगह किया जा रहा है.
कहते हैं अधिकारी
जिला वन क्षेत्र पदाधिकारी विद्यापति सिन्हा ने बताया कि माउंट बनवाने की जिम्मेवारी फोरेस्टर व फोरेस्ट गार्ड की है. ऐसी शिकायत है तो इसकी जांच करायी जायेगी.

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