25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

गाद को हटाने की प्रक्रिया के तकनीकी अध्ययन के लिए देश के शीर्षस्थ संस्थाओं से हो अनुबंध

वीरपुर बराज से जल का अधिकतम निसरण 6.50 लाख क्यूसेक से अधिक आंकी गयी.

बाढ़ की जटिल समस्या की ओर विशेष ध्यान देने को लेकर विधान पार्षद ने मुख्यमंत्री को भेजा पत्र सहरसा कोसी नदी में अक्तूबर में आये उफान से पूरे कोसी क्षेत्र में दहशत का माहौल बने रहने को लेकर क्षेत्र के विधान पार्षद डॉ अजय कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित कर कोसी क्षेत्र के लोगों की इस जटिल समस्या की ओर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि नेपाल के जल अधिग्रहण क्षेत्र में भारी बारिश के कारण कोसी अपने रौद्र रूप में आयी एवं वीरपुर बराज के 56 फाटक खोलने पड़े. वीरपुर बराज से जल का अधिकतम निसरण 6.50 लाख क्यूसेक से अधिक आंकी गयी. कोसी के पूर्वी एवं पश्चिमी तटबंध पर भारी दवाब था. इसलिए पश्चिमी कोसी तटबंध टूट गयी. कोसी बराज का निर्माण वर्ष 1963 में हुआ है. यह अपनी आयु सीमा समाप्त कर चुकी है. कोसी बराज में कोसी नदी को देखते हुए एक विस्तृत तकनीकी अध्ययन की आवश्यकता है. साथ ही कोसी बराज में जल के अधिग्रहण की क्षमता गाद के कारण काफी कम हो गयी है. मॉनसून के समय बराज पर अतिरिक्त दवाब पड़ता है. उन्होंने गाद को हटाने की प्रक्रिया के तकनीकी अध्ययन के लिए देश के शीर्षस्थ संस्थाओं से अनुबंध करने का मुख्यमंत्री से अनुरोध किया. या फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गाद के स्थायी समाधान के लिए जानकारी लेने की बात कही. उन्होंने कोसी एवं मेची नदी लिंक परियोजना पर एक बार फिर से तकनीकी अध्ययन कराने की बात कही. जैसा कि उन्हें जानकारी मिली है कि वीरपुर बराज से कोसी का वार्षिक डिस्चार्ज का दसवां हिस्सा भी कोसी-मेची नदी लिंक परियोजना के तहत मेची नदी में नहीं जा पायेगा. ऐसा है तो इस महत्वाकांक्षी योजना, जो खर्चीली भी है, की उपादेयता सवालों के घेरे में है. कोसी के लोग विकास के मामले में दबे एवं पिछड़ें हैं. कोसी तटबंध के निर्माण के फलस्वरूप तटबंध के अंदर की बसावट को पुनर्वासित किया गया. जिसमें 40 प्रतिशत स्थल ऐसे हैं, जो सालों भर पानी में डूबे रहते हैं. इस मामले में भी जांच अपेक्षित है. कोसी तटबंध के निर्माण के बाद प्रभावी क्षेत्रों के विकास के लिए कोसी विकास प्राधिकरण का निर्माण सरकार के स्तर पर किया गया था. जिसका अपना बजट प्रावधान भी होना सुनिश्चित हुआ था. लेकिन बाद के दिनों में इसे सरकार के स्तर पर ठंढ़े बस्ते में डाल दिया गया. यह पूर्वी एवं पश्चिमी कोसी तटबंध के बीच में रहने वाले लाखों की आबादी के साथ अन्याय से कम नहीं है. आज देश के दूसरे प्रदेश विकास की नित्य नयी गाथा लिख रहे हैं. कोसी के लोग बाढ़, सुखाड़, रिलिफ जैसी समस्याओं से आजादी के 75 साल बाद भी जूझ रहे हैं. उन्होंने कोसी क्षेत्र के लोगों की इस जटिल समस्या की ओर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें