कोसी त्रासदी समस्या को लेकर नवजागरण मंच की हुई बैठक सहरसा . नवजागरण मंच की शनिवार को विद्यापति नगर में बैठक की गयी. बैठक में अपने विचार रखते संस्थापक प्रो.भवानंद मिश्र ने कहा कि कोसी समस्या राजनीतिक विद्वेष व भेदभाव का परिणाम है. समय रहते कोसी की समस्या का स्थायी निदान नहीं किया गया तो कुसहा से भी भयंकर जलप्रलय लोगों को भुगतना पडेगा. उन्होंने कहा कि जिन बहुउद्देशीय दृष्टिकोण से कोसी बराज व तटबंध का निर्माण हुआ, वह आज तक पूर्ण नहीं हो पाया. सोचने की बात है कि पूर्णिया से दरभंगा तक लगभग 150 किलोमीटर क्षेत्र में कोसी सदियों से विध्वंस लीला मचा रही थी. जिसे लगभग छह, सात दशक पूर्व दो तटबंधों के अंदर बांध दिया गया. तब से दो तटबंध के अंदर की मानवता कराह रही है. तटबंध के अंदर प्रतिवर्ष धन-जन की हानि होने के साथ ततबंध के बाहर दो किलोमीटर तक सीपेज के कारण जलजमाव की समस्या विकराल बनी रहती है. आज दोनों तटबंधों के अंदर 50 वर्ष पुराना कोई घर-मकान नहीं है, कोई पेड़ नहीं है. तटबंध के अंदर जमीन कटाव का मुआवजा का कोई प्रावधान अब तक नहीं हुआ है. कुसहा की तरह अब तक पांच बार तटबंध टूटकर विनाश का तांडव हुआ है. लेकिन कोई मुआवजा लोगों को नहीं दिया गया. नवजागरण मंच मांग करती है कि कोसी की समस्या को राष्ट्रीय समस्या घोषित किया जाये. इस समस्या का स्थाईयी निदान की महत्वाकांक्षी योजना बनायी जाये. तटबंध के अंदर के लोगों को तटबंध से बाहर जमीन के बदले जमीन दी जाये एवं घर बनाने के लिए आर्थिक मदद दी जाये. समाजसेवी गोसाई मंडल, दीनानाथ पटेल एवं दिग्विजय सिंह ने राजनीतिक स्तर पर समस्याओं के लिए आक्रामक होने की आवश्यकता पर बल दिया. बैठक की अध्यक्षता हीरा प्रसाद सिंह ने करते सरकार को इन इन समस्याओं पर ध्यान देने की बात कही. बैठक में कोसी लोक मंच सचिव घूरन महतो, गोसाई मंडल, दिग्विजय सिंह, विनय पासवान, बैद्यनाथ भगत, बिलाल अहमद, निर्मल कुमार मिश्र, अनिर्माण चौधरी राजकुमार भगत,अनुरोध भगत, राजेश कुमार, वरुणादित्य अनिरुद्ध भगत, बैजनाथ भगत, मनोज सिंह, प्रो प्रदीप झा, डॉ रचना कुमारी, प्रो श्वेता शरण, विनोद भगत सहित अन्य मौजूद थे.
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