एसीएस शिक्षा विभाग के निर्णय के विरुद्ध संघर्ष का निर्णय
एसीएस शिक्षा विभाग के निर्णय के विरुद्ध संघर्ष का निर्णय
शिक्षा विभाग में कार्यरत सभी बीपीएमयू व डीपीएमयू ने की बैठक सहरसा . शिक्षा विभाग में कार्यरत सभी बीपीएमयू व डीपीएमयू ने शुक्रवार को मत्स्यगंधा परिसर में सामूहिक बैठक की. बैठक में कर्मियों ने विभाग के अपर मुख्य सचिव के तानाशाही फरमान की आलोचना की. संघ जिलाध्यक्ष धर्म चंदन रजक ने कहा कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था में सुधार के उद्देश्य से पूर्व अपर मुख्य सचिव केके पाठक द्वारा प्रत्येक प्रखंड व जिला स्तर पर ब्लॉक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट व जिला प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट का गठन किया था. इसका मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति को धरातल पर लागू करना था. वर्ष 2023 में सचिवालय में विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा न्यूनतम एमबीए व बीटेक डिग्री धारक व 5 से 10 वर्ष का कार्य अनुभव रखने वाले योग्य उम्मीदवारों का पूरी पारदर्शिता के साथ चयन किया गया था. इसके तहत स्क्रीनिंग व साक्षात्कार की प्रक्रिया अपनाई गयी. जिससे शिक्षा विभाग के कार्यों में अभूतपूर्व सुधार देखने को मिला. उन्होंने कहा कि बीपीएमयू व डीपीएमयू के गठन के बाद बिहार की शिक्षा प्रणाली में कई सकारात्मक परिवर्तन हुए. ई शिक्षा कोष का प्रभावी क्रियान्वयन, आधार कार्ड व अपार आईडी का सुचारू संचालन, एफएलएम, टीएलएम, पीबीएल जैसी योजनाओं को गति मिली. साथ ही विद्यालय अनुश्रवण प्रणाली को मजबूत किया गया. उन्होंने कहा कि उन लोगों की बदौलत शिक्षा विभाग से संबंधित सभी योजनाएं तीव्र गति से क्रियान्वित हुई व बिहार में शिक्षा सुधार को एक नई दिशा मिली. इधर 31 मार्च 2025 के बाद सेवा समाप्ति का फरमान जारी कर दिया गया. वर्तमान अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ द्वारा हाल ही में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आउटसोर्स कर्मियों की सेवाएं 31 मार्च 25 के बाद समाप्त करने की घोषणा की गयी है. इस निर्णय ने हजारों आउटसोर्स कर्मियों को मानसिक पीड़ा में डाल दिया है. उन्होंने कहा कि बीपीएमयू एवं डीपीएमयू कर्मी दिन रात मेहनत कर शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में लगे हैं. फिर भी कोई वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार नहीं है. वेतन भुगतान में अनियमितता, भविष्य असुरक्षित व अंधकार में है. यह स्थिति तब है जब पूरी ईमानदार एवं मेहनत से कार्य किया गया है. उन्होंने कहा कि इस अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद किया जाएगा व आउटसोर्स कर्मियों के हक एवं अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने बताया कि महासंघ ग्रुप गुट ने स्पष्ट कर दिया है कि अपर मुख्य सचिव ने अपना तानाशाही निर्णय वापस नहीं लिया तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा व शिक्षा विभाग की सभी सेवाओं को ठप कर दिया जाएगा. साथ ही सरकार को मजबूर किया जाएगा कि वह आउटसोर्स कर्मियों को नियमित करे. उन्होंने कहा कि यह लड़ाई अंतिम सांस तक जारी रहेगी. बैठक में मुख्य रूप से अन्य विभिन्न मुद्दों पर भी चर्चा की गयी.
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