ओवरब्रिज निर्माण : समाधान के बदले चल रहा आरोप प्रत्यारोप का खेल, आम आदमी की जाम में फंसकर जा रही जान
बंगाली बाजार एवं गंगजला रेलवे ढाला पर लगने वाली जाम से जनजीवन प्रभावित हो रहा है.
तीन दशक से ओवरब्रिज की मांग हो रही अनसुनी, अब एक नहीं पांच ओवरब्रिज की है जरूरत सहरसा प्रमंडलीय मुख्यालय सहरसा में जाम सबसे गंभीर समस्या बन गयी है. जिसके निदान को लेकर लगभग तीन दशक से प्रयास किया जा रहा है. लेकिन आजतक इसका समाधान नहीं हो सका. जाम की समस्या धीरे धीरे विकराल होती जा रही है. जिससे लोगों की जान तक जा रही है. लेकिन समाधान की दिशा में सिर्फ आरोप प्रत्यारोप का खेल होता रहा है. खासकर चुनावी मौसम में ओवरब्रिज खासा सुर्खियों में रहता है. पहले सिर्फ बंगाली बाजार ढाला पर ही अधिकांश जाम की समस्या होती थी. लेकिन रेलवे का विस्तार होने से जाम की समस्या शहर के सभी मुख्य छह ढाला पर भी होने लगी है. इनमें बंगाली बाजार एवं गंगजला रेलवे ढाला पर लगने वाली जाम से जनजीवन प्रभावित हो रहा है. पिछले लगभग तीन दशक में बंगाली बाजार रेलवे ढाला पर आरओबी निर्माण को लेकर तीन बार शिलान्यास का कार्य किया गया. लेकिन निर्माण कार्य आज तक शुरू नहीं हो सका. जिससे आमलोगों में भी खासी नाराजगी है. जिसके लिए शहर के लोगों ने कई बार आंदोलन किया. धरना-प्रदर्शन भूख हड़ताल, राजधानी पटना स्थित सचिवालय में कई दिनों तक धरना दिया. लेकिन सभी आवाज नकारखाने में गुम हो गयी. संभवतः देश का पहला बंगाली बाजार ओवरब्रिज होगा जिसके लिए चार बार केन्द्रीय मंत्री द्वारा शिलान्यास व भूमि पूजन किया गया होगा. शहर के लोग ओवरब्रिज के नाम पर ठगा महसूस करते हैं. राज्य का कोई ऐसा जिला नहीं है जहां आवश्यकता अनुसार ओवरब्रिज नहीं बना है. लेकिन पिछले 27 वर्षों से शहर के जनमानस को ओवरब्रिज अब सपना लगने लगा है. लोगों को लगता है इस जन्म में ओवरब्रिज देख पायेंगे भी या नहीं. बढ रही आबादी, सुविधाओं में नहीं हुआ परिवर्तन शहर की आबादी बढ़ रही है. लेकिन शहर की व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं आया है. जिले में एक भी ओवरब्रिज नहीं बनना जिले के साथ सौतेलापन दर्शाता है. दो दशक से भी ज्यादा समय से बंगाली ढ़ाला पर ओवरब्रिज निर्माण की मांग की जाती रही है. लोग जाम में घंटों फंसते हैं. जिससे आर्थिक नुकसान व समय बर्बाद हो रहा है. जाम में वाहनों का सैकड़ों लीटर ईंधन बर्बाद हो रहा है. वाहन के धुएं से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है. महाजाम में फंसकर कई लोग अपनी जान तक गवां बैठे हैं. इससे निजात अति आवश्यक है. साथ ही ओवरब्रिज के नहीं बनने से शहर का मुख्य बाजार अब तक व्यवस्थित नहीं हो पाया है. ओवरब्रिज बनाने से जिले का विकास होगा एवं आम एवं खास लोग भी इससे लाभांवित होंगे. एक नहीं अब पांच ओवरब्रिज की है जरूरत जिले के लोग पिछले तीन दशक से एक ओवरब्रिज की मांग में लगे हैं. जबकि अगल बगल के जिले में ओवरब्रिज बनकर तैयार हो गया. वहां के लोग अब हवाई उडान की मांग करने लगे हैं. जबकि यहां लोगों की एक मांग तक पूरी नहीं हो पा रही है. शहर की बढ़ रही आबादी से शहर के गंगजला ढ़ाला, कचहरी ढ़ाला व शिवपुरी ढ़ाला, हटिया गाछी ढ़ाला, पॉलिटेक्निक ढ़ाला पर भी जाम की समस्या बंगाली बाजार ढ़ाला जैसा ही उत्पन्न हो गया है. शहर में रेलवे ढ़ाला पर लगने वाली जाम की समस्या का निदान अब भोजन से भी अधिक आवश्यक हो गया है. शहर में एक नहीं पांच ओवरब्रिज की जरूरत महसूस की जा रही है. अब सभी जनप्रतिनिधियों को मिलकर ओवरब्रिज में आ रहे अड़चन को दूर कर निर्माण के लिए पहल करनी चाहिए. आम जनता की परेशानी को समझते जनप्रतिनिधियों को अब सामूहिक प्रयास करनी चाहिए. जिससे शहर की सूरत बदल सके. फोटो – सहरसा 03- जाम में फंसे लोग
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