जिला हीट वेब की चपेट में, मॉनसून की पहली वर्षा 15 तक होने की संभावना
मॉनसून की पहली वर्षा 15 तक होने की संभावना
तापमान में रोज हो रही बढ़ोत्तरी सहरसा . पिछले लगभग 15 दिनों से जिला भीषण गर्मी की चपेट में है. प्रतिदिन तापमान में वृद्धि से आम जनमानस के आगे रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो रही है. खासकर दिहाड़ी मजदूरों को काम नहीं मिलने से उनके चूल्हे ठंढे पड़ने लगे हैं. वहीं पानी नहीं होने से कृषकों के हाथ पांव फूलने लगे हैं. आम जनजीवन त्राहिमाम की स्थिति में है. लोग मॉनसून की पहली बारिश के इंतजार में हैं. पहले मौसम पूर्वानुमान में समय से पूर्व मॉनसून प्रवेश की संभावना जतायी गयी थी. लेकिन तपती दोपहरिया को देख दूर-दूर तक वर्षा की संभावना नजर नहीं आ रही है. लेकिन मौसम विभाग अब समय से 15 जून तक मॉनसून जिले में प्रवेश की संभावना जता रहा है. इधर किसान भी मॉनसून की पहली बारिश के इंतजार में हैं. जिससे वे खेत में धान के बिचडे डाल सकें. साथ ही बिजली कटौती से लोग रतजगा करने को विवश हैं. बुधवार को अधिकतम तापमान लगभग 39 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया है. पूरे जिले में भीषण हीट वेब की लहर जारी है एवं लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया है. भरी दोपहरी में जहां सड़कें तक सूनी हो रही हैं. वहीं लोग छांव देखते ही सुस्ताने लगते हैं. जानकारी देते क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान अगवानपुर के तकनीकी पदाधिकारी जितेंद्र कुमार ने बताया कि भारत मौसम विज्ञान विभाग के संख्यात्मक मॉडल के विश्लेषण के अनुसार 15 जून तक तापमान में कमी एवं मॉनसून की वर्षा होने की संभावना जतायी गयी है. अभी दो दिन सहरसा, मधेपुरा एवं सुपौल में भीषण हीट वेव की संभावना है. मौसम के गतिविधियों में परिवर्तन को देखते हुए हीट वेब की स्थिति के परिणाम स्वरूप शारीरिक तनाव हो सकता है. जिसके परिणाम सवरूप गंभीर बीमारी हो सकती है. हीट वेव के दौरान प्रभाव को कम करने एवं हीट स्ट्रोक के कारण होने वाली गंभीर बीमारी को रोकने के लिए धूप में विशेष रूप से दोपहर 12 बजे से तीन बजे के बीच बाहर जाने से बचें. बाहर का तापमान अधिक होने पर श्रमसाध्य गतिविधियों से बचें. अपने घर को ठंडा रखे. रात में परदे, शटर या सनशेड का प्रयोग करें एवं खिड़कियों को खोंले. जितनी बार संभव हो भले प्यास न लगी हो, पानी पीते रहें. यात्रा के दौरान अपने साथ पानी जरुर रखे. हलके रंग के ढीले एवं झरझरा सूती कपडे पहने. धूप में बाहर जाते समय सुरक्षात्मक चश्मे, छाता, टोपी, जूते या चप्पल का प्रयोग करें. पंखे, नम कपड़े का प्रयोग एवं बार बार ठंढे पानी से स्नान करें. शराब, चाय, कॉफी एवं शीतल पेय से बचें. जो शरीर को निर्जलित करते हैं. पशुओं को छाया में रखे एवं उन्हें पीने के लिए भरपूर पानी दें. बेहोशी या बीमार महसूस करते हैंं तो तुरंत चिकित्सक के पास जाये. ओआरएस, घर के बने पेय जैसे लस्सी, तोरानी, चावल का पानी, नींबू पानी खाने में उपयोग करें. जो शारीर को फिर से हाईड्रेट करने में मदद करते हैं. उच्च प्रोटीन वाले भोजन से बचें एवं बासी भोजन न करें. किसान परिपक्व मुंग की फलियों को तुड़ाई करें. मक्का के दाने को धूप में सुखाकर सुरक्षित स्थान पर भंडारित करें. परती खेतों में गहरी जुताई करके खाली छोड़ दें. जिससे मिट्टी में छुपे कीट के प्यूपा, लार्वा एवं खरपतवार के बीज सूर्य की रोशनी पड़ने पर नष्ट हो सके. धान एवं खरीफ मक्का, सोयाबीन, मुंग, उर्द व अरहर लगाने के लिए खेत की तैयार करें.
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