फिर छलका ओवरब्रिज का दर्द, माननीयों ने उठाया सदन में मुद्दा
माननीयों ने उठाया सदन में मुद्दा
एक बार फिर जगी आस, मंत्री ने दिया आश्वासन विधानपरिषद में एक जुट होकर ओवरब्रिज की बताईं जरूरत प्रतिनिधि, सहरसा अचानक से एक बार फिर बंगाली बाजार ओवरब्रिज की गूंज मंगलवार और बुधवार को शहर में चर्चा का विषय बना रहा. कारण यह था कि विधान परिषद में माननीयों का दर्द आरओबी के मुद्दे पर एक साथ विधान पार्षद डॉ अजय कुमार के प्रस्ताव पर झलका. इसका बड़ा कारण यह था कि सभी नेता जो शहर के इस ओर से मधेपुरा अथवा दूसरी ओर जाते हैं, वे घंटों जाम में फंस कर इसकी जरूरत के गवाह बने हैं. जनता की जरूरत और उसकी आवश्यकता के कारण इसकी अहमियत सर्वाधिक है. सदन में हुई चर्चा ने जहां सरकार की मंशा और शैली पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा किया, वहीं इसके निर्माण में राजनीतिक अड़ंगेबाजी की ओर भी बरबस ध्यान जाना लाजिमी था. क्योंकि पड़ोसी जिले के जनप्रतिनिधि के माध्यम से पहले इस सवाल पर रोड़ा अटकाया गया है. साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया कि न्यायालय की ओर से पूर्व प्रस्तावित नक्शे पर कोई रोक नहीं है. नया एलाइनमेंट पर मामला न्यायालय में विचाराधीन है. इतिहास बन गया ओवरब्रिज की मांग वर्ष 1997-98 में बंगाली बाजार संपर्क 31 ए स्पेशल आरओबी को स्वीकृति मिली थी. जिसकी प्राक्कलित राशि 10.35 करोड़ थी. जिसमें रेलवे के अंशदान का हिस्सा 5.61 करोड़़ था और राज्यांश 4.74 करोड़़ था. उस समय इस रेल क्रॉसिंग की टीयूवी 1.5 लाख थी. मालूम हो कि टीयूवी की गणना में इस रेल सड़क क्रासिंग से गुजरने वाले कुल वाहन और ट्रेनों की आवाजाही को एक यूनिट माना जाता है. जबकि साइकिल, रिक्शा जैसे वाहनों की गिनती आधे यूनिट में होती है. अब वर्तमान स्थिति से तुलना करके देखा जाये तो इसके कई गुना बढ़ने का अनुमान सहज लगाया जा सकता है. मालूम हो कि सहरसा रेलवे स्टेशन ने वर्ष 1887 से काम करना शुरू किया था. फिलवक्त यहां पांच प्लेटफार्म और सात रेलवे ट्रैक कार्यरत हैं. यहां बने प्लेटफार्म का एक मुहाना रेलवे समपार पर ही स्थित होने से रेलवे फाटक का बारंबार गिरना भी सुरक्षा की दृष्टि से लाजमी है. लेकिन शहर वासियों के लिए इसका समाधान तीस वर्षों से नहीं निकाला जा सका. शहर के बंगाली बाजार समपार संख्या 31 बेशक एक जरूरत है, लेकिन इसके समाधान के लिए राजनीतिक सीढ़ियों का इस्तेमाल किया गया. जहां सामाजिक आर्थिक व लोगों की महत्वाकांक्षाएं हाशिए पर चली गयी प्रतीत होती है. प्रस्तावित लाइट आरओबी का निर्माण ठप अव्यवस्था का आलम यह है कि जाम में खड़े वाहनों के रोज सैकड़ों रुपए के ईंधन खड़े-खड़े फूंक जाते हैं. गंगजला रेलवे ढाला से वाहनों की सुगमता से परिचालन के लिए प्रस्तावित लाइट आरओबी का निर्माण ठप पड़ा है. कुछ दिन पूर्व शहर के अंदर छह ओवरब्रिज निर्माण की बात भी सामने आयी, जिसका जिक्र वर्तमान बजट में कहीं नहीं है. लोग कहते हैं कि कहीं यह भी जुमला ही न हो, लेकिन