अनाज के बदले 70 प्रतिशत अंदौली और समदा के किसान उगाते हैं सब्जी कृषि विभाग यदि प्रोत्साहित करें तो, यहां की सब्जियां बिहार में बनायेगी पहचान सब्जी उत्पादन को देखकर बाबा रामदेव ने इस गांव को लिया था गोद छत्री कुमार, सौरबाजार सब्जी उत्पादन कर अपनी आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से सहरसा जिला स्थित सौरबाजार प्रखंड के अंदौली और समदा गांव के किसान अनाज के बदले अपनी खेतों में सब्जी उगाते हैं. यहां आने पर आपको सालों भर कोई न कोई सब्जी किसानों के खेत में अवश्य लगा मिल जायेगी. यहां के 70 प्रतिशत किसान अपने खेतों में अनाज नहीं उगाते हैं. वे अपने खेतों में सालों भर सब्जी ही उगाते हैं और उन सब्जियों को लोकल बाजारों में बेचने के अतिरिक्त कोसी प्रमंडल समेत बिहार के अन्य जिलों के बाजारों में भी भेजते हैं. यहां की मिट्टी भी बलुआही है, जो सब्जी की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है. बलुआही मिट्टी रहने के कारण बरसात के समय में भी पानी का जमाव यहां नहीं होता है. जिसके कारण बारिया के मौसम में भी खेत हरी सब्जियों से लदी रहती है. वर्तमान में यहां खेतों में खीरा, कद्दू, झिंगा, झिंगली, भिंडी, करैला और बैंगन लगा हुआ है. जिसकी मांग बाजारों में काफी है. ये सभी सब्जियां समाप्त होने के बाद गोभी, टमाटर, भिंडी, पालक,प्याज समेत अन्य मौसमी सब्जियों से खेत सज जायेगी. गेहूं, धान और मक्का के बदले ये लोग सब्जी की खेती कर काफी खुश हैं और अच्छी खासी आमदनी भी कर लेते हैं. लेकिन सरकार द्वारा इन किसानों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है. सिंचाई के लिए लगाया गया अधिकांश बिजली ट्रांसफार्मर और तार चोरी हो गये हैं. सिर्फ खेत तक खंभा लगा हुआ है. जिसके कारण किसान डीजल पंपसेट से महंगे दामों पर अपने सब्जी को पटवन करने पर मजबूर हैं. यदि कृषि विभाग यहां के किसानों को सिंचाई समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराये और बेहतर सब्जी उत्पादन करने वाले किसानों को समय-समय पर प्रोत्साहन करे तो यहां की सब्जी बिहार में अलग पहचान बनायेगी. यहां के स्थानीय किसान नंदू मेहता, विजय मेहता, कैलाश मेहता, ओपन मेहता, नरेश यादव, प्रभात रंजन, बुच्चन मेहता समेत दर्जनों किसानों ने बताया कि हमलोगों लगभग 25 वर्षों से अधिक समय से अपने खेतों में अनाज उगाने के बजाय सब्जी उगाते आ रहे हैं. खेतों में सालों भर कोई न कोई सब्जी लगी ही रहती है. उत्पादित सब्जी को समदा, सौरबाजार, बैजनाथपुर, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, खगड़िया समेत अन्य बाजारों में भेजा जाता है. इनलोगों ने बताया कि अनाज उगाने के बजाय यदि किसान सब्जी का उत्पादन करे तो वे आर्थिक तंगी का रोना छोड़कर अपनी आमदनी बढ़ाकर अपने परिवार का अच्छे तरीके से भरण-पोषण करने के साथ साथ बच्चों को अच्छी शिक्षा भी दे सकते हैं. इस गांव के किसानों को देख आसपास के गांव समदा, महेशपुर, दानचकला, बखरी, बैजनाथपुर, गम्हरिया, सपहा समेत अन्य गांव के लोगों ने भी सब्जी उगाने की योजना बनानी शुरू कर दी है. लेकिन कृषि विभाग की उदासीनता के कारण यह पूरी तरह सफल नहीं हो पाया. बाबा रामदेव ने लिया था गोद आज से लगभग एक दशक पूर्व पतंजलि के संरक्षक योग गुरु बाबा रामदेव ने इस गांव के किसानों के उत्साह, मेहनत और लगन को देखकर पूरे अंदौली गांव को गोद लेकर यहां गौशाला खोलने और सब्जी उत्पादन के लिए विकसित करने की योजना बनायी थी. उस समय उनके कहने पर यह गांव पूरी तरह नशा मुक्त हो गया था. गांव में न तो कोई नशा बेचता था और न हीं कोई उनका उपयोग करता था. यहां तक कि गांव के दुकान में तंबाकू और गुटखा बिकना बंद हो गया था. लेकिन यह बात मात्र घोषणा तक ही सीमित रह गया. इससे आगे कुछ नहीं हो पाया. यदि यहां के किसानों को सरकार द्वारा प्रोत्साहन और सुविधा मिले तो सब्जी उत्पादन के लिए बिहार में यह अपना अलग पहचान बना लेगी. फोटो – सहरसा 01 व 02 – अंदौली गांव के खेतों में लगी सब्जी.
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