टेन कोर्ट मामले में नाजिर के आवेदन पर किया गया मामला दर्ज प्रतिनिधि, सहरसा. व्यवहार न्यायालय के नये बने 10 कोर्ट भवन में पिछले 25 अप्रैल को लिफ्ट में एक लिपिक के घंटे फंसे रहने को लेकर व्यवहार न्यायालय के नाजिर मो निसार अहमद ने सदर थाना में मामला दर्ज कराया है. आवेदन में उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भवन निर्माण निगम लिमिटेड के द्वारा व्यवहार न्यायालय में 10 कोर्ट भवन का निर्माण कराया गया. इसके बाद एक अप्रैल 2023 को भवन में न्यायालय व कार्यालय का कार्य प्रारंभ किया गया. इसके चंद दिनों बाद ही भवन में तरह-तरह की निर्माण त्रुटियां सामने आने लगी. करीब एक वर्ष के बाद ही भवन में लगे विद्युत एवं यांत्रिक उपकरणों की स्थिति जर्जर हो चुकी है. इस संबंध में उप महाप्रबंधक बिहार राज्य भवन निर्माण निगम लिमिटेड को डीएलएमसी की प्रत्येक मासिक बैठक में अनुरोध के साथ अवगत कराया गया कि सभी त्रुटियों का निराकरण किया जाये. न्यायमूर्ति के साथ दो फरवरी 24 को आहूत बैठक में भी उप महाप्रबंधन बिहार राज्य भवन निर्माण निगम को इन त्रुटियों को दूर करने का निर्देश दिया गया. इसके पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा भी अलग से सभी त्रुटियों के निराकरण का निर्देश दिया गया, लेकिन इस संबंध में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी. उन्होंने कहा कि 10 कोर्ट भवन में तीन लिफ्ट लगे हुए हैं. इनमें हमेशा तरह-तरह की समस्या होती रहती है. लेकिन उनके निराकरण के लिए भवन निर्माण निगम लिमिटेड सहरसा या उसके संवेदक के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. इस दौरान 25 अप्रैल की सुबह 10 बजे कार्यालय कार्य के लिए एक लिपिक मनोज कुमार लिफ्ट से कार्यालय जा रहे थे. उनका कार्यालय चतुर्थ मंजिल पर स्थित है. लिफ्ट में जब उनके द्वारा चतुर्थ मंजिल पर जाने का बटन कंट्रोल पैनल पर अंकित किया गया तो लिफ्ट काफी खतरनाक ढंग से काफी तेज रफ्तार से चलने लगी व ऊपर चलती रही व पांचवीं मंदिर पर भी नहीं रूक कर सबसे ऊपर लिफ्ट के बॉक्स रूम के ऊपर छत से टकराकर रुक गयी. इस घटना में लिपिक मनोज कुमार की जान भी जा सकती थी. घटना से तीन दिन पहले 22 अप्रैल को ही इस लिफ्ट का मरम्मति कार्य भवन निर्माण निगम द्वारा करवाया गया था. इसके बाद भी इस तरह की घटना हुई. पूर्व में भी अधिकारियों के इस्तेमाल के लिए चिह्नित लिफ्ट में भी दुर्घटना होते-होते रह गयी है. जिससे किसी भी समय किसी वृहद दुर्घटना से इंकार नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि उप महाप्रबंधक, कनीय अभियंता दोनों बिहार राज्य भवन निर्माण निगम लिमिटेड व निर्माणकर्ता संवेदन द्वारा एक षड्यंत्र कर जान बूझकर भी विनिर्दिष्ट सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया गया व जानबूझकर घटिया व निम्न दर्जे के यंत्रों का इस्तेमाल कर बड़े पैमाने पर सरकारी राशि का गबन किया गया है. परिणामस्वरूप एक लिपिक की जान काफी मशक्कत के बाद छत व दीवार तोड़कर बचाया जा सका. उन्होंने तीनों व्यक्तियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर आवश्यक कानूनी कार्रवाई की मांग की. जिस आलोक में मामला दर्ज कर लिया गया है.
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