सहरसा . फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 10 फरवरी से सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम की शुरुआत होगी. अभियान को सफल बनाने के लिए पारा मेडिकल के सभागार में प्रशिक्षण दिया गया. प्रखंड के बीसीएम, प्रखंड मूल्यांकन पदाधिकारी व डाटा ऑपरेटर को स्वीकृति ऐप व आईएचआईपी पर रिपोर्टिंग की जानकारी दी गयी. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते जिला वेक्टर बोर्न डीजीज कंट्रोल पदाधिकारी डॉ रविन्द्र कुमार ने बताया कि फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जो व्यक्ति को दिव्यांग बना देती है. जिसका इलाज संभव नहीं है. फाइलेरिया संक्रमण से लोगों में हाथी पांव विकसित होने में पांच से 15 वर्ष लग जाता है. फाइलेरिया बीमारी के कारण हाथ, पैर एवं हाइड्रोसील का आकार विकृत हो जाता है. इन सबों से बचने का उपाय मात्र एमडीए राउंड में डीईसी, आईवरमैक्टीन दवा का सेवन करना है. यह दवाई आशा घर-घर जाकर खिलायेगी. मौके पर वीडीसीओ शशिकांत कुमार, प्रवीण कुमार, राकेश कुमार, पिरामल के प्रोग्राम लीड आलोक कुमार, जिला सामुदायिक उत्तप्रेरक राहुल जी, बीसीएम, प्रखंड मूल्यांकन पदाधिकारी, डाटा ऑपरेटर मौजूद थे.
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