विभिन्न पंचायतों में करोड़ों की लागत से जगह जगह बने बाढ़ आश्रय स्थल अपने बदहाली पर बहा रहा आंसू

छत का छज्जा टूटकर गिर रहा तो, खिड़की दरवाजा है गायब, अपराधियों व दबंगों का बना है पनाहगार

By Prabhat Khabar News Desk | May 15, 2024 6:58 PM

पतरघट

सरकारी स्तर पर लोगों को बाढ़ एवं प्राकृतिक प्रकोपों से बचाव के लिए क्षेत्र के विभिन्न पंचायतों में करोड़ों रुपए की लागत से जगह जगह बाढ़ आश्रय स्थल एवं पशु शरण स्थली का निर्माण कार्य पूर्ण कराया गया था. लेकिन स्थानीय ग्रामीणों में जागरूकता का अभाव, पंचायत प्रतिनिधियों के भवन के रख रखाव के प्रति दृढ़ इच्छाशक्ति का अभाव एवं प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही व उदासीनता के कारण वर्तमान स्थिति में सभी बाढ़ आश्रय स्थल एवं पशु शरण स्थली अपने बदहाली पर आंसू बहाने को मजबूर है. आलम यह है की छत का छज्जा टूटकर जमीन पर गिर रहा है. भवन का खिड़की दरवाजा गायब हो गया है. बावजूद कुछ जगहों पर दबंगों का कब्जा अभी भी कायम है. तो कुछ जगहों पर किसानों द्वारा पशु चारा घर के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. कुछ बाढ़ आश्रय स्थल पर संवेदक द्वारा सड़क निर्माण कार्य से जुड़ी सामग्री रख स्टोर डिपो बना दिया गया है. सुनसान जगहों पर निर्मित बाढ़ आश्रय स्थल पर प्रतिदिन शाम ढलते ही अपराधियों एवं बदमाशों की चहलकदमी शुरू हो जाती है. यह अपराध की योजना बनाए जाने के साथ नशापान के लिए सुरक्षित पनाहगाह बनकर रह गया है. भवन के इर्द गिर्द सैकड़ों कोरेक्स कफ सिरप एवं शराब की खाली बोतलें यत्र तत्र फेंके मिल जायेंगे. जिसके कारण यह भवन आमजनों के लिए बेकार बनकर रह गया है. क्षेत्र के पस्तपार पंचायत स्थित सखुआ धबौली पश्चिम पंचायत स्थित कहरा टेमा टोला, पामा, भद्दी, सुरमाहा सहित अन्य जगहों पर निर्मित बाढ़ आश्रय स्थल एवं पशु शरण स्थली का निर्माण कार्य पूर्ण किया गया है. जहां भवन का विभागीय स्तर से आनन फानन में निर्माण कार्य तो पूर्ण कर लिया. लेकिन वहां तक आने जाने के लिए कोई सड़क का निर्माण कार्य नहीं किया गया. जिसके कारण इस भवन को कोई देखने वाला नहीं है. जिसका फायदा कुछ जगहों पर दबंग एवं कुछ जगहों पर नशेड़ियों द्वारा नशापान के लिए व कुछ जगहों पर अपराधियों द्वारा आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिए जाने के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. उचित देखभाल के अभाव में भवन के परिसर में बड़े बड़े जंगली पेड़ पौधे उग आए हैं. भवन के अंदर कमरे का ताला तोड़कर शरारती तत्वों के द्वारा मल मूत्र त्याग करने के साथ मक्का का ठठेरा रखने एवं गोबर का उपला चिपकाया जाता है. संवेदक के द्वारा पूर्व में लगाए गए चापाकल को उखाड़ लिया गया है. शौचालय के गेट को तोड़ दिया गया है. पशु शरण स्थली में दबंगों द्वारा अपने अपने मवेशी को बांधा जाता है. बारिश के मौसम में चारों तरफ बाढ़ का पानी लबालब भरा रहता है. सड़क नहीं रहने के कारण यह सहज अनुमान लगाया जा सकता है की इस भवन से आम लोगों को कितना फायदा होता होगा. संवेदक द्वारा जगह-जगह पर निर्माण किये गए बाढ़ आश्रय स्थल को विभागीय नियमानुसार निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद सीओ को भवन की चाबी सुपुर्द कर दिया जाना चाहिए था. लेकिन किसी भी संवेदक के द्वारा ऐसा नहीं किया गया. इस बाबत सीओ राकेश कुमार से बाढ़ आश्रय स्थल सह पशु शरण स्थली भवन के जर्जर रहने एवं वर्तमान में भवन की चाबी के सुपुर्दगी सहित अन्य बिंदुओं के संबंध में पूछने पर उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर करते बताया की इस संबंध में उन्हें कुछ भी मालूम नहीं है. भवन कहां कहां हैं एवं भवन की क्या स्थिति है. इसके संबंध में वे राजस्व कर्मचारी से जानकारी लेंगे. जिसके बाद इस संबंध में विस्तृत रूप से बता सकते हैं. इधर स्थानीय ग्रामीणों ने प्रशासनिक अधिकारियों एवं पुलिस के अधिकारियों से क्षेत्र के सभी बाढ़ आश्रय स्थल एवं पशु शरण स्थली के जीर्णोद्धार कराए जाने के साथ अविलंब अतिक्रमणकारियों के कब्जे से अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग की.

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