संज्ञान, जांच और रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद ठंडे बस्ते में चला गया मामला प्रतिनिधि, सहरसा. एक वर्ष पूरा होने को है, लेकिन सदर अस्पताल से गायब हुए लाखों करोड़ों के समान का अब तक कोई अता पता तक नहीं है. अधिकारियों की मिलीभगत ने सदर अस्पताल से गायब सामानों की सुधि तक लेना उचित नहीं समझा. मामला संज्ञान से शुरू होकर जांच और रिपोर्ट दर्ज कराने तक ही सिमट कर रह गया, लेकिन न तो लाखों लाख का गायब एमएमयू वैन का ही पता चला, न ही लाखों के महंगे लकड़ी से तैयार पुराने अस्पताल भवन का खोला गया समुचित खिड़की, दरवाजा और न ही तोड़े गये भवन का महंगा लोहे का सामान. जबकि मात्र एक एमएमयू वैन जिसकी कीमत 50 लाख से भी ज्यादा आंकी जा रही है, उसके गायब होने की खबर छपने के बाद निवर्तमान जिलाधिकारी ने संज्ञान भी लिया था. जांच टीम भी गठित की गयी थी. रिपोर्ट भी दर्ज करायी गयी थी, लेकिन रिपोर्ट दर्ज होने के कुछ दिन बाद से ही मामला पूरी तरह से दब कर रह गया. थाना में दर्ज रिपोर्ट के आधार पर एमएमयू वैन गायब मामले की जांच का जिम्मा उस समय सदर थाना में पदस्थापित तत्कालीन पुअनि अयूब अंसारी को दिया गया, लेकिन तत्कालीन पुअनि द्वारा किसी तरह की कोई जांच नहीं की गयी. जिसका फायदा एमएमयू वैन गायब करने या करवाने वालों को हुआ, लेकिन केंद्र सरकार के लाखों की संपत्ति की इतनी आसानी से चोरी पर किसी तरह का कोई कार्रवाई नहीं होना एक बहुत बड़े साजिश के तहत किये गये कार्य की ओर इशारा करती है. 350 दिन बाद भी केंद्र सरकार की गायब लाखों की संपत्ति का नहीं मिला कोई सुराग. एक वर्ष पूर्व वर्षों से पड़ा अत्याधुनिक मेडिकल सुविधाओं से सुसज्जित मेडिकल मोबाइल यूनिट वैन का सदर अस्पताल से अचानक गायब हो जाना अचंभित करने वाली बात है, लेकिन उससे भी अचंभित बात यह है कि 350 दिन बीत जाने के बाद भी उसे ढूंढ़ा नहीं जा सका. वैसे इतने बड़े अपराध को करने वाले आज भी खुलेआम चैन से जिला प्रशासन को चुनौती दे रहे हैं. जबकि सदर अस्पताल के दो मंजिला भवन व फिजियोथैरेपी सेंटर के सामने बिना इस्तेमाल के वर्षों से पड़ा एमएमयू वैन की कीमत करीब 50 लाख से ऊपर की बतायी जा रही है. जो एमएमयू वैन महंगे एलइडी डिस्प्ले सहित महंगे मेडिकल इक्यूपमेंट से लैस था. इसमें कोई खराबी भी नहीं थी. सिर्फ इस्तेमाल के अभाव में खड़ी थी, लेकिन सदर अस्पताल के सबसे बड़े चोर ने केंद्र सरकार के लाखों की संपत्ति को चुटकियों में गायब कर केंद्र सरकार को ही चुनौती दे डाली. जिला प्रशासन ने भी सदर अस्पताल से गायब केंद्र सरकार की संपत्ति पर प्रमुखता से ध्यान नहीं दिया और दोषी को खुलेआम घूमने छोड़ दिया. अब देखना यह है कि क्या जिला प्रशासन एक वर्ष बाद भी केंद्र सरकार की गायब संपत्ति के दोषी को पकड़ पाती है या उसी तरह पूर्ववत सरकार की संपत्ति को गायब होते रहने देना चाहती है. क्या है मेडिकल मोबाइल यूनिट वैन. स्वास्थ्य मिशन के तहत लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार ने मोबाइल मेडिकल यूनिट वैन की शुरुआत की थी. इसमें करीब 8 वर्ष पूर्व एक वैन जिला अस्पताल को भी मिला था. जो एक वर्ष पूर्व सदर अस्पताल से गायब हो गयी. जबकि एमएमयू वैन सभी प्रकार के टेस्ट, वैक्सीन व स्वास्थ्य से संबंधित हर प्रकार की सुविधाओं से सुसज्जित वाहन होती है. इसका इस्तेमाल वैसे गांवों में जाकर लोगों को सुविधा पहुंचाना है, जो मेडिकल सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं या जागरूक नहीं हैं. इससे ग्रामीणों को निशुल्क लाभान्वित किया जाता है. कहने के लिए एक तरह से यह चलंत ओपीडी है. इसके अंदर एक चिकित्सक, फार्मासिस्ट, एएनएम, लैब टैक्नीशियन, वर्कर व बहु उद्देश्यीय कर्मचारी मौजूद रहते हैं. इस वाहन में कई तरह की जांच और दवा की सुविधा भी रहती है. इसका इस्तेमाल मरीजों को स्थानांतरित करने के लिए नहीं है. एमएमयू वैन के अंदर एक बड़ा एलइडी डिस्प्ले भी लगा रहता है. जिसमें मातृ स्वास्थ्य, नवजात और शिशु स्वास्थ्य, बाल और किशोर स्वास्थ्य, प्रजनन स्वास्थ्य और गर्भनिरोधक सेवाओं एवं प्रबंधन से संबंधित सेवाओं के सुझाव भी दिए जाते हैं. वहीं लोगों के जीर्ण संचारी रोगों का प्रबंधन, सामान्य संचारी रोगों का प्रबंधन और बुनियादी ओपीडी देखभाल (तीव्र साधारण बीमारियां), सामान्य गैर-संचारी रोगों का प्रबंधन, मानसिक बीमारी का प्रबंधन, दंत चिकित्सा देखभाल, नेत्र देखभाल / ईएनटी देखभाल, जरा चिकित्सा देखभाल और आपातकालीन चिकित्सा की सुविधा दी जाती है. इसमें रेफरल को सक्षम करने के अलावा, एमएमयू के माध्यम से ये सेवाएं निशुल्क प्रदान की जाती हैं. बावजूद बिना इस्तेमाल के वर्षों से पड़े एडवांस सुविधाओं से सुसज्जित एमएमयू वैन को अस्पताल प्रबंधन की नजरों के सामने से गायब कर दिया गया था. यह लोगों के लिए आज भी चर्चा का विषय बना हुआ है.
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