मीना बाजार, मौत का कुंआ, विभिन्न प्रकार के झूले लोगों के लिए रहते हैं आकर्षण का केंद्र सत्तर कटैया. कालीपूजा के अवसर पर सत्तरकटैया में पचास वर्षो से मेला का आयोजन किया जाता है. चार दिनों तक लगने वाले इस मेले में लोगों की काफी भीड़ जुटती है. बताया जाता है कि लगभग सत्तर वर्षों से यहां काली पूजा के अवसर पर मूर्ति स्थापित कर मेला का आयोजन किया जाता है. सत्तरकटैया पूर्वी व पश्चिमी भाग में लगने वाले इस चार दिवसीय मेले में काली पूजा के अवसर पर पहले एक झोपड़ी में मूर्ति बनाकर पूजा-अर्चना की जाती थी. लेकिन बाद में स्थानीय लोगों के सहयोग से यहां मंदिर बनाकर मां काली की मूर्ति स्थापित की गयी है. इलाके के लोग यहां बड़े ही श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा-अर्चना करते हैं और मन्नतें पूरी होने पर चढ़ावा चढ़ाते हैं. चार दिवसीय मेले में नाच, आर्केस्ट्रा, कव्वाली, बुगी-बुगी, मौत का कुंआ, थियेटर, मीना बाजार व विभिन्न तरह के झूले लगाये जाते हैं. जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है. हिन्दू के इस पर्व में मुस्लिम समुदाय के लोग बढ़ -चढ़कर भाग लेते हैं जो आपसी समरसता की एक मिसाल कायम पेश करती है. बताया जाता है कि काली पूजा कमेटी में हिन्दू समाज के अलावा मुस्लिम समाज के लोग भी होते हैं. सत्तर कटैया पूर्वी व पश्चिमी भाग सहित बारा में भी इस मौके पर मेला का आयोजन किया जाता है. जिसमें हेलो मिथिला के बड़े-बड़े कलाकार पहुंचते हैं. काली पूजा को लेकर दोनों जगहों पर तैयारियां शुरू है. कमेटी के सदस्यों ने बताया कि बाहर से आने वाले लोगों को मेला में खाने पीने, बाइक व चार पहिया वाहन रखने सहित अन्य कोई दिक्कतें न हो, इसके लिए होटल और स्टैंड बनाया जा रहा है. बताया जाता है कि इस इलाके की खास पहचान है यह चार दिवसीय मेला.
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