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कोसी नदी में दो घंटे तक भटकती रही नाव, डेढ़ दर्जन शिक्षकों की सांस अटकी

कोसी नदी में दो घंटे तक भटकती रही नाव, डेढ़ दर्जन शिक्षकों की सांस अटकी

By Prabhat Khabar News Desk | July 12, 2024 11:24 PM

नाव से स्कूल जा रहे थे शिक्षक, नाव के किनारे लगने पर शिक्षकों की जान में जान आयी शिक्षकों ने की तटबंध के पूर्वी भाग के विद्यालयों में प्रतिनियुक्त करने की मांग नवहट्टा (सहरसा). कोसी नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ है. बाढ़ के हालात कई इलाकों में बन चुके हैं. इस दौरान शुक्रवार को डेढ़ दर्ज शिक्षकों की जान सांसत में पड़ गयी, जब मौसम बिगड़ने के कारण उनकी नाव कोसी नदी में भटक गयी. डेढ़-दो घंटे बाद किसी तरह नाव किनारे लगी, तब जाकर शिक्षकों की जान में जान आयी. बाढ़ प्रभावित पंचायत के विद्यालयों के शिक्षकों को जान हथेली पर रखकर स्कूल जाने की मजबूरी है. कोसी पूर्वी तटबंध के ई टू घाट से मध्य विद्यालय परताहा बरहारा, गोविंदपुर, प्राथमिक विद्यालय महुआचाही के लिए डेढ़ दर्जन से अधिक शिक्षक एक नाव पर सवार होकर सुबह सात बजे विद्यालय के लिए प्रस्थान किये. ई टू घाट से नाव सात बजे खुली जरूर, लेकिन नौ बजे तक भी किनारे नहीं लग सकी, जबकि प्रत्येक दिन शिक्षकों को मात्र 45 मिनट में ही पूर्वी भाग से पश्चिमी भाग तक लेकर नाविक चले जाते थे. पर, शुक्रवार को शिक्षकों को लेकर चली नाव डेढ़ से दो घंटे तक करीब चार से पांच किलोमीटर की दूरी में भटकती रही. नाव पर सवार शिक्षकों ने बताया कि कुहासे के कारण नाविक को किनारे का पता ही नहीं चल रहा था. इस कारण नाव पर बैठे डेढ़ दर्जन से अधिक शिक्षकों की सांसें अटकी रहीं. वह अपनी जान की रक्षा के लिए नाव पर ईश्वर से प्रार्थना करते रहे. किसी तरह किनारे लगी नाव करीब डेढ़ से दो घंटे तक नदी में भटकने के बाद शिक्षकों से भरी नाव किनारे लगी. नाव में सवार सभी शिक्षक किसी तरह अपनी जान बचाते हुए अपने विद्यालय तक पहुंचे. राहत की खबर यह है कि इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ. फंसे पीड़ित शिक्षकों ने एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर इसे मुद्दा बनाया. उन्होंने जिला प्रशासन से बाढ़ की अवधि में छुट्टी देने या पूर्वी तटबंध के पूर्वी भाग के ही किसी विद्यालय में प्रतिनियुक्ति करने की मांग की, जिससे उन्हें जान जोखिम में डालकर विद्यालय नहीं जाना पड़े. शिक्षकों ने यह भी कहा कि बाढ़ की अवधि में विद्यालय में बच्चे नहीं आते हैं. शिक्षक अपनी उपस्थिति बनाकर ही विद्यालय में सुबह से शाम तक रहते हैं और लौट जाते हैं. फोटो – सहरसा 10- नाव पर सवार शिक्षक.

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