भरपूर उपजाते हैं मक्का, फिर भी किसान जस के तस

भरपूर उपजाते हैं मक्का, फिर भी किसान जस के तस

By Prabhat Khabar News Desk | May 19, 2024 9:01 PM

मक्के की खरीद बिक्री के लिए सरकारी स्तर पर कोई सहायता व सुविधा उपलब्ध नहीं मक्का प्रसंस्करण उद्योग या फिर ड्रायर नहीं होने से किसानों की स्थिति जस की तस सोनवर्षाराज.अंचल क्षेत्र में मक्का की फसल किसानों के लिए नगदी फसल है. ऐसे में अंचल क्षेत्र में अन्य फसल की अपेक्षा मक्के की खेती ज्यादा होती है. बावजूद इसके किसानो के उत्पादित मक्के की खरीद बिक्री के लिए सरकारी स्तर पर कोई सहायता व सुविधा उपलब्ध नहीं है. हालांकि सोनवर्षाराज बाजार मक्के की खरीद बिक्री के लिए बड़ी मंडी है. यहां से किसानों से खरीदा गया मक्का नेपाल के अलावा हरियाणा जैसे अन्य प्रदेश तक भेजा जाता है. लेकिन यहां मक्का प्रसंस्करण उद्योग या फिर ड्रायर नहीं होने से किसानों की स्थिति जस की तस बनी है. मक्का प्रसंस्करण उद्योग की है जरूरत जनप्रतिनिधियों के उद्योग लगाने की इच्छाशक्ति से अंचल क्षेत्र के अलावा सीमावर्ती क्षेत्र के किसानों की हालत सुधर सकती है. इतना ही नहीं मक्का प्रसंस्करण उद्योग लगने से क्षेत्र के लोगो को रोजगार मिलने के साथ-साथ मजदूरी के लिए अन्य प्रदेशों के पलायन में भी कमी आ जायेगी. खुले बाजार की अपेक्षा किसानों को मक्के का उचित कीमत भी मिल सकेगी. मक्के के पैदावार पर टिकी रहती है भविष्य की योजनाएं अंचल क्षेत्र में करीब 9 हजार एकड़ में किसान मक्के की खेती करते है. बाढ़ प्रभावित इस इलाके के किसानों के भविष्य की योजनाएं मक्के के पैदावार पर ही टिकी रहती है. शुरुआत नवंबर से मक्के की रोपणी से लेकर जून जुलाई तक मक्के की कटनी तक किसान जीतोड़ मेहनत करते है. जिसके बाद अच्छी पैदावार व बाजार में अच्छा भाव मिलने पर बेटी की शादी, पक्का मकान निर्माण, मुंडन, उपनयन जैसे शुभ कार्य व महाजनों का कर्ज चुकता करना शामिल रहता है.

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