54 फीट कांवर के साथ सैकड़ों श्रद्धालुओं ने कपेश्वरनाथ शिव मंदिर में किया जलाभिषेक
आस्था के साथ पंचायत और आसपास के लोग इस कांवर यात्रा के में शामिल होते हैं
अगुवानी गंगा घाट से गंगाजल भरकर पांच दिन पैदल यात्रा कर पहुंचे श्रद्धालु सैकड़ों वर्ष पुराने इस शिवलिंग के प्रति लोगों की है आस्था प्रतिनिधि, सौरबाजार भादव मास के पूर्णिमा के दिन बुधवार को प्रखंड के कांपबाजार स्थित कपेश्वरनाथ नाथ शिव मंदिर में भागलपुर जिला के अगुवानी गंगा घाट से गंगाजल भरकर 54 फीट कांवर के साथ 5 दिन पैदल यात्रा करते हुए सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया. इस मंदिर के प्रति कांप पश्चिमी, पूर्वी पंचायत समेत सौरबाजार प्रखंड क्षेत्र के लोगों की आस्था और विश्वास है. कई लोगों की मनोकामना पूरी होने के बाद लोगों का विश्वास और बढ़ता जा रहा है. कहा जाता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गयी मुराद को बाबा कपेश्वरनाथ अवश्य पूरी करते हैं. प्रखंड क्षेत्र के लोग कई वर्षों से भादव मास की पूर्णिमा के दिन 54 फीट का कांवर बनाकर अगुवानी घाट से गंगाजल भरकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं और बड़े हीं उत्साह और आस्था के साथ पंचायत और आसपास के लोग इस कांवर यात्रा के में शामिल होते हैं. मंदिर समिति सह कंवरिया संघ के संयोजक धीरेंद्र यादव, सचिव उमेश प्रसाद यादव, कांवरिया संघ के अध्यक्ष भूपेंद्र प्रसाद यादव, सचिव अरूण गुप्ता, कोषाध्यक्ष पदम पंकज, उप सचिव अरुण यादव, अमरेंद्र यादव, उप कोषाध्यक्ष सुभाष शर्मा, उपाध्यक्ष सुजीत कुमार, अमरेश यादव, वीरेंद्र यादव, तारिणी यादव, भोली यादव, शंभु साह, मिथिलेश मंडल, कारी स्वर्णकार, घोलट राम, सुभक सादा, गजेंद्र कामती, ब्रह्मदेव ठाकुर, सिकेन्द्र कामती, डामबम रामचंद्र शर्मा, सरदार बम वीरेंद्र मंडल, प्रमोद मंडल, राजकिशोर ठाकुर, सुरेंद्र यादव सहित सैकड़ों की संख्या में कांवर यात्रा में शामिल सैकड़ों लोगों ने इस आयोजन को सफल बनाने में सहयोग किया. कहा जाता है कि आजादी से सैकड़ों वर्ष पूर्व इस मंदिर का निर्माण राजा हरिवल्लभ महाराज द्वारा करवाया गया था. मंदिर के आगे एक बड़ा सा तालाब इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देती है. हालांकि वर्तमान में कुछ लोगों द्वारा तालाब के चारों ओर महार को अतिक्रमण कर लिया गया है. इसके अतिरिक्त मंदिर परिसर को चहारदीवारी से घेरकर इसे और सुरक्षित रखा जा रहा है. इस मंदिर परिसर में एसबीआई शाखा, पुलिस कैंप, पंचायत कार्यालय, ग्राम कचहरी और कला मंच रहने के कारण लोगों की चहल पहल हमेशा बनी रहती है. मंदिर परिसर में हीं कार्तिक भगवान का भी मंदिर बना है जहां कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर प्रत्येक वर्ष भव्य मेला का आयोजन किया जाता है. हालांकि इस मेला को अब राजकीय मेला का दर्जा मिल जाने से कमेटी और यहां के लोगों में और अधिक उत्साह बढ़ा है.
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