उप प्रबंधक तकनीकी एवं डीइओ के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर डीएम को दिया आवेदन
उप प्रबंधक तकनीकी एवं डीइओ के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर डीएम को दिया आवेदन
सहरसा शिक्षा विभाग के तत्कालीन उप प्रबंधक तकनीकी एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा किए गये सरकारी राजस्व के विचलन के आरोप में उनके विरुद्ध कार्रवाई को लेकर नगर निगम के विद्यापति नगर निवासी संजीत कुमार ने जिलाधिकारी को आवेदन दिया है. सीएमओ को भी पत्र प्रेषित किया है. आवेदन में कहा कि शिक्षा विभाग सहरसा में अभियंत्रण कोषांग के गठन के बाद डीईओ एवं तत्कालीन उप प्रबंधक तकनीकी अभियंत्रण कोषांग ने सिर्फ अपने निजी लाभ के लिए सभी विभागीय नियम को दरकिनार कर राज्य निधि से विद्यालयों के आधारभूत संरचना के क्रियान्वयन के लिए कार्यादेश निर्गत कर करोड़ों रुपये के सरकारी राजस्व का विचलन किया है. कहा, सूचना अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षा विभाग से सूचना उपलब्ध कराने के लिए चार अक्तूबर को आवेदन दिया था. एक माह बीत जाने के बाद जब सूचना उपलब्ध नहीं करायी गयी तो 11 नवंबर को प्रथम अपील समर्पित किया. उसके बाद उन्हें सूचना उपलब्ध करायी गयी. प्राप्त सूचना के अवलोकन से स्पष्ट है कि अभियंत्रण कोषांग सहरसा द्वारा पूर्व में निविदा संख्या 19 में कुल 32 ग्रुप के लिए निविदा का प्रकाशन किया गया था. जिसके सभी ग्रुप में संवेदकों द्वारा कार्य करने के लिए निविदा दर से संबंधित बीड समर्पित किया गया था. लेकिन इन दोनों अधिकारियों द्वारा अपने निजी लाभ को सर्वोच्च प्राथमिकता देते विभागीय नियमों को नजर अंदाज करते ग्रुप संख्या 10, 11 एवं 21 में संवेदक द्वारा समर्पित बीड में दशमलव का खेल करते बीड दर को ही बदल दिया गया. इनके द्वारा किया गया यह कार्य स्पष्ट रूप से सरकारी राजस्व के विचलन का मामला है. यह प्रमाण स्वयं विभाग द्वारा उन्हें सूचना के रूप में उपलब्ध कराया गया है. इस प्रकार इन दोनों पदाधिकारियों द्वारा सभी विभागीय नियमों कि अनदेखी करते सिर्फ अपने निजी लाभ के लिए वर्णित तथ्य के समान ही अन्य कई कारनामा करते सरकारी राजस्व का गबन किया. जो जांच से स्पष्ट रूप से प्रमाणित हो जायेगा. एक दिसंबर को मुख्यमंत्री बिहार को इस प्रकार के दोषी पदाधिकारी के विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई करने के संबंध में आवेदन सभी साध्य के साथ दिया था. मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा समर्पित आवेदन को सभी आवश्यक संलग्न साक्ष्य के साथ अग्रेत्तर कार्रवाई के लिए दो दिसंबर को जिलाधिकारी के मेल पर भेजते उसकी सूचना उन्हें भी उपलब्ध करायी गयी है. इतने समय बीत जाने के बाद भी इस प्रकार के भ्रष्ट अधिकारियों पर उनके स्तर से किसी भी प्रकार का विभागीय एवं विधि सम्मत कार्रवाई का नहीं होना संपूर्ण शासन व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाता है. उन्होंने अनुरोध किया कि मुख्यमंत्री कार्यालय से प्राप्त आवेदन पर यथोचित कार्रवाई करें. जिससे प्रशासन के प्रति आम जनता का विश्वास कायम रहे एवं भविष्य में इस तरह के सरकारी राजस्व के विचलन करने कि हिमाकत कोई भी सरकारी कर्मी नहीं कर सके.
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