सहकारिता विभाग की लंबी प्रक्रिया से गुजरना सभी किसानों के वश की बात नहीं सौरबाजार . किसानों की मुख्य फसल धान कटने के बाद उसकी तैयारी होना शुरू हो गयी है और रबी फसल की बुआई किसानों के सर पर है. ऐसे में किसान अपनी तैयार धान को पैक्स की लंबी प्रक्रिया को पूरा नहीं कर पाने के कारण औने-पौने दामों में ही व्यापारियों के हाथ बेच रहे हैं. जहां उसे कम ही सही लेकिन नगद राशि मिल जाती है और उस राशि का उपयोग वे रबी फसल की बुआई में उपयोग होने वाले खाद, बीज, ट्रैक्टर जुताई, सिंचाई समेत अन्य खर्च में उपयोग करते हैं. जबकि पैक्स में धान बेचने के लिए उन्हें ऑनलाइन पंजीकरण कराने के बाद धान को बोरा में भरकर उसे गाड़ी में लोड कर धर्मकांटा कराने के बाद उन्हें पैक्स गोदाम के बदले संबंधित राइस मिल पर पहुंचाना पड़ता है. जहां प्रति क्विंटल 5 से 7 किलो धान यह कहकर काट लिया जाता है कि धान में नमी है. धान जमा होने के बाद एक सप्ताह तक में राशि आती है. इतनी सारी प्रक्रिया को साधारण किसान नहीं झेल पाते हैं और वे पैक्स द्वारा मिलने वाले लाभों से वंचित हो जाते हैं. अधिकांश किसानों का कहना है कि सरकार यदि किसानों को पैक्स का लाभ दिलाना चाहती है तो इन प्रक्रिया को आसान करें. इतनी जटिल प्रक्रिया से गुजरना सब किसान के बूते की बात नहीं है. अधिकांश पैक्स प्रबंधन किसानों के बदले व्यापारियों से धान खरीदकर फर्जी तरीके से किसानों का ऑनलाइन कर उनके खाते में राशि मंगा कर अपना लक्ष्य पूरा करते हैं. सौरबाजार में जगह-जगह धान का लगा बड़ा-बड़ा टीला किसी पैक्स या व्यापार मंडल द्वारा अधिप्राप्ति किया गया धान नहीं, बल्कि बिचौलिया किस्म के व्यापारियों द्वारा किसानों से औने पौने दामों में खरीदकर जमा किया गया है. इन व्यापारियों में अधिकांश व्यापारियों के पास सरकार द्वारा अनाज खरीद बिक्री के लिए कोई वैध लाइसेंस भी नहीं है. ऐसे में विभाग को जांच कर इन पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है. इस बार धान अधिप्राप्ति के समय ही पैक्स चुनाव की प्रक्रिया चल रही है. ऐसे में यदि पैक्स अध्यक्ष और उनके प्रबंधन समिति द्वारा किसानों को सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती है तो चुनाव में जो किसान मतदाता हैं, उनका नकारात्मक रवैया उन्हें देखने को मिल सकता है और इसका खामियाजा वर्तमान पैक्स अध्यक्ष और प्रबंधन समिति को भुगतना पड़ सकता है. इस संबंध में बीसीओ कैलाश कुमार कौशल ने बताया कि पैक्स और व्यापार मंडल के माध्यम से धान अधिप्राप्ति का काम शुरू हो चुका है. इच्छुक किसान ऑनलाइन समेत सभी प्रक्रिया पूरा करने के बाद सरकारी दर पर धान बेच सकते हैं.
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