बीपी एक साइलेंट किलर, इसकी नियमित जांच है जरुरी : डॉ गिरिजा शंकर झा

बीपी एक साइलेंट किलर, इसकी नियमित जांच है जरुरी : डॉ गिरिजा शंकर झा

By Prabhat Khabar News Desk | May 16, 2024 10:03 PM

वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे आज तेजी से बदलती जीवनशैली एवं खान-पान से बढ़ रही है हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी, नींती अस्पताल पटना की ओपीडी में आकर ले सकते हैं अनुभवी डॉक्टरों से परामर्श सहरसा. आज के समय में खराब जीवनशैली, मानसिक तनाव, ज्यादा नमक का सेवन करने के कारणों से बीपी की बीमारी तेजी से बढ़ी है. बीपी कई दूसरी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है. मरीज इसकी दवा ना लें या लापरवाही बरते तो हाइपरटेंशन या बीपी जानलेवा साबित हो सकता है. इसे कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए. उक्त बातें वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे की पूर्व संध्या पर नींती कार्डियक अस्पताल पटना के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ गिरिजा शंकर झा ने कही. उन्होंने कहा कि हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप एक ऐसी बीमारी है जिसमें ब्लड अपनी सामान्य गति से तेज होकर अधिक तीव्र गति से प्रवाहित होने लगता है. जिससे रक्त नलियों एवं इससे जुड़ें रहने के कारण शरीर के सभी अंगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. ऐसा देखा जाता है कि जितनी तीव्र गति से रक्त प्रवाहित होता है उतना ही अधिक रक्त नलियों पर जोर पड़ता है. उन्होंने कहा कि बीपी दो प्रकार का होता है उच्च एवं अल्प रक्तचाप. इसमें उच्च रक्तचाप हृदय सहित सभी अंगों को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है. शुरुआती दिनों में नहीं दिखते कोई लक्षण बीपी की समस्या को लेकर नींती अस्पताल पटना के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ गिरिजा शंकर झा ने कहा कि शुरुआती दौर में यह बीमारी लक्षण रहित होती है. इसलिए इसकी नियमित जांच की जरूरत है. शुरुआत में लक्षण भले ही नहीं दिखे लेकिन धीरे-धीरे यह हार्ट, ब्रेन, किडनी व आंख को खराब कर देती है. लक्षण तब प्रकट होता है जब ये अंग खराब होकर दिक्कतें पैदा करते हैं. सांस फूलना, सर दर्द होना, स्ट्रोक होना या ज्यादा समस्या बढ़ने पर लकवा होना, अंधापन और किडनी रोग हो सकता है. इसलिए इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है. किडनी की बीमारी बहुत बाद में होती है. लेकिन तब तक इतनी देर हो जाती है कि इसे रोकना या पूरी तरह से ठीक करना संभव नहीं होता. उन्होंने बताया कि हार्ट के मरीजों के लिए ब्लड प्रेशर का नियंत्रित रहना सबसे महत्वपूर्ण है. इसे नियंत्रित कर के अपने हार्ट को बचा सकते हैं. उन्होंने कहा कि खानपान और जीवनशैली में सुधार लाकर हाई बीपी से बचा जा सकता है. इससे बचने के लिए खानपान में तीन चीजों का ध्यान रखने की जरूरत है. सबसे पहले नमक कम से कम खाएं. दूसरा सेचुरेटेट फैट एवं तीसरा जंक फूड का सेवन न करें. जहां तक हो फल की मात्रा खाने में बढ़ाएं. नमक या सोडियम की मात्रा कम करें. पोटैशियम की मात्रा बढ़ाएं. पोटैशियम नारियल पानी, नींबू, संतरा सहित अन्य रसदार फलों में पाया जाता है. जीवन शैली ठीक रखें, तनाव से दूर रहें, संतुलित आहार लें, व्यायाम करें प्रणायाम करें यहीं बीपी से बचने का मूल मंत्र है.

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