किसानों के चेहरे पर छाने लगी है मायूसी सौरबाजार . बारिश नहीं होने के कारण पानी की जगह धान के खेतों में अब दरारें पड़ने लगी है. जिसके कारण किसानों के चेहरे पर मायूसी छाने लगी है. माॅनसून की पहली बारिश में हीं किसानों ने धान की रोपनी शुरू कर दी थी. कुछ बचे भागों में बारिश नहीं होने के बाद मोटर और पंपिंग सेट से पटवन कर भी रोपाई की गयी. लेकिन अब बारिश रूक जाने के कारण धान लगे खेतों में दरारें पड़़ने लगी है. जिसने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. कुछ किसानों ने धान की पटवन भी शुरू कर दी है, लेकिन सिंचाई के लिए लगाया गया अधिकांश बिजली ट्रांसफार्मर खराब पड़ा है या चोरों द्वारा उनके तेल और पार्ट्स की चोरी कर ली गयी है. जिसके कारण वे काम करने की स्थिति में नहीं है. पंपिंग सेट से सिंचाई करना हर किसानों के बूते की बात नहीं है. क्योंकि पंपिंग सेट से सिंचाई करने में प्रति घंटा 2 सौ से 250 रुपये प्रति घंटा चार्ज लगता है. किसानों का कहना है कि एक तो महंगे दामों पर बीज खाद खरीद कर फसल लगाते हैं. उपर से प्रकृति की मार से हमलोग त्रस्त हैं. सरकार की किसानों के लिए दी जा रही सुविधा सिर्फ कागज तक हीं सीमित रह जाती है. धरातल पर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है. हर खेत तक पानी पहुंचाने का वादा करने वाली सरकार किसानों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. किसी भी पंचायत में सिंचाई के लिए लगाया गया ट्रांसफार्मर काम नहीं कर रहा है. जिसके कारण किसान महंगे दामों पर पंपिंग सेट से पटवन करने पर मजबूर हैं. किसानों ने सिंचाई के लिए लगाये गये ट्रांसफार्मर को दुरुस्त करने की मांग बिजली विभाग से की है, ताकि सुलभ तरीके से पटवन का काम हो सके.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है