मौके पर जुटे साहित्यकारों ने की बीते दिनों की चर्चा सहरसा . वरिष्ठ साहित्यकार शालिग्राम जी का जन्मदिन उनके निज आवास पर धूमधाम से मनाया गया. उनके जन्मदिन पर स्थानीय साहित्यकार के अलावे पूरे भारत के लोगों ने उन्हें शुभकामना संदेश भेजी. सहरसा के साहित्यकारों ने उनके जन्मदिवस को उनकी साहित्यिक कृति एवं चर्चाओं के माध्यम से बधाई दी. साठ एवं सत्तर के दशक के साहित्यकारों के बारे में विशेष रूप से चर्चा का मुख्य विषय रहा. साहित्यकार शैलेंद्र शैली ने उनके समकालीन साहित्यकार के बारे में चर्चा की. साथ ही स्थानीय लोग जिनके साथ उनका उठना बैठना होता था, के बारे में अपनी बातों को रखा. रंगकर्मी किसलय कृष्ण ने वर्ष 2008 के उस दौर को याद किया जब वे उनका जीवन वृत्त पर एक संस्मरण आलेख छपा था. कवि व लेखक कुमार विक्रमादित्य ने बताया कि भले उनकी हाथ, कान व आंखें जवाब देने लगी है. लेकिन अभी भी साहित्यिक लगाव इतना है कि प्रत्येक सप्ताह कोई ना कोई पुस्तक वह पढ़ते रहते हैं. थरथराते कलम से अपनी टिपण्णी देते रहते हैं. उन्होंने बताया कि बाबा नागार्जुन उनके यहां आते थे एवं कई साहित्यिक कृति का आविर्भाव इसी परिसर से हुआ. साहित्यकार मुख्तार आलम ने उनसे जब मैथिली के संबंध में पूछा तो अचानक चांगुर पत्रिका की चर्चा करने लगे. जब कभी वह उसमें लिखा करते थे. मैथिल यायावार ने उनके विराट व्यक्तित्व पर प्रकाश डालकर उनके जन्मदिन को और यादगार बना दिया. कवि व लेखक श्यामानंद लाल दास ने कहा कि शालिग्राम जी से बहुत कुछ सीखा है. शालिग्राम जी के बेटे-बेटियों ने फणीश्वर नाथ रेणु के साथ बिताये क्षण को याद कर उस दौर की याद को ताजा कर दिया. उनके पुत्र अजय बाबू ने प्रसिद्द साहित्यकार राजकमल चौधरी के उन दिनों को याद किया. जब कभी वह उनके आवास पर आते थे. शालीग्राम जी ने राजकमल चौधरी के पुत्र नील माधव चौधरी जिसे वे नीलू से संबोधित करते थे, उनके बारे में पूछा एवं उनके संस्मरणों को याद किया. इस मौके पर मनोज कुमार, उनके बड़े पुत्र शेखर कुमार, पुत्री, पौत्र व मुहल्ले के लोग मौजूद थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है