करोड़ों की लागत से निगम द्वारा तैयार इंफ्रास्ट्रक्चर हुआ बेकार

करोड़ों की लागत से निगम द्वारा तैयार इंफ्रास्ट्रक्चर हुआ बेकार

By Prabhat Khabar News Desk | July 27, 2024 5:47 PM

नहीं मिली सुविधा, प्लास्टिक बनी परेशानी, सभी जता रहे पर्यावरण पर चिंता सहरसा . शहर में कचरा प्रबंधन के नाम पर करोड़ों रुपया हवा-हवाई हो गये. फिर भी सड़कों व गलियों में उड़ती प्लास्टिक की थैलियां और प्लास्टिक के ठोस अवशिष्टों के निष्पादन में नगर निगम फिसड्डी साबित हो गया. बीते एक दशक में इसने कचरा प्रबंधन के नाम पर कार्यशाला, योजना, गोष्ठी, छोटे-छोटे इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण इत्यादि समेत कई कार्यों पर खूब मशक्कत की. साथ ही सूखा कचरा व गीला कचरा का फर्क बताते हुए कचरा उठाव की बात भी की गयी. गौरतलब बात यह है कि इन कचरों के कलेक्शन से लेकर खुले में फेंकने तक में जिम्मेदारियां का अभाव स्पष्ट दिखता रहा. यह जिम्मेदारी निभाने वाले शहरवासी या निगम के कर्मी दोनों की ही जिम्मेदारी तय होनी चाहिए. शहर के बटराहा एवं सहरसा कॉलेज के पीछे कचरा के निष्पादन के लिए बने शेड व उसके नीचे कई चैंबर प्रोजेक्ट के तहत बनाये गये. लेकिन ठेकेदारों का काम खत्म होते ही निगम के स्वच्छता प्रबंधकों ने उधर की सुधि नहीं ली. जबकि यह योजना करोड़ों की थी. कचरा पूर्व की भांति डंपिंग स्थान पर ही फेंका जाता रहा. गोबरगड़़हा डंपिंग यार्ड में कचरा प्रबंधन और निस्तारण की योजना भी वर्षों से लंबित पड़ी है. निगम की गाड़ियों द्वारा कचरों को रमेश झा कॉलेज, गर्ल्स स्कूल के बगल में, रूपवती कन्या विद्यालय के पास, सहरसा स्टेडियम के बगल में यह सब चिन्हित जगह थे. जहां पर कभी लगातार तो कभी यदा-कदा कचरा डाला जाता रहा था. कुछ हद तक तो अब हालात काबू में है. कचरे के उठाव और फेंकने की जगह में परिवर्तन किया गया. लेकिन छोटे रिक्शा और ठेला वाला अभी भी कई ऐसी जगहों पर कचरा फेंक देते हैं, जहां कचरा फेंकने की मनाही भी है. बेतरतीब ढंग से फैलते कचरों ने शहर में प्रदूषण की रफ्तार बढ़ा दी है. जल से लेकर जमीन और जमीन से लेकर वातावरण में प्रदूषण के बढ़ने की रफ्तार भी बढ़ गयी. कचरा प्रबंधन सही तरह से नहीं होने पर वातावरण और प्रदूषण का स्तर कहीं ना कहीं प्रभावित हो रहा है. प्रदूषण पर गंभीर हुए प्रशासनिक पदाधिकारी सदर अस्पताल कैंपस में पौधारोपण के एक कार्यक्रम में जहां भी गड्ढा किया गया, उसके अंदर प्लास्टिक के थैलों का अवशेष मिला. स्थानीय कमिश्नर नीलम चौधरी व जिलाधिकारी वैभव चौधरी यह देखकर बार-बार उसे हटाकर पौधे लगाने का जिक्र करते दिखे. जमीन के अंदर इतनी ज्यादा मात्रा में प्लास्टिक के कचरों की उपस्थिति पर कमिश्नर नीलम चौधरी ने बताया कि यह पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है. जागरूकता का जहां अभाव है, वहीं जागरूकता व इसके प्रबंधन व निस्तारण पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए. वहां उपस्थित नगर निगम के उप महापौर गुड्डू हयात ने कहा कि इस दिशा में निगम काम में तेजी लायी जायेगी.

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