श्मशान घाट नहीं रहने से आमजन परेशान

श्मशान घाट नहीं रहने से आमजन परेशान

By Prabhat Khabar News Desk | August 2, 2024 5:50 PM

बिहार सरकार के तत्कालीन उप मुख्यमंत्री के निर्देश पर स्वीकृत भूमि के बावजूद नहीं बन रहा है श्मशान घाट सलखुआ .ग्राम पंचायत सलखुआ में श्मशान के लिए स्वीकृत भूमि आवंटन के बावजूद नहीं बन रहा है श्मशान घाट. गांव के निवासी श्मशान घाट नहीं होने के कारण परेशान हैं. लोगों की मांग पर जून 2021 में बिहार सरकार के तत्कालीन उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के प्रयास से तत्कालीन जिलाधिकारी के निर्देशानुसार तत्कालीन सीओ श्यामकिशोर यादव व प्रभारी सीआई ब्रजनंदन सिंह के नेतृत्व में सरकारी अमीन रविंद्र कुमार द्वारा सलखुआ मौजा में खेसरा 5162 रकवा 3 कट्टा श्मशान घाट के लिए जमीन की मापी कर नजरी नक्शा तैयार कर स्वीकृत हुआ था. लेकिन प्रशासनिक व्यवस्था का आलम यह है कि उक्त भूमि पर आज तक शमसान घाट का निर्माण नहीं किया जा सका है. गांव में किसी की मृत्यु होने पर खेतों में या सड़क के किनारे अंतिम संस्कार करने पर मजबूर होना पड़ रहा है. बरसात के समय में तो विकट समस्या उत्पन्न हो जाती है. किसी की मृत्यु होने पर परिजन शोक में डूबे रहते हैं, जबकि ग्रामीणों को उसके अंतिम संस्कार की फ्रिक रहती है कि बारिश के मौसम में कैसे अंतिम संस्कार होगा. समस्याओं के निराकरण के लिए दर्जनों बार प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से शिकायत की जा चुकी है. लेकिन इसके बाद भी हालत जस की तब बनी हुई है. बुधवार को सेविका बबिता कुमारी की मृत्यु के बाद ग्रामीण सहित परिजन उसके दाह संस्कार के लिए श्मशान घाट नहीं रहने से लाचार हो एसएच 95 के किनारे संस्कार के लिए गये थे. लेकिन जैसे ही लोग शव लेकर पहुंचे कि भीषण आंधी बारिश से घंटों तक परिजनों को इंतजार करना पड़ा. अंतिम यात्रा में शामिल जिप अध्यक्ष प्रतिनिधि पूर्व जिप अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार यादव, पूर्व मुखिया वीआईपी नेता मिथिलेश विजय, पूर्व प्रमुख अशोक यादव, दिनेश चौधरी, भाजपा नेता मिथिलेश भगत, मिथिलेश जायसवाल, नरेश भगत, विक्की कुमार, पंकज पोद्दार, मंटू भगत, संजीव साह, बबलू साह, गणेश सहनी, अमरजीत सहनी, सूरज कुमार, मन्नी कुमार, नीतीश पोद्दार ने कहा कि सलखुआ में श्मशान घाट नहीं रहने से हिंदू परिवार अपने स्वजन के शव को अपने ही खेत में लोगों का विरोध सहते अंतिम संस्कार करते हैं. जिन्हे जगह नहीं है, वे इस सड़क के किनारे खानाबदोश की तरह शव का दाह संस्कार करने को मजबूर हैं. लोगों ने अविलंब श्मशान घाट बनाने की मांग की है.

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