सीएम की घोषणा के बावजूद आरण गांव में मोर अभ्यारण्य बनाने का सपना रह गया अधूरा

ग्रामीणों को आरण में मोर अभ्यारण्य बनाने का आश्वासन दिया

By Prabhat Khabar News Desk | January 21, 2025 6:40 PM

उदासीनता की शिकार बनी योजना, मोर पर होता है जंगली जानवरों का हमला आरण गांव में लोगों के दरवाज़े पर नाचते दिखाई देता था मोर सत्तरकटैया जिला मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित विशनपुर पंचायत का आरण गांव पांच साल पहले मोर गांव के नाम से प्रसिद्ध हो चुंका था. इस गांव में लोगों के घर, दरवाजे, खेल-खलिहान में विचरण करते व नाचते झूमते मोर की कहानी पर डाक्यूमेंट्री फ़िल्म तैयार की गयी थी. आरण गांव के मोर की चर्चा राज्य व देश स्तर पर होने लगी थी. इस बात की जानकारी मिलने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विश्वास यात्रा के दौरान आरण गांव आये थे और उन्होंने आरण गांव के खेत खलिहानों व जंगलों में अपनी आंखों से मोर को विचरण करते देखा था. सीएम ने आरण नहर चौक पर बने पंडाल में बैठकर डाक्यूमेंट्री फ़िल्म देखी और मोर की संपूर्ण कहानी की जानकारी ली. उन्होंने कारी यादव सहित अन्य ग्रामीणों को आरण में मोर अभ्यारण्य बनाने का आश्वासन दिया. उसके बाद वन विभाग द्वारा आरण गांव की सीमा पर मोर गांव आरण का बोर्ड भी लगाया और जंगलों को सुरक्षित करने के लिए कुछ काम भी शुरू किया गया. लेकिन फिर ठंढे बस्ते में डाल दिया गया. कारी यादव की यादों से जुड़ा है मोर की कहानी आरण गांव में मोर की कहानी अभिनंदन यादव उर्फ़ कारी यादव की यादों से जुड़ी हुई है. कारी यादव ने वर्षो पहले बंगाल से दो मोर लाया था. जिसे अपने आंगन में छोटी सी झोपड़ी बनाकर रखा. बताया जाता है कि दोनों मोर कारी यादव के साथ-साथ रहता था और खाना भी खाते थे. उसी के घर के आसपास विचरण करते थे. धीरे धीरे मोर की संख्या बढ़कर करीब पांच सौ हो गयी. मोर पूरे आरण गांव में छा गये. गांव के हर किसी के घर, दरवाजे व खेत खलिहानों में मोर नजर आने लगे. इससे किसानों को भारी नुकसान भी होने लगा. लेकिन कारी यादव के मोर के प्रति लगाव के कारण लोग चुप रहे. इस मोर की कहानी दूर-दराज तक फैल गयी. ज़ब मीडिया वाले व पदाधिकारियों का दौरा शुरू हुआ तो मोर गांव से जंगल की तरफ पलायन करने लगे और जंगली जानवरों का हमला भी शुरू हुआ तथा धीरे-धीरे मोर की संख्या घटने लगी. अब आरण गांव में यदा कदा ही मोर नजर आते हैं. लेकिन गांव के अगल बगल के जंगलों में अभी भी मोर मौजूद है. प्रगति यात्रा से ग्रामवासियो की जगी उम्मीदें आगामी 23 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा से ग्रामवासियों की उम्मीदें जग गयी है और पुरानी यादें ताज़ा होने लगी है. सीएम 23 जनवरी को मेनहा एवं विशनपुर गांव विभिन्न योजनाओं का उदघाटन करने आ रहे हैं. ऐसे में आरण गांव के मोर की यादें लोगों के जेहन में ताज़ा हो गयी है. बताया जाता है कि प्रगति यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री से यहां के ग्रामीण दिये हुए इस वादे को उठायेंगे ताकि सरकार का ध्यान एक बार फिर इस ओर जाये. आरण गांव वासियों ने बताया कि मोर अभ्यारण्य बनने से यहां के मोर सुरक्षित रहते, लेकिन वन विभाग द्वारा भी कोई पहल नहीं होने एवं समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण मोरों की संख्या जंगली जानवरों के हमले के कारण दिन ब दिन घटती जा रही है. यत्र तत्र रह रहे मोर पर जंगली जानवर अक्सर हमला कर उसे नुकसान पहुंचा रहे हैं.मोर के बच्चे को अक्सर जंगली जानवर हमला कर मार देते हैं. जिसके कारण इसकी सुरक्षा पर संकट के बादल छाये हुए हैं. आरण गांव के लोग मोर अभ्यारण्य नहीं बनने से हतोत्साहित हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version