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जिलाधिकारी ने की स्वास्थ्य विभाग से संबंधित योजनाओं की मासिक समीक्षा बैठक

प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी कहरा से स्पष्टीकरण का निर्देश

प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी कहरा से स्पष्टीकरण का निर्देश

आम नागरिक को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा मिले, सरकारी अस्पताल प्रबंधन करें सुनिश्चित : डीएम

सहरसा

जिलाधिकारी वैभव चौधरी की अध्यक्षता में स्थानीय विकास भवन सभागार में मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग से संबंधित मासिक समीक्षात्मक बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं, योजनाओं की वर्तमान क्रियान्वयन स्थिति की विस्तृत समीक्षा की गयी. समीक्षा के क्रम में स्वास्थ्य विभाग के संबंधित पदाधिकारियों को जिलाधिकारी ने स्वास्थ्य सेवाओं में गुणात्मक सुधार निमित महत्वपूर्ण दिशा- निर्देश दिये. उन्होंने जिले के सभी सरकारी अस्पताल में साफ सफाई की उत्कृष्ट व्यवस्था, आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने एवं अस्पताल प्रबंधन को मरीजों की सुविधाओं को ध्यान में रखते सेवा भावना से कार्य करने का निर्देश दिया. लगातार सात घंटे तक चले मैराथन बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने टीकाकरण, मातृत्व स्वास्थ्य, शिशु स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, वेक्टर जनित रोग, गैर संचारी रोग, संस्थागत प्रसव, अस्पताल में प्रसव से जुड़े सेवाओं को सुदृढ़ करने, हेल्थ एंड वेलनेस केंद्रों का संचालन, आरसीएच पोर्टल पर गर्भवती महिलाओं का डाटा संधारण एवं अन्य रिपोर्टिंग कार्य में आवश्यक सुधार के लिए निर्देश दिया. वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त मार्गदर्शिका के आलोक में सदर अस्पताल में चिकित्सकों की कर्तव्य तालिका के निर्धारण के लिए की गयी कार्रवाई के संबंध में जानकारी ली एवं उपाधीक्षक सदर अस्पताल को निर्देश दिया कि वे अपने स्तर से अविलंब इसका अनुपालन सुनिश्चित कराएं. जिले की हेल्थ एंड वेलनेस केंद्रों की मासिक रिपोर्ट शत प्रतिशत होने के फलस्वरूप सभी प्रखंडों को प्रोत्साहित करते हुए इसके निरंतरता को बनाए रखने का निर्देश दिया. साथ ही सभी हेल्थ एंड वेलनेस केंद्रों पर जन आरोग्य समिति का गठन करते इसकी मासिक बैठक करने एवं बैठक में विमर्शित बिंदु संबंधित प्रतिवेदन अविलंब उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. सभी हेल्थ एंड वेलनेस केंद्रों पर सरकार के द्वारा निर्धारित सूची के अनुसार दवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी कहरा का डीयू लिस्ट एवं सर्वे रजिस्टर अद्यतन नहीं रहने के कारण स्पष्टीकरण का निर्देश दिया. जिले के सभी बीसीएम को, आशा को शत प्रतिशत एनसीडी लॉगइन नहीं करने के कारण स्पष्टीकरण करते हुए मानदेय बंद रखने का निर्देश दिया. सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर विभाग द्वारा निर्धारित जांच संबंधी विवरण को प्रदर्शित करने का निर्देश दिया. जिससे आम नागरिक को स्वास्थ्य संस्थान में कितने प्रकार की जांच होती है इसकी जानकारी हो सके. नवहट्टा, सलखुआ एवं सोनवर्षा के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को निर्देशित किया कि संबंधित क्षेत्र के वैसे जगह जहां स्वास्थ्य के प्रति लोग संवेदनशील नही हैं. वहां जिला पंचायती राज विभाग से समन्वय स्थापित कर मेडिकल कैंप का आयोजन करें. जिसमें जिले से सभी वरीय पदाधिकारी भी भाग लेंगे. एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के अनुश्रवण के क्रम मे पाया गया कि शिक्षा एवं आईसीडीएस विभाग के द्वारा ससमय इसकी रिपोर्टिंग नहीं की जा रही है. जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं डीपीओ आईसीडीएस को इन वर्णित बिंदु के सम्यक अनुपालन के लिए आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया. कालाजार से बचाव के लिए दवा, रसायन छिड़काव को सफल बनाने के लिए प्रखंड स्तरीय मॉनिटरिंग कमिटी के सुचारु संचालन को लेकर आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया. बैठक में यह जानकारी दी गयी की कुछ आशा कर्मी द्वारा निर्धारित कर्तव्य निर्वहन में घोर लापरवाही बरती जा रही है. ऐसे आशा कर्मी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया. समीक्षा के क्रम में जिलाधिकारी ने स्पष्ट रूप से कहा कि आम नागरिक को गुणवत्तापूर्ण एवं सम्यक स्वास्थ्य सेवा मिले, सरकारी अस्पतालों के प्रबंधन को इसे सुनिश्चित करना होगा. इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही या शिथिलता को अत्यंत गंभीरता से लेते संबंधित के विरुद्ध कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी. बैठक में सिविल सर्जन डॉ मुकुल कुमार के अलावा जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, जिला लेखा प्रबंधक, योजना समन्वयक, डीसीएम, डीपीएम, अनुश्रवण पदाधिकारी, सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सभी स्वास्थ्य प्रबंधक, सामुदायिक उत्प्रेरक, लेखा प्रबंधक के अलावा प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे.

