22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कृषि विज्ञान केंद्र में माली का तीस दिवसीय प्रशिक्षण शुरू

5 प्रशिक्षणार्थियों का चयन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर किया

25 प्रशिक्षणार्थियों का चयन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर किया सत्तरकटैया . कृषि विज्ञान केंद्र अगवानपुर में बुधवार को कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत गार्डेन कीपर (माली) का तीस दिवसीय प्रशिक्षण शुरू किया गया है. इस प्रशिक्षण के लिए 25 प्रशिक्षणार्थियों का चयन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर किया गया है. प्रशिक्षणार्थियों को उद्यान की विभिन्न कलाओं जैसे कलमी पौधों को तैयार करना, सब्जियों का पौध तैयार करना, सब्जियों का बीज तैयार करना, संरक्षित खेती आदि पर सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक जानकारी दी जायेगी. यह प्रशिक्षण रोजगार सृजन करने वाली है. कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ नित्यानंद ने बताया कि ट्रेनिंग लेकर बेरोजगार युवा नर्सरी तैयार करने, पौधों की देखभाल, बीमारियों और कीटों की रोकथाम सहित अलंकृत नर्सरी की देखभाल में निपुण हो सकेंगे और पौधें की बिक्री कर वह स्वरोजगार प्राप्त करेंगे. इस प्रशिक्षण के बाद ये प्रशिक्षु पूरी तरह से माली बन जायेंगे. यह ट्रेनिंग कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत हो रही है. उन्होंने बताया कि रोजगार सृजन के लिए माली प्रशिक्षण भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है. प्रशिक्षण के माध्यम से युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने 30 दिवसीय प्रशिक्षण के समय-सारणी एवं रूपरेखा की विस्तार से जानकारी दी और कहा कि प्रशिक्षण के बाद सभी अभ्यर्थियों का मूल्यांकन किया जायेगा. इसमें उत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थियों को सरकार द्वारा प्रमाण-पत्र दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि आजकल बड़े शहरों में आवासीय व व्यवसायिक परिसर के आसपास लॉन आदि बनाने का काम बड़े पैमाने पर हो रहा है. लोग कंक्रीट की दीवारों के बाहर पेड़ों की छांव में भी कुछ समय गुजारना चाहते हैं. इसके लिए टैरेस गार्डन की डिमांड बढ़ी है. लोग घरों में बालकनी और छतों को गार्डन का रुप दे रहे हैं. होटल व व्यवसायिक भवनों की छत्तों को बगीचे की शक्ल दी जा रही है. ऐसे में स्वाभाविक है कि आज के समय इस प्रशिक्षण का महत्व काफी बढ़ गया है. डाॅ सुनीता पासवान ने बताया कि विवाह समारोह, रिंग सेरेमनी, मीटिंग आदि के लिए भी साज-सज्जा का काम होता है. इसमें गाढ़े और चमकीले रंग के पौधे व फूल आदि के काम होते हैं. जबकि शोक आदि के मौके पर हल्के रंग का उपयोग किया जाता है. आर्टिफिशियल पौधे व फूल का भी चलन है. बुके, बोनसाई आदि बनाये जाते हैं. इन सब में माली प्रशिक्षण से रोजगार पाये जा सकते हैं. ऐसे में प्रशिक्षित व्यक्ति ऐसे कामों को बेहतर तरीके से अंजाम दे सकते हैं. उद्यान वैज्ञानिक डॉ पंकज कुमार राय ने बताया कि इस ट्रेनिंग के बाद प्रतिभागी नर्सरी में निपुण होंगे और कम समय में अपना कारोबार स्थापित कर व्यवसाय शुरू कर सकते हैं. यह ट्रेनिंग स्वावलंबी जीवन की ओर ले जायेगी. प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद युवा फूल उत्पादन के क्षेत्र के बेहतर काम कर अपने पैरों पर खड़ा हो सकते हैं. प्रशिक्षण के दौरान उन्हें माली से संबंधित सारे कार्यों की जानकारी दी जा रही है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें