जिलाधिकारी के मॉडल अस्पताल की व्यवस्था में सुधार का निर्देश बेअसर
जिलाधिकारी के मॉडल अस्पताल की व्यवस्था में सुधार का निर्देश बेअसर
मरीजों की परेशानी बरकरार, एक दिन पूर्व डीएम के औचक निरीक्षण के बावजूद नहीं दिख रहा सुधार इर्मेजेंसी में डॉक्टर के इंतजार में बैठे मरीज होते रहे परेशान सहरसा. जिला प्रशासन द्वारा मॉडल अस्पताल की व्यवस्थाओं को सुधारने के उद्देश्य से लगातार निरीक्षण और सख्त कदम उठाया जा रहा है. लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है. शनिवार को जिलाधिकारी वैभव चौधरी ने औचक निरीक्षण के दौरान कई चिकित्सकों को अनुपस्थित पाया. जिसके बाद उन्होंने कड़ी कार्रवाई करते हुए अनुपस्थित डॉक्टरों का वेतन स्थगित करने का आदेश दिया. इसके बावजूद अस्पताल की सेवाओं में सुधार देखने को नहीं मिल रहा है. रविवार को दोपहर में इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टरों की अनुपस्थिति से मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ा रविवार को जब इमरजेंसी वार्ड में कोई चिकित्सक मौजूद नहीं था तो वहां मौजूद मरीज और उनके परिजन परेशान होकर डॉक्टरों की प्रतीक्षा करते रहे. सहरसा बस्ती रुपनगरा निवासी मो नजरुल, जो अपने किसी रिश्तेदार के इलाज के लिए इमरजेंसी वार्ड में पहुंचे थे, ने बताया कि वे लगभग दो घंटे से डॉक्टर का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन कोई डॉक्टर मौजूद नहीं है. इसी प्रकार सिमरी बख्तियारपुर से आयी अनिता देवी, जिनका हाथ टूटा हुआ था, ने बताया कि उन्हें इलाज की सख्त आवश्यकता है. लेकिन इमरजेंसी में देखने वाला डॉक्टर मौजूद नहीं है. अनिता देवी के साथ-साथ सिहौल की समदिया देवी व सोनबरसा कचहरी के निवासी खुशी लाल दास भी इसी परेशानी का सामना कर रहे थे. खुशी लाल दास ने बताया कि हम जैसे गरीब लोग सदर अस्पताल में इलाज कराने आते हैं. लेकिन यहां डॉक्टर साहब के नहीं होने के कारण हमारा इलाज नहीं हो पा रहा है. गरीब मरीजों का कहना है कि उनके पास निजी अस्पतालों में जाने की क्षमता नहीं है और सदर अस्पताल में उन्हें इलाज मिलने की उम्मीद होती है. लेकिन अस्पताल की अव्यवस्था उनके इलाज में बाधा बनी हुई है. चिकित्सकों की अनुपस्थिति से परेशान हुए मरीज जिलाधिकारी वैभव चौधरी द्वारा शनिवार को किए गये औचक निरीक्षण के दौरान उन्होंने अनुपस्थित चिकित्सकों के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए उनके वेतन स्थगित करने का आदेश दिया था. उनका कहना था कि यह कदम अस्पताल की व्यवस्था सुधारने के लिए आवश्यक था. इसके बावजूद अस्पताल के डॉक्टरों की अनुपस्थिति का प्रभाव रविवार को भी देखने को मिला. जब इमरजेंसी में गंभीर मरीजों को डॉक्टर की अनुपलब्धता का सामना करना पड़ा, इस दौरान कई मरीजों के परिजन निराश होकर सदर अस्पताल से निजी अस्पतालों की ओर रुख करते नजर आये. अस्पताल की स्थिति सुधारने को लेकर प्रशासन द्वारा बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं. लेकिन आम लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. मरीजों का कहना है कि जिला प्रशासन के वादों और अस्पताल की हकीकत में बड़ा अंतर है. गरीब और जरूरतमंद लोगों को बिना डॉक्टर के इलाज के लिए भटकना पड़ता है. जिससे उनकी तकलीफें और भी बढ़ जाती है. जिला प्रशासन द्वारा हर संभव प्रयास करने के बावजूद अस्पताल की सेवाओं में सुधार नहीं हो पा रहा है. निजी अस्पतालों की ओर रुख करते हैं लोग डॉक्टरों की अनुपस्थिति से हताश मरीज और उनके परिजन थक हार कर निजी अस्पतालों की ओर जाने पर मजबूर हो रहे हैं. मरीजों का कहना है कि प्रशासनिक लापरवाही के कारण उन्हें निजी अस्पताल में महंगा इलाज कराना पड़ रहा है. जबकि सदर अस्पताल में वे कम खर्च में इलाज की उम्मीद लेकर आते हैं. एक मरीज के परिजन ने कहा कि सरकारी अस्पताल में इलाज मिलने की उम्मीद से आये थे. लेकिन डॉक्टर नहीं मिलने पर मजबूरी में निजी अस्पताल जाना पड़ रहा है. जिला प्रशासन की जिम्मेदारी पर सवाल सदर अस्पताल की अव्यवस्था और डॉक्टरों की अनुपस्थिति से जिला प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा हो रहे हैं. जिलाधिकारी के द्वारा मरीजों का ससमय इलाज करने का आदेश का कोई असर अस्पताल प्रशासन पर नहीं पड़ा. लोगों का कहना है कि प्रशासन द्वारा बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं. लेकिन इनका जमीनी स्तर पर कोई असर नहीं दिखता. मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि यदि प्रशासन सच में अस्पताल की व्यवस्था सुधारना चाहता है तो उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि अस्पताल में चिकित्सक हमेशा उपलब्ध हो. मरीजों और उनके परिजनों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि अस्पताल की व्यवस्था को जल्द से जल्द सुधारा जाये. लोगों ने कहा कि अस्पताल की अव्यवस्था के कारण गरीब लोग अपने इलाज के लिए भी दर-दर भटकने को मजबूर हो रहे हैं. डॉक्टरों की नियमितता और इमरजेंसी वार्ड में चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि गंभीर रूप से बीमार मरीजों को उचित इलाज ससमय मिल सके. जिला प्रशासन के कड़़े निर्देशों के बावजूद सहरसा के मॉडल अस्पताल की व्यवस्था में कोई खास सुधार नहीं हो पा रहा है. अस्पताल में चिकित्सकों की अनुपस्थिति से आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
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