अब गांव देहात में खेतों की पगडंडियों तक पहुंच चुका है कोरेक्स
अब गांव देहात में खेतों की पगडंडियों तक पहुंच चुका है कोरेक्स
शराबबंदी के बाद प्रतिबंधित कफ सिरप, सुलेशन व नशे की गोली की बिक्री चरम पर, 15 वर्ष से 25 वर्ष के युवाओं की बहुत बड़ी तादाद इसकी चपेट में सोनवर्षाराज . सूबे में शराबबंदी के बाद से क्षेत्र में प्रतिबंधित कफ सिरप, सुलेशन व नशे की गोली की बिक्री चरम पर पहुंच गयी है. विशेषकर शराबबंदी से पूर्व दवा की दुकान तक सीमित कोरेक्स अब चाय, पान की दुकान के साथ किराना दुकान तक में बहुतायत से बिकने लगी है. पहले शहर व कस्बों तक उपलब्ध रहने वाला कोरेक्स अब गांव देहात में खेतों की पगडंडियों तक पहुंच चुका है. नगर पंचायत सोनवर्षा मुख्य बाजार स्थित एक कबाड़ी ने बताया कि मात्र दो दिनों मे उसकी दुकान पर करीब तीन क्विटंल प्रतिबंधित कफ सिरप की खाली बोतले बेची गयी. अनुमान है कि एक क्विटंल में 5 हजार से ज्यादा कोरेक्स की खाली बोतल आती हैं ऐसे में स्थिति कितनी भयावह है, इसकी कल्पना की जा सकती है. गली-गली बेची जा रही है सिरपकोडिनयुक्त कफ सिरप पर प्रतिबंध लगाना पुलिस प्रशासन के वश की बात नहीं है. लेकिन प्रतिबंधित कफ सिरप की बिक्री पर लगाम लगाना अत्यंत आवश्यक है. क्योंकि ये 15 वर्ष से लेकर 25 वर्ष के युवाओं की बहुत बड़ी तादाद को अपनी चपेट में लेकर उसके भविष्य और स्वास्थ्य दोनों को अंधेरे में डूबो रहा है. वैसे भी पुलिस अवैध रूप से देसी-विदेशी शराब बिक्री, शराबी व अपराधियों को काबू करने में फंसी हुई है. जबकि कोरेक्स सेवन करने वाले को पकड़ना भी पुलिस के लिए आसान नहीं है. क्योंकि ब्रेथ इनलाईजर से कोरेक्स का सेवन किये लोगों की जांच संभव नहीं है. ऐसे में पुलिस द्वारा ब्लड टेस्ट करवाने पर ही साबित किया जा सकता है कि उसने कोरेक्स का सेवन किया है कि नहीं. जाहिर है ऐसे में पहले से परेशान पुलिस प्रशासन ब्लड टेस्ट जैसे झमेले में क्यों फंसना चाहेगी. रही बात इसके बिक्री पर लगाम लगाने की तो भी संभव नहीं है क्योंकि ये गली-गली बेची जा रही है. औषधि नियंत्रण प्रशासन को बढ़ाना होगा दायरा प्रतिबंधित कफ सिरप कोरेक्स औषधि की श्रेणी में आता है. इसलिए औषधि नियंत्रण प्रशासन को ही इसकी बिक्री पर रोक लगानी चाहिए थी. क्योंकि लाइसेंसी व गली मोहल्ले में खुले गैर लाइसेंसी दवा दुकानदार सहित पान-चाय की दुकानों में भी धड़ल्ले से इसकी बिक्री की जा रही है. वर्तमान में कोरेक्स का धंधा करने वाले कारोबारियों की एक बड़ी जमात खड़ी हो गयी है. लेकिन औषधि नियंत्रण प्रशासन के पास कोरेक्स बेचने वालों पर समुचित कार्रवाई के लिए संसाधन नहीं के बराबर है. साथ ही विभाग सिर्फ लाइसेंसी दवा दुकानों में ही कानूनी कार्रवाई कर सकती है. चलाना होगा संयुक्त सघन अभियान कोरेक्स की अवैध बिक्री को काबू पाने के लिए पुलिस प्रशासन व औषधि नियंत्रण प्रशासन को संयुक्त रूप से सघन अभियान चलाये जाने के साथ-साथ इसके कारोबारियों पर कड़े कानून लगाना होगा. पुलिस द्वारा अवैध कोरेक्स के पकड़े गये कारोबारी पर धारा 30 (ए) के तहत जबकि औषधि नियंत्रण प्रशासन द्वारा पकड़े जाने पर एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्यवाही की जाती है. लेकिन सजा जब्त कोरेक्स की मात्रा पर निर्भर करता है. कितनी है एक बोतल कोरेक्स की कीमत एक प्रतिबंधित कफ सिरप की एमआरपी 132 रुपये मात्र है. लेकिन ये दो सौ से ढ़ाई सौ रुपये में बेची जाती है. भारी मुनाफा व महंगे शराब का सस्ता विकल्प होने की वजह से इसका अवैध धंधा तेजी से फैलता जा रहा है.
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