पानी के अभाव में तिलावे समेत अन्य छोटी-छोटी नदियों का अस्तित्व खतरे में सौरबाजार . कोसी और गंगा नदी में पानी क्षमता से अधिक आ जाने के कारण जहां बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. वहीं कोसी के बाद सहरसा की सबसे बड़ी नदी तिलावे में पानी के लाले पड़े हैं. बस बारिश का थोड़ा पानी है. पानी के अभाव में इस नदी का अब अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है. तिलावे के अतिरिक्त और भी छोटी-छोटी कई नदी नाले और नहर हैं, जो पानी के लिए तरस रहे हैं. यदि बराज से कोसी नदी के अतिरिक्त इन सभी सहायक नदियों और नहरों में पानी को बांटकर छोड़ा जाये तो तटबंध के अंदर पानी का दबाव कुछ घट सकता है और लोगों की परेशानी कम हो सकती है. लेकिन इन सभी नदियों का मुहाना जाम होने के कारण इनमें पानी नहीं आ पाता है और अब तो लोग इसे अतिक्रमण कर इनमें मिट्टी भराई कर घर भी बनाने लगे हैं. लेकिन स्थानीय प्रशासन को इसकी तनिक भी चिंता नहीं है. तिलावे नदी में गाद सफाई के नाम पर मनरेगा समेत अन्य कई योजना चलाकर सरकारी खजाना से राशि जरूर निकासी की गयी है, लेकिन धरातल पर काम कुछ भी नहीं हुआ है. स्थिति जस की तस बनी हुई है. स्थानीय लोगों के बीच चर्चा बनी रहती है कि एक तरफ जहां कोसी नदी में क्षमता से अधिक पानी भेजी जाता है तो वहीं दूसरी तरफ उनकी सहायक नदियों में पानी के लाले पड़े रहते हैं और पानी के अभाव में ये सभी नदियां अपना अस्तित्व समाप्त करने के कगार पर है. ऐसे में यदि इन सभी नदियों का मुहाना साफ कर उनके गाद की सफाई कर इसमें नियमित पानी छोड़ा जाये तो इस क्षेत्र के लोगों को लाभ भी पहुंचेगी और तटबंध के अन्दर की परेशानी भी कम होगी.
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