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तीन दिवसीय श्री उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव के सेमिनार में भाग लेंगे मूर्द्धन्य विद्वान

तीन दिवसीय श्री उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव के सेमिनार में भाग लेंगे मूर्द्धन्य विद्वान

आयोजन पांच व छह अक्तूबर को सहरसा. श्री उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव के राष्ट्रीय सेमिनार में भारत सरकार के पूर्व पुरातत्ववेत्ता व बीएन मंडल विश्वविद्यालय, कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय, केंद्रीय विश्वविद्यालय दक्षिण बिहार, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय व केंद्रीय विश्वविद्यालय देवप्रयाग के मुर्धन्य विद्वान अपने व्याखान प्रस्तुत करेंगे. इस बार सेमिनार का मुख्य विषय मिथिला सांस्कृतिक तत्व विमर्श में उग्रतारा व मंडन-दर्शन निर्धारित किया गया है. जिसमें उपविषय के रूप में मंडन मिश्र की पुस्तक मिमांशानुक्रमणिका, भावनाविवेक, विधिविवेक, स्पोटसिद्धि, विभ्रमविवेक, व ब्रह्मसिद्धि व उनके द्वारा प्रतिपादित भावाद्वैतवाद, ज्ञानकर्मसम्मुच्चवाद, प्रसंख्यानवाद आदि विषयों पर चर्चा होगी. मातृशक्ति उग्रतारा के संबंध में सनातन व बौद्ध धर्म द्वारा प्रतिपादित बुद्धि व ज्ञान की देवी, दशमहाविद्या की देवी, करूणा की देवी, वशिष्ठ अराधिता, अक्षोभ्य महादेव, पुरातत्व व मूर्तिकला इत्यादि सुक्ष्म विषयों पर विद्वानों को अपने विचार प्रस्तुत करने के अतिरिक्त मिथिला के धर्म, दर्शन, कौलिक परंपरा, शक्तिपूजा, तंत्र, लोकदेवता, लोकजीवन उपविषयों पर भी प्रकाश डाला जायेगा. जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सह महोत्सव के सेमिनार व वाद-विवाद समिति के संयोजक मृत्यंजय कुमार ने बताया कि सेमिनार में अपने शोध व्याख्यान प्रस्तुत करने के लिए ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पूर्व उप निदेशक डॉ फनीकांत मिश्र, कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा के कुलपति प्रो लक्ष्मीनिवास पांडेय, बीएनएमयू के कुलपति प्रो विमलेन्दु शेखर झा, संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा के पुर्व कुलसचिव प्रो शक्तिनाथ झा, सेंट स्टीफेंस कॉलेज दिल्ली के संस्कृत विभाग के डॉ पंकज कुमार मिश्र, बीएचयू के धर्मशास्त्र व मिमांसा विषय के विभागाध्यक्ष डॉ शंकर कुमार मिश्र, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय देवप्रयाग के दर्शनशास्त्र विभाग के डॉ सच्चिदानंद स्नेही, केंद्रीय विश्वविद्यालय दक्षिण बिहार गया के डॉ सुमित कुमार पाठक, कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा के व्याकरण विभाग के डॉ सुरेश्वर झा, ब्रह्मसिद्धि के टीकाकार डॉ चित नारायण पाठक, धर्मायण के संपादक पंडित भवनाथ झा, आरएम कॉलेज सहरसा के सेवानिवृत्त प्राध्यापक आचार्य रामचैतन्य धीरज व उग्रतारा भारती मंडन महाविद्यालय के सहायक प्रो आनंद दत्त झा को अपने शोध व्याख्या प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया गया है. सेमिनार व वाद-विवाद समिति के कार्यकारी संयोजक डॉ अक्षय कुमार चौधरी ने बताया कि सेमिनार के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए आरएम कॉलेज के वरीय प्रोफेसर डॉ ललित नारायण मिश्र, एसएनएसआरकेएस. कॉलेज के डॉ धर्मव्रत चौधरी, बीएसएस कॉलेज सुपौल के डॉ सुजीत वत्स, एमएलटी कॉलेज के डॉ आलोक कुमार झा, आरएम कॉलेज की सहायक प्राध्यापक डॉ शांतिलक्ष्मी चौधरी, श्री उग्रतारा मंदिर न्यास समिति सचिव केशव चौधरी सहित जिला प्रशासन के विभिन्न विभागों के पदाधिकारियों को आयोजन समिति के सदस्य मनोनीत किये गये हैं. इस बार यह आयोजन चार से छह अक्तूबर के बीच होना सुनिश्चित हुआ है. जिसमें पांच व छह अक्तूबर को सेमिनार आयोजित होगा.

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