मंगलवार को विधान परिषद की कार्रवाई के दौरान मंत्री विजय सिन्हा के जबाव में निर्माण की संभावना दिखाई दे रही थी. बाक्स में ……………………………………….. आरओबी मामले को उलझा रही पुल निर्माण निगम : एमएलसी सहरसा विधानपरिषद में सहरसा शहर से जुड़ी रेल ओवरब्रिज निर्माण से संबंधित ध्यानाकर्षण प्रस्ताव सदन के पटल पर विधानपरिषद सदस्य डाॅ अजय कुमार सिंह के द्वारा रखा गया. उन्होंने कहा कि बीते 40 वर्ष से सहरसा शहर के आम नागरिक बंगाली बाजार रेल ओवरब्रिज निर्माण की मांग कर रहे हैं. वर्ष 2000 में पहली बार इसका शिलान्यास हुआ और इसकी निविदा तीन बार निकाली गयी. अंतिम रूप से आरओबी निर्माण के लिए पुनर्निविदा 27 जुलाई 2023 को आमंत्रित की गयी. जिसकी तिथि बार-बार बढायी जा रही है. विधान पार्षद डाॅ अजय कुमार सिंह ने सदन में जोरदार ढंग से सहरसा की लाखों जनता की पीड़ा का बयान करते हुए सबों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. उन्होने कहा कि रेल फाटक बंद होने से सदर अस्पताल आने के क्रम में दर्जनों लोगों की जान गयी है. सदन में सरकार की तरफ से उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने जबाव देते हुए कहा कि रेल मंत्रालय एनओसी नहीं दे रही है. इस पर विधानपार्षद ने सदन को अवगत कराया कि जब रेल और बिहार सरकार की संयुक्त टीम ने अध्ययन कर नक्शा, अलायनमेंट पर सहमति प्रदान की, उसके बाद ही निविदा की प्रक्रिया आरंभ हुई, फिर नए सिरे से अनापत्ति प्रमाणपत्र की आवश्यकता क्यों है. सरकार ने भू अर्जन के लिए एक सौ करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान भी किया है. विधान पार्षद महेश्वर सिंह ने सदन में कहा कि अगर बिना अनापत्ति प्रमाणपत्र के निविदा प्रक्रिया प्रारंभ की गयी तो इसके लिए कौन दोषी है. मंत्री ने अवगत कराया कि नये अलायनमेंट पर अनापत्ति प्रमाणपत्र की मांग की गयी थी. जब नहीं मिली तो पुराने अलायनमेंट पर ही निविदा प्रक्रिया में फिर से लायी जा रही है. विधान पार्षद डाॅ संजीव कुमार सिंह ने कहा कि सहरसा शहर की यह एक बड़ी समस्या है. कमिश्नरी मुख्यालय होने के बावजूद सहरसा की समस्या के निदान में देरी हो रही है. सरकार को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए. विधान पार्षद डाॅ अजय कुमार सिंह ने कहा कि उच्च न्यायालय से निर्माण पर कोई स्थगन या रोक नहीं है. उन्होंने सूचना का अधिकार में बिहार राज्य पुल निर्माण निगम द्वारा उपलब्ध करायी गयी जानकारी की प्रति भी सदन में दिखाई, डाॅ सिंह ने कहा कि पुल निर्माण निगम जानबूझकर मामले को उलझा रही है. मालूम हो कि नये एलाइनमेंट का मामला कोर्ट में है. फोटो – सहरसा 14 – शंकर चौक आरोबी स्थल फोटो – सहरसा 15 – बंद फाटक बना जंजाल फोटो – सहरसा 16 – गिरते फाटक के बीच से भागते लोग, हादसा को आमंत्रण फोटो – सहरसा 17 – गंगजला लाइट ओवरब्रिज का ठप हुआ निर्माण कार्य फोटो – सहरसा 18 – सदन में आरोबी पर बोलते डाॅ अजय कुमार सिंह
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