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एक दिन भी नहीं हुआ है सरकारी विद्यालयों में ग्रीष्मावकाश : शैलेश झा

सहरसा

शिक्षक एकता मंच अध्यक्ष मंडल सदस्य शैलेश कुमार झा ने कहा कि इस वर्ष एक दिन का भी विद्यालयों में ग्रीष्मावकाश नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि सरकारी विद्यालयों में ग्रीष्मावकाश में विद्यालय आठ बजे से 11 बजे तक पूर्णतया खुली रही है. वर्तमान समय में शिक्षक सरकार कि नजरों में एक शिक्षक न होकर सिर्फ दिहाड़ी मजदूर हैं. जिसे हर हाल में आठ घंटे विद्यालयों में उपस्थित रहना है. वर्तमान समय में विद्यालय का समय सारिणी सुबह छह बजे से दोपहर 01:30 बजे तक किया गया है. सोचने वाली बात है कि किसी तरह शिक्षक नित्य क्रिया से निवृत होकर सुबह छह बजे विद्यालय पहुंच भी जाते हैं तो क्या भूखे पेट विद्यालय संचालित करेंगे. जिन शिक्षकों का विद्यालय 20 किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर है वो विद्यालय कैसे पहुंचेंगे. शिक्षकों को तो छोड़िए इस चिलचिलाती धूप में छोटे छोटे बच्चे विद्यालय से निकलकर 12:30 में अपने घरों को पांव पैदल जाएंगे उनकी क्या हालत होगी. ये आज आम लोगों को समझना चाहिए कि क्या वास्तव में शिक्षा के गुणवत्ता पर सरकार काम कर रही है या विकृत मानसिकता से ग्रसित होकर बच्चों के भविष्य निर्माता शिक्षकों को सिर्फ प्रताड़ित करने की मंशा से कार्य कर रही है. जहां आज पूरे भारतवर्ष में बच्चों के गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के लिए शिक्षकों को मानसिक रूप से सशक्त करने के उद्देश्य से नई शिक्षा नीति के तहत, स्कूलों में अब सप्ताह में 29 घंटे ही पढ़ाई होगी. सोमवार से शुक्रवार तक पांच से साढ़े पांच घंटे तक एवं महीने के दो शनिवार को दो से ढाई घंटे तक ही क्लास लगेगी. दो शनिवार को छुट्टी रहेगी. इस व्यवस्था में हर दिन होने वाली पढ़ाई के घंटे में से आधा समय गतिविधियों के लिए दिया जायेगा. इसके साथ ही स्कूल के समय में ही बच्चों को ब्रेकफास्ट एवं लंच के लिए भी करीब घंटे भर का समय तय किया गया है. हर कक्षा के बाद पांच मिनट का ब्रेक भी रखा गया है. वहीं बिहार में शैक्षणिक व्यवस्था का मतलब प्रताड़ना पूर्ण तरीके से शिक्षकों की हालत एक दिहाड़ी मजदूर से भी बदतर बनाकर रख दी गयी है. इस परिवेश में बिहार शैक्षणिक रूप से विकसित हो पायेगा ये सोचना आज आम लोगों का कार्य है.

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